Move to Jagran APP

लखनऊ महोत्सव के दिल में युवा धड़कनों का शोर

नाचतेे-गाते और रोमांच में चिल्लाते युवाओं से रौनके।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 28 Nov 2018 06:03 PM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 10:59 AM (IST)
लखनऊ महोत्सव के दिल में युवा धड़कनों का शोर
लखनऊ महोत्सव के दिल में युवा धड़कनों का शोर

लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। आज इन नजारों को तुम देखो और मैं तुम्हें देखते हुए देखूं, मैं बस तुम्हें देखते हुए देखूं...अगर मेरी (महोत्सव स्थल) जुबान होती तो शायद जज्बात यही होते। मैं चहक-चहक कर कहता, देखो! मेरे दामन में कितने रंगों के फूल सजे हैं। हर उम्र का चेहरा मेरा कद्रदान बना है। खुशी से चमकती आंखें अपलक अपनी महफिल की रौनक निहारतीं। मैं हर किसी से कहता, मुझे साल भर इन्हीं खुशनुमा दिनों का तो इंतजार रहता है, जब मेरे आंगन में उम्र की हर लहर मस्ती के बहाव संग बहती है। मैं उन युवा धड़कनों को शुक्रिया कहता, जिनसे मेरा दिल धड़क रहा है। नाचते, गाते और रोमांच में चिल्लाते युवाओं संग मेरा मन भी शोर मचा रहा है... आइए, मेरे भावों के पीछे और नजारा कीजिए कला-संस्कृति और उल्लास के महोत्सव का...।

loksabha election banner

ये देखिए, मथुरा से आए दल (खजान सिंह नगाड़ा पार्टी ब्रज डांस) की धुन पर किस तरह युवा झूम रहे हैं। मोहन सिंह, सतपाल सिंह के नगाड़े संग थिरक रहे हैं। मन सुख के खरताल और भरत लाल खजान के मंजीरे पर उनका मन मयूर हो रहा। कलाकार सुरेश गोला और दिगंबर के साथ वे भी नाच रहे हैं। नाचते-नाचते दोनों की नजरें टकराईं और मैं मन ही मन बोल उठा... सब कुछ नजर आ रहा है, दिन है ये रात नहीं...। 

तभी झुमका चाहिए... की जिद सुनाई दी। आवाज का पीछा कर मैं भी लखनऊ के मंजूर आलम और आसिफ के पास पहुंचा। देखा, लड़की ने झुमका पहन पूछा, कैसा लग रहा है। लड़का बोला, अब खरीद ही लो...। झुमके के साथ लटकन की भी खरीदारी हो गई।

 

तभी नजर मुहम्मद समीर और करीन के पास लकड़ी से बने आकर्षक फूलों पर नजर पड़ी। रंग बिरंगे इन फूलों के बीच खिलखिलाते चेहरे भी फूलों की तरह लगे। वह फूल देने के लिए घुटने पर बैठ ही रहा था कि मोहतरमा हाथों से फूल छीन हंसते हुए आगे बढ़ गईं...। 

फूड जोन में स्वाद के साथ मेल-मिलाप की लज्जत भी देखते ही बनी। केसरिया दूध पीते हुए चेहरे पर बनीं दूधिया मूंछों को देख दोनों कैसे हंस रहे हैं। अरे! ये फन जोन की तरफ से शोर कैसा है...। भई वाह! यहां तो युवाओं का अलग ही मेला लगा है। राजू के रेंजर झूले पर सीट बेल्ट लगाने के बाद भी एक दूसरे का हाथ जकड़े कितने प्यार से बैठे हैं। कोलंबस झूला चलते ही चीख निकली तो दोनों और करीब हो गए...। इनके एहसास-ए-करीबी से मुझे तो कोई दिक्कत नहीं। वो खूब हंसे-खिलखिलाएं, सेल्फी लें। रोज यहां आएं और मेरी महफिल की रौनक को यूं ही बढ़ाएं...।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.