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जागरण संवादीः स्टोरी टेलर नीलेश की कहानियों ने दर्शकों को छेड़ा और गुदगुदाया

नीलेश मिसरा की कल्पनाओं के नगर याद जिंदगी और मौत की कहानी थी। रिश्तों के झंझावतों को नीलेश ने कहानी के मार्फत दर्शकों से दो-चार करवाया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 04 Nov 2017 10:20 PM (IST)Updated: Sat, 04 Nov 2017 10:33 PM (IST)
जागरण संवादीः स्टोरी टेलर नीलेश की कहानियों ने दर्शकों को छेड़ा और गुदगुदाया

लखनऊ (जेएनएन)। नीलेश मिसरा की कल्पनाओं के नगर याद शहर में आज जिंदगी और मौत की कहानी थी। रिश्तों का तानाबाना और उसके झंझावतों को नीलेश ने अपनी कहानी के मार्फत दर्शकों से दो-चार करवाया। कहानी बताती है कि किस तरह से एक मासूम जिंदगी बस जाने को है मगर उसको बचाने की जद्दोजहद में मौत को जिंदगी उसकी असली मंजिल तक पहुंचाती है। मौत उनको मिलती है, जिनको इसकी सही जरूरत थी। ये वो दो लोग थे जिन्होंने दूसरों की जिंदगी लेकर खुद को बचा हुआ मान लिया था। तीसरे वह बुजुर्ग जो अब मौत को पुकार रहे थे, मगर जिंदगी उनका दामन नहीं छोड़ रही थी।

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 जागरण संवादी के दूसरे दिन चौथे सत्र में कहानीकार, स्टोरी टेलर नीलेश मिसरा के लाइव शो में संजीदगी और रूमानियत के फ्यूजन ने सभी का दिल मोहा। नीलेश ने अपनी पहली कहानी मौत-जिंदगी के जरिये सभी को सोचने के लिए मजबूर किया, वहीं दूसरी कहानी 'डियर हसबैंड डियर वाइफ के जरिये गुदगुदाते हुए रिश्ते की मधुरता से दोचार करवाया। उनके साथ सहगायिका प्रियंका भट्टाचार्य ने सुरीले गीतों के जरिये इस शो को और भी असरदार बनाने में अपनी भूमिका बखूबी निभाई।नीलेश का शो शुरू होने से पहले ही पूरा हाल भरा हुआ था। यहां आगाज प्रियंका ने अपने गीत 'नयना तोरी बोली बोलें, कैसी कैसी करें बातें.... ' से किया। 

दर्शक ये मान कर चल रहे थे कि नीलेश उनके सामने आएंगे, मगर वे दर्शकों के ठीक पीछे से माइक हाथ में लिये और अपनी बातें कहते हुए जैसे-जैसे मंच की ओर बढ़े तालियों के शोर से हाल गूंजने लगा। अपने आपको लल्लन के किरदार में ढालते हुए नीलेश ने गाया... 'खबर कर दो रे शहर में चला लल्लन हीरो बनने, मन में मुरारी है दिल में कटारी है, नयनों में सपना निराला...। ' इसके बाद खुद को प्रशंसकों से जोड़ते हुए नीलेश ने अपनी पहली कहानी 'मौत-जिंदगी ' से स्टोरी टेलिंग का आगाज किया। '...ये कहानी है 11 साल के अनवर की है जो आज ही अपना 11वां जन्मदिन मना रहा है। कमरुद्दीन और रेहाना का इकलौता बेटा एक न ठीक होने वाली बीमारी से जूझ रहा है। आज उसका जन्मदिन मनाया जा रहा है, मगर घर के बाहर सफेद कमीज और नीली पैंट पहने मौत उसको लेने के लिए आई। मगर पीले सलवार सूट में खड़ी जिंदगी इसके लिए तैयार नहीं। दोनों के बीच समझौता होता है कि जिंदगी उसको अनवर के बदले तीन मौत देगी। मौत के लिए किरदारों की तलाश शुरू होती है। पहली पेशकश जिंदगी की ओर से एक बलात्कारी की होती है और दूसरी एक ऐसे कैमरामैन की, जिसने एक किसान को उकसाकर आत्मदाह के लिए मजबूर कर दिया था। वह किसान मर जाता है। दोनों की जान लेकर जब जिंदगी मौत को तीसरे शिकार की ओर ले जा रही होती है, तभी मौत कहती है कि उसको ऊपर से आदेश आया है कि किसी की जिदंगी बख्शने के लिए नियम है कि उसी घर से दूसरी जिदंगी ली जाए। इसके बाद मौत जब अनवर के घर पहुंचती है तो अनवर की जगह उसके बाबा को अपने साथ ले जाती है। 

