KGMU : चोट या सड़न से खराब हो चुके दांतों में स्टेम सेल थेरेपी से आएगी जान Lucknow News
केजीएमयू में डेंटल कॉन्फ्रेंस केविटी भरने के लिए चांदी के स्थान पर रेजिन का होगा प्रयोग। संस्थान में चल रहे शोध का परिणाम होगा उत्साहवर्धक।
लखनऊ, जेएनएन। चोट लगने या सडऩ से खराब हो चुके दांत में भी जान आ सकती है। स्टेम सेल थेरेपी से यह नए दांत की तरह हो जाएंगे। केजीएमयू में चल रही डेंटल कॉन्फ्रेंस (आइएसीडीई) के दूसरे दिन यह जानकारी डॉक्टरों ने दी।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के डॉ. अनिल चंद्रा ने बताया कि भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) के साथ शोध चल रहा है। इसके परिणाम काफी उत्साहवर्धक हैं। डॉ.चंद्रा ने बताया कि चोट लगने या कैविटी के चलते दांत डेड हो जाता है। ऐसे में उसी व्यक्ति केरक्त से फाइब्रिन पृथक कर इंजेक्ट किया जाता है, जिससे मृत हो चुकी नसें पुन: जीवित हो जाती हैं और मृत हो चुके दांत में जान आ जाती है। आइआइटीआर के साथ इस पर शोध भी जारी है। शोध में देखा जा रहा है कि फाइब्रिन दांत की डेंटीन व हड्डी निर्माण में भी सहयोगी है।
आरसीटी में केमिकल नहीं, लेजर उपयोगी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के डॉ. सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि आरसीटी करने के लिए कैनाल की सफाई करनी होती है। इसके लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें तीन-चार दिन अस्पताल आना पड़ता है। लेकिन लेजर का इस्तेमाल कर महज एक ही बार में इस कार्य को किया जा सकता है।
चांदी की जगह सफेद रेजिन
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दांत में कैविटी भरने के लिए अब चांदी का प्रयोग नहींं किया जा सकेगा। कारण यह है कि चांदी में मरकरी होती है, जो पर्यावरण के साथ-साथ सेहत के लिए भी हानिकारक है। इसके स्थान पर सफेद रेजिन का प्रयोग किया जा रहा है। गाजियाबाद की डॉ. सोनाली तनेजा ने यह जानकारी दी।
केजीएमयू को मिला तीसरा स्थान
कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न डेंटल कॉलेजों के 300 स्टूडेंट्स ने रिसर्च पेपर व पोस्टर प्रदर्शित किए। पोस्टर में प्रथम, द्वितीय स्थान रोहतक डेंटल कॉलेज को व तीसरा स्थान केजीएमयू के स्टूडेंट को मिला।