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राज्य सरकार की खनन नीति को हाईकोर्ट की हरी झंडी

सरकार प्रत्येक जिले में खनन विभाग की कमेटी खनन एरिया व खनिज मात्रा का निर्धारण कर रायल्टी जमा करने के बाद ई-टेंडरिंग से छह माह के लिए खनन परमिट जारी करेगी।

By Ashish MishraEdited By: Published: Mon, 01 May 2017 08:37 PM (IST)Updated: Mon, 01 May 2017 08:37 PM (IST)
राज्य सरकार की खनन नीति को हाईकोर्ट की हरी झंडी

इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की खनन नीति को मंजूरी दे दी है। जिलाधिकारी शार्ट टर्म परमिट के लिए आवेदन स्वीकार करेंगे। यह प्रक्रिया 15 मई तक पूरी हो जाएगी। वहीं, इस मामले को लेकर गुलाब चंद्र व दर्जनों विचाराधीन याचिकाओं को भी निस्तारित कर दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने दिया है।

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महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार प्रत्येक जिले में खनन विभाग के अधिकारियों की कमेटी गठित करेगी और कमेटी खनन एरिया व खनिज मात्रा का निर्धारण कर रायल्टी जमा करने के बाद ई-टेंडरिंग से छह माह के लिए खनन परमिट जारी करेगी। 22 अप्रैल के शासनादेश से कहा गया है कि खनन परमिट देने में नियम 9-ए के तहत किसी को वरीयता नहीं दी जाएगी। 15 जून के बाद राज्य सरकार पर्यावरण अनापत्ति लेकर पांच साल के लिए ई-टेंडरिंग से खनन पट्टा देगी।

इस पट्टे का नवीनीकरण नहीं होगा। अवधि पूरी होने पर नए सिरे से खनन पट्टा दिया जाएगा। राज्य सरकार की नई नीति के बाद अब खनन पर लगी रोक खत्म हो गई है। महाधिवक्ता ने बताया कि प्रत्येक जिलाधिकारी शार्ट टर्म परमिट के लिए आवेदन स्वीकार करेंगे। यह प्रक्रिया 15 मई तक पूरी हो जाएगी। मानसून में एक जुलाई से 30 सितंबर तक किसी प्रकार का खनन नहीं होगा। छह माह बाद परमिट जारी नहीं होगा। नियमावली में जरूरी संशोधन किए जा रहे हैं।

याची के वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी सिंह शेखर ने आशंका जाहिर की कि खनिज की मात्रा से अधिक का खनन नहीं होगा। इसकी निगरानी कौन करेगा तथा यह आम आदमी की पहुंच से दूर होगा। महाधिवक्ता ने कहा कि तय क्षेत्र व नियत मात्रा से अधिक खनन की अनुमति नहीं हो। इससे राजस्व में वृद्धि के साथ चोरी पर अंकुश लगेगा।
 


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