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राम मंदिर मामले में कोई अध्यादेश आया तो सुप्रीम कोर्ट जाएगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

आल इंडिया मुस्लिम ला बोर्ड की ओर से कहा गया कि राम मंदिर पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला कौम को मंजूर होगा। तीन तलाक शरीयत और महिलाओं के खिलाफ है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 06:09 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 08:25 PM (IST)
राम मंदिर मामले में कोई अध्यादेश आया तो सुप्रीम कोर्ट जाएगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

जेएनएन, लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि राम मंदिर पर उसे और कौम को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर होगा। यदि सरकार राम मंदिर को लेकर अध्यादेश लाएगी तो बोर्ड उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। बोर्ड की ओर से मांग की गई कि मामले की सुनवाई के दौरान जो लोग धर्म संसद और अन्य आयोजनों के जरिये दबाव बना रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट और सरकार उसका संज्ञान लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई करे।

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राम मंदिर पर कोर्ट के अलावा किसी भी विकल्प को चुनौती 

रविवार को नदवा कॉलेज में मौलाना राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड की बैठक के बाद पत्रकारवार्ता में बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी, कासिम रसूल इलियास, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और डॉ. आस्मा जहरा ने कहा कि राम मंदिर मसले पर सुप्रीम कोर्ट के अलावा किसी भी विकल्प को बोर्ड शीर्ष अदालत में चुनौती देगा। हम संसद को कानून लाने से नहीं रोक सकते पर कानून की व्याख्या और औचित्य का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को है। मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हुई धर्म संसद और ऐसे आयोजनों पर कौम की खामोशी के सवाल पर कहा कि हमारी मस्जिद शहीद हुई, उसके बाद भी अगर हम खामोश हैं तो यह न्यायपालिका और लोकतंत्र के प्रति हमारे यकीन का प्रमाण है।

तीन तलाक पर अध्यादेश को शीर्ष अदालत में देंगे चुनौती

जिलानी व बोर्ड के अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि तीन तलाक पर कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ और कौम की महिलाओं के हित में नहीं है। अगर हमारी परंपराओं में कोई कमी है, उनमें सुधार की जरूरत है तो हमें उस पर बहस कर रायशुमारी करने और उसके अनुसार संशोधन में कोई हर्ज नहीं है। यह प्रक्रिया बड़े शहरों और प्रमुख प्रदेशों से शुरू भी हो चुकी है। आगे हम इन मुद्दों पर होने वाली बहसों में समाज के अन्य प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को भी शामिल करेंगे। साथ ही छोटे शहरों में भी इन पर बहस होगी। बोर्ड अन्य दलों से मदद मांगेगा कि वे तीन तलाक के अध्यादेश को न पारित होने दें। जरूरत हुई तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।

सार्वजनिक होंगे दारुल कजा के फैसले

पत्रकारवार्ता में शरिया कोर्ट दारुल कजा को बेहद सफल बताते हुए कहा गया कि कम खर्चे और कम समय में फैसला देना इन अदालतों की खूबी है। दारुल कजा ने अब तक कितने फैसले किये हैं, इसे भी सार्वजनिक करने का निर्णय लिया गया। 

मुस्लिम लड़कियों के धर्मांतरण का करेंगे विरोध

एक सवाल के जवाब में बोर्ड के प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर भगवा एजेंडे के तहत मुस्लिम लड़कियों को बहकाकर कुछ लोग उनका धर्म परिवर्तन कर शादियां कर रहे हैं तो यह कानूनन जुर्म है। हम इसका विरोध करते हैं। ऐसी शिकायतों का बोर्ड संज्ञान लेगा। वैसे अंतरजातीय विवाह मौजूदा समय में किसी कौम की नहीं पूरे समाज की समस्या है।

अयोध्या मामले में अध्यादेश लाना कोर्ट की गरिमा के खिलाफ 

लखनऊ में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बैठक में अयोध्या मामले में सरकार द्वारा किसी भी अध्यादेश को लाने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले का देवबंदी उलमा ने समर्थन किया है। उनका कहना है कि अध्यादेश लाना न्यायालय की गरिमा के खिलाफ है। बोर्ड के इस फैसले पर जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मौलाना हसीब सिद्दीकी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल-लॉ-बोर्ड देश के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए हम बोर्ड के हर फैसले का समर्थन करते है। मुस्लिम पर्सनल-लॉ-बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मुफ्ती अरशद फारुकी ने कहा कि कोर्ट के फैसले का सभी को इंतजार करना चाहिए।


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