अटल जी ने ही रखी थी आधुनिक लखनऊ की बुनियाद
अटल का लखनऊ : परंपरा में लिपटे आधुनिक लखनऊ के शिल्पी। पुराने और नए लखनऊ के समान विकास के हिमायती थे।
लखनऊ[अजय शुक्ला]। पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लखनऊ आये तो उन्होंने अटल जी को खास तौर पर याद किया था। मौका था नगर विकास से जुड़ी सरकार की तीन महत्वपूर्ण योजनाओं प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन ऑफ अरबन ट्रासफॉर्मेशन (अमृत) और स्मार्ट सिटीज मिशन की कार्यशाला के समापन का। प्रधानमंत्री मोदी का मत था कि अटल जी ने लखनऊ को 'नगर विकास की कार्यशाला' के रूप में विकसित किया।
मोदी के इस मत से शायद ही कोई लखनऊवाला असहमत हो सके। सांसद के रूप में अटल जी ने लखनऊ को एक मॉडल के रूप में विकसित किया। वह नए बसते लखनऊ के साथ पुराने लखनऊ की बराबर चिंता करते रहते थे। आज नगर विकास की जो योजनाएं चल रही हैं, उनकी नींव कहीं न कहीं लखनऊ में ही पड़ी। अटल जी के प्रयास से पारा में आश्रयहीन योजना शुरू की गई थी। आज की प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) को इसी का विस्तार कह सकते हैं। अटल जी जब 1991 में सांसद बने तो लखनऊ की आबादी आज की आधी थी, लेकिन उन्हें राजधानी की तेजी से बढ़ती आबादी का अनुमान था। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने गोमतीनगर रेलवे स्टेशन को चारबाग जैसी सुविधाओं से लैस करने का प्रस्ताव तैयार कराया। इस पर काफी काम भी हुआ। हालांकि उनकी अस्वस्थता के बाद रफ्तार कुछ धीमी पड़ गई जिसे अब पुन: तेज किया गया है। फैजाबाद रोड से अमौसी तक 'अमर शहीद पथ' के निर्माण की कल्पना उन्हीं की देन है। अब सभी महसूस करते हैं कि फैजाबाद रोड, सुलतानपुर रोड और रायबरेली रोड की ओर लखनऊ के विस्तार की आधार शिला रखना भी शहीद पथ बिना संभव नहीं होता। तब अशोक मार्ग राजधानी के व्यस्ततम मार्ग के रूप में जाना जाता था और 'पीक आवर्स' में यहां ट्रैफिक रेंगकर चलता था। अटल जी ने शहीद पथ के जरिये यहां का ट्रैफिक लोड कम करने के साथ ही इसके चौड़ीकरण का बीड़ा उठाया। यह काम आसान नहीं था। प्रबल विरोध की संभावना थी, लेकिन अटल जी का नाम आते ही सारे विरोध स्वत: सहयोग में बदल जाते थे। लखनऊ-कानपुर हाइवे का चौड़ीकरण, लखनऊ-हरदोई रोड का चौड़ीकरण, दीन दयाल स्मृतिका, निशातगंज फ्लाईओवर, कल्याण मंडप भी उनकी देन में शुमार है।
अटल जी का मानना था कि पुराने लखनऊ का विकास किये बिना नए लखनऊ का निर्माण नहीं किया जा सकता। उन्होंने चौक चौराहे का सुंदरीकरण, उसे एक रंग में रंगने का काम शुरू कराया। बाद में जब हजरतगंज के 200 साल पूरे हुए तो इसी थीम को कॉपी कर लोगों ने यहां की इमारतों को भी एक रंग में रंगने और एक जैसे साइनेज का प्रस्ताव रखा। इससे पहले उन्होंने पुराने लखनऊ का भीड़-भड़क्का कम करने के लिए शाहमीना रोड को अतिक्रमण मुक्त कराकर उसकी सड़कों का चौड़ीकरण कराया। उनके कार्यकाल में पूरे चौक में सौंदर्यीकरण का दौर चला। उसी समय केजीएमयू में साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर बना। टिकैतराय तालाब और कुड़ियाघाट का जीर्णोद्धार कराया।
आज कुड़ियाघाट एक बड़े सामाजिक मिलन स्थल के रूप में ही नहीं लखनऊ के सबसे हॉट शूटिंग स्पॉट के रूप में फिल्मकारों का फेवरिट बना है। यह चंद काम हैं जो स्मृतियों में सबसे ऊपर अंकित हैं। जबकि ऐसे तमाम काम भी है जिनकी शुरूआत उसी दौर में हुई। वह आधुनिक लखनऊ के शिल्पी थी, लेकिन उनकी आधुनिकता में हृदय परंपरा का धड़कता था। वह कांग्रेस के कार्यकाल में भी लखनऊ के विकास की चिंता किया करते थे। उन्हीं की पहल पर पुराने लखनऊ की संकरी गलियों में गहरे गढ्ढों वाली पतली सीवर लाइन की बुनियाद पड़ी। बाद में पूरे शहर के सीवरेज सिस्टम की योजना बनी। लखनऊ मेट्रो की कल्पना भी उन्हीं के कार्यकाल में आयी। हालांकि, बाद में अखिलेश सरकार ने इसकी पहल की और राजनाथ सिंह ने पिछले साल सितंबर में जब इसे औपचारिक तौर पर जनता को सौंपा तो इसे अटल जी को समर्पित कया।
लखनऊ को अटल की देन :
-अमर शहीद पथ
-गोमतीनगर टर्मिनल
-कन्वेंशन सेंटर चौक
-नया पासपोर्ट दफ्तर
-कल्याण मंडप
-कूड़ा प्रबंधन योजना बरावनकलां
-पारा में आश्रयहीन कॉलोनी
-अशोक मार्ग का चौड़ीकरण
-शाहमीना रोड चौड़ीकरण
-लखनऊ-कानपुर व लखनऊ हरदोई मार्ग चौड़ीकरण
-दीनदयाल उपाध्याय स्मृतिका
-निशातगंज फ्लाईओवर
-चौक का सौंदर्यीकरण
-टिकैतराय तालाब का जीर्णोद्धार
-कुड़ियाघाट का सौंदर्यीकरण