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थानों में ही खड़ी मिली चोरी की गाड़ियां, मालिकों को सौंपे कागजात

डीसीआरबी ने सभी थानों में खड़ी गाडिय़ों का किया मिलान तो सामने आई हकीकत। एसएसपी ने पुलिस लाइन में गाड़ी मालिकों को सौंपे कागजात।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 07:55 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 07:55 PM (IST)
थानों में ही खड़ी मिली चोरी की गाड़ियां, मालिकों को सौंपे कागजात

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी के थानों में ही चोरी हुईं 74 गाडिय़ां खड़ी मिलीं। एसएसपी कलानिधि नैथानी के निर्देश पर डीसीआरबी ने जब थानों में खड़ी सभी गाडिय़ों का मिलान किया तो यह हकीकत सामने आया। इसके बाद सोमवार को पुलिस लाइन में इन गाड़ी मालिकों को चिंहित कर उन्हें बुलाया गया, जहां एसएसपी ने लोगों को कागजात सौंपे। 

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एसएसपी के मुताबिक कुछ दिन पहले विकासनगर थाने का निरीक्षण किया गया था। इस दौरान थाना परिसर में बड़ी संख्या में एमवी एक्ट में सीज खड़ी गाडिय़ां देखी गईं। पूछने पर पता चला था कि सीज गाडिय़ों के मालिक वाहन लेने वापस नहीं आए थे। इसपर खड़ी गाडिय़ों का मिलान करने के निर्देश दिए गए। मिलान के दौरान पता चला कि थाने में खड़ी चार गाडिय़ां चोरी की हैं। इसकी जानकारी होने पर एसएसपी सभी थानों में खड़े वाहनों का मिलान करने के लिए डीसीआरबी को निर्देशित किया था। इसी क्रम में तीन ई-रिक्शा, एक बोलेरो, एक टाटा मैजिक और 69 बाइक चोरी की निकलीं। बरामद गाडिय़ों में वर्ष 2012 से चोरी हुई गाड़ी भी है, जिसमें पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी।

प्रदेश के सभी थानों में चले अभियान
एसएसपी ने कहा कि सीज वाहनों पर यह ध्यान नहीं दिया जाता है कि गाडिय़ां चोरी की भी हो सकती हैं। अगर प्रदेश के सभी थानों में एआरटीओ और पुलिस की ओर से दाखिल गाडिय़ों पर यह अभियान चलाया जाए तो करीब पांच हजार से अधिक वाहन उनके मालिकों को मिल सकते हैं।

नए स्क्वॉड का किया गठन
एसएसपी ने इस पहल को जारी रखने के लिए एक स्क्वॉड का गठन किया है। इसमें दो इंस्पेक्टर व सिपाही तैनात किए गए हैं, जिन्हें आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। यह टीम सार्वजनिक स्थानों, पार्किंग, मॉल व अन्य जगहों पर खड़ी गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन नंबर का मिलान करेंगे। इससे पुष्टि होगी कि खड़ी गाड़ी चोरी की हुई तो नहीं है।

बीमार मां के लिए खून लेने गया था, चोरी हो गई थी गाड़ी
पुलिस लाइन में गाड़ी से संबंधित कागजात लेने आए मनीष ने बताया कि वर्ष 2016 में उनकी मां यशोदा की तबीयत खराब थी। मां को उन्होंने केजीएमयू में भर्ती कराया था। डॉक्टरों के कहने पर वह मां को चढ़ाने के लिए खून की व्यवस्था करने गए थे। इसी बीच चोरों ने उनकी एक्टिवा चोरी कर ली। मनीष ने भावुक होकर बताया कि समय से गाड़ी चोरी होने के कारण समय से वह खून लेकर अस्पताल नहीं पहुंच पाए थे और उनकी मां की मौत हो गई थी। चौक कोतवाली में एफआइआर कराई थी। पुलिस की पड़ताल में एक्टिवा हजरतगंज कोतवाली में खड़ी मिली।


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