सीबीएसई 10वीं रिजल्ट: किसी ने की यू-ट्यूब से तैयारी तो कोई टीचर्स टिप्स फॉलो कर आया अव्वल
दैनिक जागरण ने कुछ ऐसे सीबीएसई दसवीं के मेधावियों से बातचीत की, जिन्होंने तैयारी का यूनिक तरीका अपनाया और परीक्षा में अव्वल आए।
लखनऊ[जागरण संवाददाता]। सीबीएसई दसवीं का रिजल्ट आते ही मेधावियों के चेहरे दमक उठे। अपनी लगन और मेहनत को अंकों में बदलते देख जहा खुद पर उनका विश्वास बढ़ा, वहीं उनके अभिभावकों को भी उन पर नाज हुआ। कुछ होनहारों ने पारंपरिक रूप से पढ़ाई न कर सोशल मीडिया और यू-टय़ूब का सहारा लिया। नियमित कॉन्सेप्ट को समझना और टीचर के बताए चीजों पर गौर करना उनकी सफलता का मंत्र बना। दसवीं में जीत हासिल करके अब छात्र-छात्राएं पढ़ाई में अच्छे अंकों के आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने को तैयार हैं। दैनिक जागरण ने कुछ ऐसे ही होनहारों से बातचीत की, जो आपको बता रहा है। फॉलो करें टीचर्स टिप्स-नियमित करें पढ़ाई
सीबीएसई दसवीं की परीक्षा में 98.6 अंक हासिल करने वाली द मिलेनियम स्कूल की छात्र वाणी सिन्हा ने अपनी सफलता के पीछे नियमित पढ़ाई को मूलमंत्र बताती हैं। वाणी कहती हैं कि क्लास की पढ़ाई को गंभीरता से लें। टीचर्स टिप्स को फॉलो करें। वाणी के पिता नितीश सिंहा यूआइडीएआइ में एडीशनल डायरेक्टर व मा प्रीति सिन्हा एनटीपीसी लखनऊ में डीजीएम हैं। वह रोजाना चार से पाच घटे पढ़ाई करती हैं। वह एक कामयाब डॉक्टर बन लोगों की सेवा करना चाहती हैं।
यू-ट्यूब से बोर्ड एग्जाम की तैयारी
98 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली डीपीएस जानकीपुरम की अलीशा शर्मा ने सफलता के लिए ऐसा रास्ता ईजाद किया जो औरों से अलग था। उन्होंने यू ट्यूब की मदद से एग्जाम की तैयारी की। स्टडी कंटेंट को वीडियो फार्म में पढ़ा और समझा। टॉपर्स इंटरव्यू को ध्यान से सुना। उनका मानना है कि पढ़ाई के लिए समय को फिक्स करना ठीक नहीं। जितनी देर मन करे, उतनी देर पढ़ाई करें। अलीशा के पिता अनिल कुमार शर्मा निजी कंपनी में चीफ सेफ्टी मैनेजर व मा कुसुम शर्मा गृहिणी हैं। वह इसरो में काम करना चाहती हैं। सेल्फ स्टडी पर रहा फोकस
98.4 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले साउथ सिटी स्थित लखनऊ पब्लिक के उत्कर्ष मिश्र ने अपनी सफलता का मंत्र सेल्फ स्टडी बताया। वह रोजाना चार से पाच घटे की पढ़ाई करते हैं। उत्कर्ष का कहना है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। यदि लक्ष्य पर निगाह जमी रहे और तैयारी पुरजोर हो तो कामयाबी निश्चित है। उत्कर्ष के पिता संदीप मिश्र व मा अर्पणा मिश्र बेसिक शिक्षा परिषद में टीचर हैं। उत्कर्ष सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन तकनीकि क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहते हैं।
पढ़ाई में बरतें ईमानदारी, अच्छे आएंगे परिणाम
97 फीसद अंक पाने वाली कनिका मखीजा का मनाना है कि ईमानदारी के साथ की गई मेहनत व्यर्थ नहीं जाती। उनका मानना है बोर्ड परीक्षा से ही किसी भी छात्र की मेहनत का आकलन किया जाता है। कनिका के पिता विनय मखीजा व्यवसायी, मा पूजा मखीजा गृहणी हैं। वे कहती हैं कि एनसीईआरटी की किताबों पर ही आगे की परीक्षाएं भी निर्भर हैं।
समय रहते निर्धारित करें लक्ष्य
आप अगर समय रहते अपने लक्ष्य को निर्धारित कर लें और उसी के अनुसार तैयारी करें तो कामयाबी आसानी से मिलेगी। मेरे पिता समीर कुमार शर्मा एक बहुराष्ट्रीय विमान कंपनी में मैनेजर सेल्स हैं और मा ज्योति शर्मा गृहिणी हैं। मेरा पसंदीदा विषय साइंस और मैथ्स है। खेल में ही नहीं, पढ़ाई में भी मारा मैदान
खेल के साथ-साथ पढ़ाई पर भी अच्छे से फोकस किया। न खेल में प्रदर्शन खराब हुआ और न ही पढ़ाई में। दोनों ही जगह उन्होंने विजय पताका फहराई। सीबीएसई हाईस्कूल के रिजल्ट का रिजल्ट निकला तो बास्केटबॉल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी अंजली सिंह को 97.6 प्रतिशत अंक मिले। आरएलबी में पढ़ने वाली इस होनहार के पिता चंद्रशेखर सिंह और मा संगीता सिंह अपनी बेटी की दोहरी सफलता से बेहद खुश हैं। अंजली सिंह भविष्य में आइपीएस बनकर देश की सेवा करना चाहती हैं। अंजली ने बताया कि वह बास्केटबॉल की अंडर 16 की टीम में राष्ट्रीय स्तर की टीम में दो बार खेल चुकी हैं। वह स्कूल से सीधे खेल के मैदान में चली जाती थी और फिर वहा से रात करीब आठ बजे ही घर लौटती थी। इसके बाद कम से कम तीन घटे पढ़ाई जरूर करती थी। क्लास रूम टीचिंग पर ढंग से जोर देती थी और घर पर सिर्फ रिवीजन ही करती थी। उधर आरएलबी में ही पढ़ने वाली प्रियाशी हैड़िया ने भी सीबीएसई हाईस्कूल में 94.6 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। टेनिस की यह खिलाड़ी गोल्ड मेडल भी जीत चुकी है। वह कहती हैं कि अगर आपके भीतर जज्बा है तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है। मैं खेल व पढ़ाई को बराबर महत्व देती हूं। आगे खेल में और नाम रोशन करूंगी। मजदूर पिता का होनहार बेटा
अभिषेक विश्वकर्मा (96.2 प्रतिशत, एंथोनी पब्लिक स्कूल, पारा) के पिता दिलीप वर्मा शटरिंग का काम करते हैं। मा माधुरी गृहिणी हैं। बहन अंशिका नौवीं और भाई विवेक दसवीं कक्षा में है। किराये के मकान में रहते हैं। पिता प्रतिदिन 12 घटे जी-तोड़ मेहनत करके हमारी जरूरतें पूरी करते हैं। हम भाई-बहन की पढ़ाई अच्छे से हो सके इसलिए वर्ष 2016 में आजमगढ़ से लखनऊ आ गए। पिता ने हमेशा कहा कि किसी चीज की फिक्र न करो बस पढ़ाई पर ध्यान दो। बस वही किया। किताबों और शिक्षकों के मार्गदर्शन ने मदद की। मुझे आइपीएस अफसर बनना है।