चिट्ठियों में हसबैंड वाइफ ने कुछ यूं कही दिल की बात

पहली कहानी की संजीदगी से गंभीर हुए दर्शकों को कुछ सामान्य करने के लिए नीलेश ने अपनी दूसरी कहानी सुनानी शुरू की। कहानी का नाम था-डियर हसबैंड-डियर वाइफ-। इसमें एक पत्नी अपने पति को दूसरे कमरे बंद कर देती है। एक कागज और कलम देती है और कहती है कि वह अपने दिल की बातें उसके लिए खत के तौर पर लिखें। यही काम वह खुद भी दूसरे कमरे में बैठ कर अपने पति के लिए भी कर रही है। पत्नी को टीवी के एक शो के जरिये ये तरकीब मिली थी, जिसमें बताया गया था कि शादी के तीन साल के बाद पति और पत्नी एक दूसरे से बोर हो जाते हैं। ऐसे में उनको दोबारा लव लेटर्स लिखने चाहिए। इसलिए डियर हसबैंड और डियर वाइफ के संबोधन से ये लेटर लिखे जाते हैं। पत्नी कहती है कि 'तुम अब पहले जैसे नहीं रहे। मैंने तुम्हारे के लिए नौकरी नहीं की। बीएड किया था फिर भी घर बैठ गई। तुम शाम को मुझसे रोज घर पर ही मिल सको इसलिए टहलने नहीं जाती हूं। जवाब में पति लिखते हैं कि 'तुम बहुत बहन जी टाइप हो। कभी जींस भी पहन लिया करो भले ही जब मेरे पापा आए तो तुम साड़ी और चूड़ा पहन लिया करो। जब तुम गर्लफ्रेंड थीं तब मेरे लिए खुद को बदलने को राजी थीं। तुम क्या हर लड़की ही कुछ ऐसी ही होती है। जो चाट बताशे खाती हैं वे ब्वॉय फ्रेंड के लिए चाइनीज खाने लगती हैं। ऐसा ही जवाब पत्नी पति को भी देती है। कहती है कि 'तुम लड़के जब ब्वॉय फ्रेंड होते हो तब 20 किमी बाइक चलाकर पांच मिनट के लिए मिलने आते हो। अगर लड़की का मन जलेबी खाने का हो तो रात में हलवाई को जगाकर जलेबी बनवा सकते हो, मगर शादी के बाद अगर मुझे सैंडिल भी खरीदनी हो तो मेरे साथ जाना गंवारा नहीं होता। इन्हीं कश्मकश के बीच आखिरकार इन चिट्ठियों की रोमांटिक हैप्पी एंडिंग होती है।

मैंने दिल से कहा, ढूंढ लाना खुशी

नीलेश मिसरा ने न केवल कहानी के जरिये दर्शकों को खुद से जोड़ा साथ ही अपने लिखे फिल्मी गीतों से वाहवाही बटोरी। रोग फिल्म का गीत मैंने दिल से कहा ढूंढ़ लाना खुशी.... के जरिये बड़े ही नाजुक अंदाज में उन्होंने युवा दिलों को छुआ। उनकी साथी सिंगर प्रियंका ने जिस्म फिल्म में नीलेश के लिखे गीत जादू है नशा है, मदहोशियां... गाया। आखिरकार दर्शकों की फरमाइश पर नीलेश ने आखिर में बर्फी फिल्म के गीत यूं क्यों हम तुम... से इस लाइव शो का शानदार समापन किया। नीलेश के इस लाइव शो में संगीत संचालन अफजल और आरिफ ने किया।

बेटा तुम्हारे गीत सुन तो लेंगे देख नहीं सकेंगे

नीलेश मिसरा के पिता एसबी मिश्र और उनकी माता इस शो में मौजूद रहीं। नीलेश ने जिस्म फिल्म के गीत जादू है नशा... को लेकर एक संस्मरण सुनाया कि उनके पिता कहते थे कि बेटा हम तुम्हारा लिखा गाना सुन तो लेते हैं मगर देख नहीं पाते हैं।


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