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भस्म आरती तो कोई दे रहा हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश, ये हैं लखनऊ के फेमस शिव मंदिर

महाशिवरात्रि पर लखनऊ दैनिक जागरण की मंदिरों पर विशेष स्टोरी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 01 Mar 2019 05:17 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 08:47 AM (IST)
भस्म आरती तो कोई दे रहा हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश, ये हैं लखनऊ के फेमस शिव मंदिर
भस्म आरती तो कोई दे रहा हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश, ये हैं लखनऊ के फेमस शिव मंदिर

लखनऊ, जेएनएन। चार मार्च को महाशिवरात्रि है। शिव भक्त जोर शोर से इस दिन शिवरात्रि मानने की तैयारी में हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार व्रत फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। इसलिए हर महीने कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भी शिवरात्रि व्रत किया जाता है, जिसे मास शिवरात्रि व्रत कहा जाता है। इस तरह सालभर में 12 शिवरात्रि व्रत किए जाते हैं लेकिन इनमें फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी बहुत खास है। मार्च में आने वाली इस तिथि को महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है। इस पर पूरे दिन व्रत किया जाता है और मध्यरात्रि में शिवजी की पूजा की जाती है। ऐसे में दैनिक जागरण अापको लखनऊ के फेमस शिव मंदिरों और उनकी मान्यताओं के बारे में बता रहा है।  

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डालीगंज का मनकामेश्वर मंदिर

गोमती नदी के तट पर बने मनकामेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि माता सीता को वनवास छोड़ने के बाद लखनपुर के राजा लक्ष्मण ने यहीं रुककर भगवान शंकर की अराधना की थी। इससे उनके मन को बहुत शांति मिली थी। उसके बाद कालांतर में मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना कर दी गई।

 

मोहानरोड का बुद्धेश्वर महादेव मंदिर
मान्यता है कि त्रेतायुग में जब लक्ष्मण जी भगवान राम की आज्ञानुसार माता सीता को वन में छोड़ने जा रहे थे तो रास्ते से गुजरते वक्त वह बेहद भावुक थे। विचलित मन से उन्होंने महादेव को याद किया। वह दिन बुधवार का था। उसी वाकये से इस मंदिर की मान्यता जुड़ी हुई है। मंदिर पर चार से पांच बुधवार पर रुद्राभिषेक करने से मानसिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

राजेंद्र नगर का महाकाल मंदिर
उज्जैन महाकाल मंदिर में बाबा की भस्म आरती का दिव्य स्वरूप यहां देख सकते हैं। यहां सावन के हर सोमवार को उज्जैन महाकाल की तर्ज पर भोर में भस्म आरती होती है। बाबा के रुद्राभिषेक और भस्म आरती के लिए सारा सामान भी उज्जैन से मंगाया जाता है।

उतरेटिया का शिव मंदिर
लगभग 1600 ई. पूर्व इस मंदिर की स्थापना हुई। वर्ष 2012 में स्थानीय निवासी पुष्पा पांडेय ने जीर्णोद्धार करवाया।

मलिहाबाद का बुढ़िया शिवालय
करीब 300 साल पहले मलिहाबाद में वैश्य समाज की एक बुढ़िया रहती थी। उसके कोई संतान न थी। उस बुढ़िया ने इस शिवालय का निर्माण करवाया था। शिवरात्रि में यहां पर पंचोपचार के साथ विधि-विधान और भावपूर्वक भगवान शिव की आराधना और पूजन किया जाता है।

सरोजनीनगर का मनोकामना शिव मंदिर
सरोजनीनगर में गौरी गांव को स्थापित करने वाले ठाकुर गौरी सिंह चौहान द्वारा बनवाया मनोकामना शिवमंदिर आस्था का प्रतीक है। शिवरात्रि के दिन यहां विशाल मेला लगता है।

काकोरी में नवाबी युग का शिव मंदिर
गोला कुंआ पर बेहता नदी के पास स्थित पुल एवं शिव मंदिर का निर्माण नवाब आसिफउद्दौला के समय में टिकैत राय द्वारा सन् 1786-88 में कराया गया। यह मंदिर क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम एकता का संदेश भी देता है

निगोहां का भंवरेश्वर मंदिर
सई नदी के तट पर स्थित भंवरेश्वर मंदिर के बारे में बताया जाता है कि औरंगजेब के समय में मात्र शिवलिंग ही जमीन से कुछ ऊपर उभरा प्रतीत होता था। राजा र्कुी सुदौली रामपाल सिंह के गोशाला की गायें अक्सर यहां चरने आया करती थीं और वापस जाते समय उनमें से एक गाय इस शिवलिंग पर अपना सारा दूध स्वत: गिरा देती थी। इसी चर्चा में आए इस शिवलिंग को औरंगजेब ने जब आक्रमण के दौरान देखा तो इसे भी तोड़ने की ठानी। उसने अपनी सेना को खोदाई का आदेश दिया। अंत में उसने अपनी सेना को इसे तोड़ने का आदेश दिया। सेना ने अभी तोड़ना ही शुरू किया था कि शिवलिंग से खून एवं दूध की धाराएं बह निकलीं। टूटे हुए पत्थर के टुकड़े भौरों का रूप धारण कर औरंगजेब की सेना को काटने लगे। औरंगजेब ने माफी मांगी तब जाकर सेना सहित उसके प्राण बचे। राजा रामपाल सिंह के मरणोपरांत उनकी पत्‍नी रानी गनेश ने इस जगह मंदिर बनवाया

महाशिवरात्रि कब है
महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत को अर्धरात्रिव्यापिनी चतुर्दशी तिथि में करना चाहिए। आचार्य एसएस नाग पाल के अनुसार, इस वर्ष सोमवार 4 मार्च को दोपहर 4 बजकर 11 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है जो कि मंगलवार 5 मार्च को शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। अर्धरात्रिव्यापिनी ग्राह्य होने से यानी मध्यरात्रि और  चतुर्दशी तिथि के योग में 4 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनायी जाएगी।

महाशिवरात्रि इस साल क्यों है खास
महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस साल महाशिवरात्रि सोमवार को है। सोमवार का स्वामी चन्द्रमा है। ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को सोम कहा गया है। और भगवान शिव को सोमनाथ। अतः सोमवार को महाशिवरात्रि का होना बहुत ही शुभ माना गया है। सोमवार को शिवजी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।


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