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अनदेखा लखनऊ : मन्नत की ईंट दर ईंट से पुख्ता होती आस्था, कुंआंंरी कन्याओं की पूरी हो रही कामना

कोरोना वायरस के चलते अभी लॉकडाउन है। हमारा उद्देश्य है कि आप घर बैठे ही इस पवित्र स्थल के दर्शन करें और इनके बारे में जानें।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 11:03 AM (IST)
अनदेखा लखनऊ : मन्नत की ईंट दर ईंट से पुख्ता होती आस्था, कुंआंंरी कन्याओं की पूरी हो रही कामना

लखनऊ [पवन तिवारी]। लक्ष्मणनगरी धार्मिक-सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थलों की खान है। शिवालय तो इतने कि यहां के एक क्षेत्र को छोटी काशी कहा जाता है। रामजानकी मंदिर और ठाकुरद्वारा इतने कि एक इलाका मिनी अयोध्या के नाम से मशहूर है। सिद्ध और प्राचीन दुर्गा मंदिर और हनुमान मंदिर तो इस शहर की पहचान हैं ही। इस बार हम आपको ले चलते हैं ऐसी एक सिद्ध देवी मंदिर के दर्शन कराने। कोरोना वायरस के चलते अभी लॉकडाउन है। हमारा उद्देश्य है कि आप घर बैठे ही इस पवित्र स्थल के दर्शन करें और इनके बारे में जानें।

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मनभावन। भावपूर्ण। कुछ ऐसा ही अहसास होता है मां के दर्शन के बाद। मन को भी मिलती है अद्भुत शांति। शहर से दूर मलिहाबाद में यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। ग्राम खड़ौहा ग्राम पंचायत में विराजमान माता मचौरा देवी के पावन मंदिर में बारहों मास दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। इस बार सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से यहां भक्तों का प्रवेश पूरी तरह बंद है, लेकिन हर बार नवरात्र के पावन पर्व पर यहां भीड़ की हालत ऐसी होती है कि मुट्ठीभर सरसों फेंकिए तो जमीन पर न गिरे। न केवल लखनऊ-आसपास बल्कि जिले और प्रदेश से बाहर के भक्त भी यहां आकर पूजा-अर्चना कर आध्यात्मिक ऊर्जा अर्जित कर जीवन में सुख, समृद्धि और संतुष्टि हासिल करते हैं।

मंदिर से जुड़े सेवक बताते हैं कि देवी के इस पावन स्थान को मान्यताओं का मंदिर भी कहा जाता है। महिलाएं और कन्याएं विशेष पूजन के लिए नवरात्रों में यहां आया करती हैं। कोरोना वायरस का संकट खत्म हो जाए और लॉकडाउन का दौर समाप्त हो तो मां के दरबार में आएं। सायंकालीन आरती और ढोल-मंजीरे की तान आपका मन मोह लेगी। सामान्य दिवसों में यहां संध्या आरती नियमित होती है। मंदिर के महंत भोलादास बताते हैं कि नवरात्र में देवी की विशेष उपासना की जाती है।

ईंट चढ़ाने की परंपरा

आपने किसी स्थान पर ईंट का चढ़ावा देखा है? नहीं? माता के इस दरबार में चढ़ता है ईंटों का चढ़ावा। कुंआंरी कन्याएं अपने लिए वर की कामना लेकर एक ईंट माता मचौरा देवी की मूर्ति के ऊपर से उतार कर रख देती हैं। इस ईंट को धन कहा जाता है। मन की मुराद पूरी होने के बाद विधि-विधान से माता का पूरा श्रृंगार करने के बाद वे वहां रखी ढेर सारी ईंटों में से कोई एक ऊंट उतारकर नीचे रख देती हैं। महिलाएं और अन्य भक्त भी कुछ ऐसा ही करते हैं।

कब हुई स्थापना

खड़ौहा गांव के निवासी राजू,अमित तिवारी, संतोष मास्टर,सोनू विश्वकर्मा बताते है कि कई पीढिय़ों पहले के बुजुर्गों ने गांव के बाहर बने टीले पर रखी खंडित मूर्तियों को एकत्रित कर एक चबूतरा बनवाया था। अब यह चबूतरा भव्य मंदिर का आकार ले चुका है। मौजूदा समय में मंदिर की देखरेख में महंत भोला दास करते हैं।

ऐसे पहुंचें, पर अभी न जाएं

यह पवित्र स्थान मलिहाबाद के खड़ौहा गांव में स्थित है। अभी कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन चल रहा है, इसलिए वहां न जाएं। सब कुछ सामान्य हो जाए तो दर्शन का पुण्यलाभ कमाएं।


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