यूपी में अब स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी होगी दूर, सीधे लेवल टू पर भर्ती होंगे पीजी पास विशेषज्ञ
उत्तर प्रदेश में अब स्नातकोत्तर (पीजी) की पढ़ाई करने वाले विशेषज्ञ योग्यताधारी डॉक्टर सीधे चिकित्साधिकारी ग्रेड दो (लेवल टू) के पद पर भर्ती होंगे। उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नियमावली 2020 को यूपी कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में अब स्नातकोत्तर (पीजी) की पढ़ाई करने वाले विशेषज्ञ योग्यताधारी डॉक्टर सीधे चिकित्साधिकारी ग्रेड दो (लेवल टू) के पद पर भर्ती होंगे। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नियमावली 2020 को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी। अभी तक प्रदेश में सिर्फ एमबीबीएस चिकित्सकों की ही उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से लेवल वन के पद पर सीधी भर्ती का प्रावधान था। ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं मिल पा रहे थे। विशेषज्ञ डॉक्टरों के करीब 65 प्रतिशत पद खाली हैं। अब इस नई नियमावली के लागू होते ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी। वहीं कैडर का विभाजन नहीं किया गया है।
उत्तर प्रदेश में प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) संवर्ग के अंतर्गत चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में चिकित्सकों के कुल 19,011 पद हैं। इसमें एमबीबीएस चिकित्सकों के 10,580 और विशेषज्ञ चिकित्सकों के 8,431 पद सृजित हैं। अभी तक उप्र लोक सेवा आयोग ही लेवल वन पर सीधी भर्ती करता था, विशेषज्ञ डॉक्टरों की सीधी भर्ती का कोई प्रावधान नहीं था। एमबीबीएस डॉक्टरों की तरह ही विशेषज्ञों को भी लेवल वन पर भर्ती कर दिया जाता था। ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 8,431 में से सिर्फ 2,922 पद भरे हुए हैं। यानी 65 प्रतिशत पद खाली हैं।
अब नई नियमावली के लागू होते ही उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा विशेषज्ञ डॉक्टरों की सीधी भर्ती लेवल टू पर की जाएगी। यह वरिष्ठ चिकित्साधिकारी के पद पर भर्ती होंगे। विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती के लिए सरकार ने इससे पहले वॉक इन व बिडिंग मॉडल आदि के प्रयोग किए थे, लेकिन आंशिक सफलता ही मिली थी। अब इस प्रयोग से विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर होने की उम्मीद है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों को लेवल थ्री तक प्रशासनिक कार्यों की बजाए केवल क्लीनिकल कार्यों में ही लगाया जाएगा। लेवल थ्री के पद पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा अधीक्षक, डिप्टी सीएमओ व परामर्शदाता भी अपने गृह जिले में तैनाती पा सकेंगे। अभी तक राजपत्रित अधिकारियों को यह छूट नहीं थी। पीएमएस एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.सचिन वैश्य ने इसे अच्छा कदम ठहराते हुए कहा कि इससे निश्चित रूप से विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर होगी।