100 बेड से हुई थी शुरूआत अब 4400 का है इंतजाम, अंग्रेजों ने रखी थी KGMU की नींव
गणतंत्र दिवस पर विशेष : किंग जार्ज पंचम के आगमन पर वर्ष 1905 में रखी गई थी केजीएमयू की नींव। एशिया के सबसे अधिक बेड वाला अस्पताल केजीएमयू अब एम्स बनने की राह पर।
लखनऊ, जेएनएन। किंग जार्ज पंचम के राजधानी में आगमन पर वर्ष 1905 में अंग्रेजों ने अस्पताल की नींव रखी। इसके निर्माण पर करीब 10 लाख 75 हजार 806 रुपये खर्च हुए। इसका नाम किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज रखा गया। आज इस संस्थान से एमबीबीएस की डिग्री लेकर निकले करीब 20 हजार से अधिक विद्यार्थी देश ही नहीं विश्व में अपना डंका बजा रहे हैं। इन्हें पूरी दुनिया में लोग जार्जियन के नाम से जानते हैं। केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट कहते हैं कि हर साल यहां करीब 16 लाख लोग ओपीडी में डॉक्टरों को दिखाने आते हैं। अब इस संस्थान का वार्षिक बजट करीब 850 करोड़ रुपये का है। अब यह एशिया का सबसे बड़ा 4400 बेड वाला अस्पताल है।
कॉलेज से बना विश्वविद्यालय
यह संस्थान मेडिकल कॉलेज से मेडिकल यूनिवर्सिटी में 16 सितंबर 2002 को तब्दील हुई। जब वर्ष 1916 में पहले अकादमिक सत्र में एमबीबीएस की 33 सीटें थी जो बढ़कर अब 250 हो गईं।
तीन भवन से हुई शुरूआत अब 50 भवन
केजीएमयू परिसर में सबसे पहले म'छी भवन था, जिसे अब ब्राउन हाल के नाम से जानते हैं। वहीं अस्पताल की शुरूआत गांधी वार्ड व क्वीन मेरी बनाकर की गई लेकिन अब यहां करीब 50 भवन हैं।
सौ बेड से शुरूआत अब 4400 हुए
क्वीन मेरी व गांधी वार्ड में 100 बेड से अस्पताल शुरू हुआ। वहीं अब केजीएमयू में कुल 79 विभाग हैं और इसमें कुल 4400 बेड हैं।
केजीएमयू खास-खास
- 150 एकड़ में फैला है परिसर
- 50 के करीब भवन हैं कैंपस में
- 79 विभाग यहां संचालित हो रहे
- 4400 बेडों वाला अस्पताल
- 400 बेड का ट्रामा सेंटर
- 556 संकाय के पद, शिक्षक करीब 500 तैनात हैं
- 750 सीनियर व जूनियर रेजीडेंट
- 5 हजार के करीब कर्मचारी
- 250 एमबीबीएस की सीटें
- करीब एक साल में 15 लाख मरीज करवाते हैं इलाज
- 17 विभागों में एमडी की 169 सीटें
- चार विभागों में एमएस की 34 सीटें
- 17 सीटें डीएम व 25 सीटें एमएस
- 27 डिप्लोमा सीटें, 50 सीटें डिप्लोमा पीएचएमएस, 27 सीटें एमडीएस
- 440 सीटें पैरामेडिकल कोर्स
- 100 सीटें बीएससी नर्सिंग, 50 एमएससी नर्सिंग व पांच सीट बीएससी रेडियोथैरेपी
- 70 के करीब आपरेशन थियेटर व 20 माड्यूलर ओटी
विश्व फलक पर छाए हमारे जार्जियन
केजीएमयू से पढ़ाई करके निकले जार्जियन पूरी दुनिया में यहां का डंका बजा रहे हैं। एक से बढ़कर एक डॉक्टर जिन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा काम किया है। यही नहीं कई विद्यार्थी व शिक्षक एम्स में निदेशक भी बनें। ऐसे में केजीएमयू के गौरवशाली दामन में एक से बढ़कर एक सितारे टंके हुए हैं। जो इसकी चमक व दमक को पूरी दुनिया में बिखेर रहे हैं।
मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट व मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने वर्ष 1963 में यहीं से एमबीबीएस किया। वहीं एसजीपीजीआइ के मशहूर न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. सुनील प्रधान भी केजीएमयू के विद्यार्थी रहे हैं। इसके अलावा देश भर में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) में भी यहां से पढ़कर निकले विद्यार्थी और शिक्षक निदेशक पद पर कार्यरत हैं या फिर कार्यरत रह चुके हैं।
एम्स पटना के निदेशक पद पर केजीएमयू के स्टूडेंट रहे व आर्थोपेडिक विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. जीके सिंह कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा सर्जरी विभाग के प्रो. संदीप कुमार एम्स भोपाल के निदेशक रहे हैं। वर्तमान में एम्स ऋषिकेश व जम्मू एंड कश्मीर के निदेशक प्रो. रविकांत तो केजीएमयू के 2014 से लेकर 2017 तक कुलपति भी रहे। वर्तमान कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने भी यहीं से एमबीबीएस किया है। ऐसे में जहां से पढ़े उसी गुरुकुल के मुखिया होने का सौभाग्य भी यहां के पूर्व छात्रों को प्राप्त है। इसके अलावा केजीएमयू के आंको सर्जरी विभाग के प्रोफेसर संजीव मिश्रा एम्स जोधपुर में निदेशक हैं और इन्हें एम्स गोरखपुर का भी चार्ज मिला है।
केजीएमयू के डीन पैरामेडिकल प्रो. विनोद जैन कहते हैं कि यहां से पढ़कर निकले विद्यार्थी पूरी दुनिया में छाए हुए हैं। न्यूरो सर्जरी के हेड रहे प्रो. पीके टंडन एम्स दिल्ली के निदेशक रहे, इसी तरह मशहूर न्यूरो सर्जन डॉ. डीके छाबड़ा व कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मंसूर हसन ने भी यहीं से विद्या रूपी अमृत का पान किया है।
यूके व अमेरिका में जार्जियन का एल्युमिनाई एसोसिएशन
केजीएमयू का एल्युमिनाई एसोसिएशन यूनाइटेड किंगडम (यूके) व अमेरिका में आपी (एएपीआइ) नाम से है। अमेरिका में अभी तक डॉ. अशोक मंगल, डॉ. बीरबल चंद्रा, डॉ. चंपा रतन सहित 483 मेंबर हैं, जिन्होंने केजीएमयू से पढ़ाई की। इसी तरह यूके में डॉ. एमडी अग्रवाल, डॉ. एम अहमद, डॉ. एसके अहूजा सहित 183 मेंबर हैं।