SPI Report: सामाजिक प्रगति करने में 31वें स्थान पर उत्तर प्रदेश, राज्य की आधी आबादी की ही जरूरतें हो पाईं पूरी
SPI Report- देश की सामाजिक प्रगति के लिए प्रधानमंत्री को आर्थिक सलाह देने वाली काउंसिल (ईएसी-पीएम) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें देश के प्रत्येक राज्य को सामाजिक प्रगति के मामले में एक रैंक दी गई है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। साल बीतने के साथ ही यह समीक्षा की जा रही है, इस वर्ष हमारे देश ने क्या-क्या हासिल किया और विकास का ग्राफ कितना घटा या बढ़ा है। इसके लिए विभिन्न एजेंसियां अपनी अपनी रिपोर्ट जारी कर रही हैं। इसी बीच एक और रिपोर्ट जारी हुई है, जिसमें देश में होने वाले सामाजिक विकास की दर को दर्शाया गया है।
देश की सामाजिक प्रगति के लिए प्रधानमंत्री को आर्थिक सलाह देने वाली काउंसिल (ईएसी-पीएम) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें देश के प्रत्येक राज्य को सामाजिक प्रगति के मामले में एक रैंक दी गई है। इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को 31वां स्थान मिला है।
ईएसी-पीएम की इस रिपोर्ट का नाम सामाजिक प्रगति सूचकांक (Social Progress Index) है। इस सूचकांक को तैयार करने के लिए तीन आयामों को आधार बनाया गया है। यह मापदंड जनता की बुनियादी जरूरतें, कल्याण की नींव और चुनौती हैं। इन तीनों आयामों के तहत चार-चार प्रमुख अवयव शामिल किए गए हैं।
49.16 प्वाइंट लेकर 31वें स्थान पर उत्तर प्रदेश
सामाजिक प्रगति के लिए आवश्यक कुल 12 तरह के आयामों में देश के राज्यों की रैंकिंग की गई है। हैरानी की बात है कि जनसंख्या की दृष्टि से देश में पहले स्थान पर आने वाला उत्तर प्रदेश सामाजिक प्रगति सूचकांक में 49.16 प्वाइंट लेकर 31वें स्थान पर आया है। बता दें कि इस इंडेक्स में पहले स्थान पर पांडिचेरी को 65.99 प्वाइंट मिले हैं, वहीं अंतिम पायदान पर आने वाले राज्य झारखंड को 43.95 प्वांइट मिला है।
इंडेक्स रैंकिंग के पांचवे स्तर पर प्रदेश
इंडेक्स की रैंकिंग को 6 स्तरों में बांटा गया है, जिनमें सबसे पहला स्तर अति उच्च सामाजिक प्रगति, दूसरा उच्च सामाजिक प्रगति, तीसरा ऊपरी मध्य सामाजिक प्रगति, चौथा निम्न मध्य सामाजिक प्रगति, पांचवा निम्न सामाजिक प्रगति और छठवां बहुत कम सामाजिक प्रगति स्तर है। सामाजिक प्रगति के इस सूचकांक में उत्तर प्रदेश पांचवें निम्न सामाजिक प्रगति स्तर पर पहुंचा है। उत्तर प्रदेश के साथ इस स्तर में शामिल ओडिशा और मध्य प्रदेश राज्य भी शामिल हैं।
इन आयामों और अवयवों पर हुआ राज्यों का मूल्यांकन
सामाजिक प्रगति सूचकांक को तैयार करने के लिए काउंसिंल ने 3 आयाम और इनके 12 अवयवों को आधार बनाया है। पहला आयाम ‘बुनियादी मानवीय आवश्यकताएं’ है, इसमें शामिल चार अवयव (i) पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल, (ii) पानी और सफाई व्यवस्था, (iii) आश्रय और (iv) व्यक्तिगत सुरक्षा हैं।
दूसरा आयाम कल्याण की नींव है, इसमें शामिल चार अवयव (i) बुनियादी ज्ञान तक पहुँच, (ii) सूचना और संचार तक पहुँच, (iii) स्वास्थ्य और कल्याण और (iv) पर्यावरणीय गुणवत्ता हैं।
इसी प्रकार तीसरा आयाम चुनौती है, जिसमें अववयवों के रूप में (i) व्यक्तिगत अधिकारों, (ii) व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, (iii) समावेशिता और (iv) उन्नत शिक्षा तक पहुंच को शामिल किया गया है।
उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन औसतन सामान्य
इन तीनों आयामों और अवयवों में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन औसतन सामान्य ही रहा। केवल दो अवयवों में पेयजल की उपलब्धता और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत आवास प्रदान करने में बेहतर प्रदर्शन किया है।
यह भी जानना जरूरी
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस एंड सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव के साथ आज ईएसी-पीएम द्वारा अनिवार्य भारत के राज्यों और जिलों के लिए सामाजिक प्रगति सूचकांक जारी किया। यह रिपोर्ट 2015-16 के बाद से कुछ प्रमुख संकेतकों के प्रदर्शन में बदलाव का मूल्यांकन करके, रिपोर्ट भारत में सामाजिक प्रगति की एक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करती है।
इसके अलावा, रिपोर्ट देश के 112 आकांक्षी जिलों द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डालती है, जिससे उन्हें अपने सामाजिक प्रगति पर नजर रखने और उन क्षेत्रों को समझने में मदद मिलती है, जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।