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15 अगस्त विशेष: कैसरबाग युद्ध में जनरल नील सहित मारे गए थे 722 सिपाही

मोती महल, खुर्शीद मंजिल व कैसरबाग में गरजने लगीं थीं तोपें। चक्कर वाली कोठी से लाल बारादरी तक बिखरी पड़ी थीं लाशें।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 04:59 PM (IST)
15 अगस्त विशेष: कैसरबाग युद्ध में जनरल नील सहित मारे गए थे 722 सिपाही

लखनऊ[मुहम्मद हैदर]। आलमबाग युद्ध के बाद जनरल हैवलोक की फौज ने शहर में प्रवेश किया। नाका ¨हडोला होते हुए अंग्रेजी फौज कैसरबाग में दाखिल हुई। इस बीच क्रातिकारियों ने आलमबाग व नगर के बीच में बने पुल को धमाके से उड़ा दिया। पुल उड़ने से अंग्रेजी सेना की एक टुकड़ी को आलमबाग में ही पड़ाव डालना पड़ा, जबकि दूसरी टुकड़ी कैसरबाग के उत्तरी व पूर्वी क्षेत्र में दाखिल होने में कामयाब हो गई। जनरल नील के साथ जो सिपाही कैसरबाग पहुंचे थे। क्रातिकारियों ने उनका भी रास्ता रोक लिया गया। अंग्रेजी सेना के शहर में प्रवेश करते ही मोती महल, खुर्शीद मंजिल व कैसरबाग में तोपें गरजने लगीं। फिर से घमासान युद्ध शुरू हो गया। कैसरबाग युद्ध में अंग्रेजी सेना के 722 सिपाही मारे गए। तो वहीं, शेर दरवाजे के निकट फौज का नेतृत्व कर रहा जनरल नील भी मारा गया। दो दिन तक कैसरबाग में भयंकर युद्ध चला था लेकिन, अंग्रेजी सेना के शेष सिपाही पराजित होकर छतरमंजिल के भीतर से बेलीगारद में प्रवेश कर गए।

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इस दौरान अंग्रेजी सिपाहियों ने कैसरबाग में जमकर लूटपाट मचाई। हालाकि, वह जिस रास्ते से गुजरे थे, उस क्षेत्र में क्रान्तिकारियों की तोपें लगी हुई थीं। यदि गोला-बारी की जाती तो नगर के एक भाग को क्षति पहुंचने का भय था। इस कारण अंग्रेजों पर गोला-बारी नहीं की गई। बाद में क्रातिकारियों ने बेलीगारद पहुंचकर अपना मोर्चा संभाल लिया था।

लाशों से पट गया था मैदान:

प्रवेश करने के लिए अंग्रेज कई रास्तों से आगे बढ़ रहे थे। अंग्रेजों से मोर्चा लेने के लिए क्रातिकारी सभी रास्तों पर मोर्चा संभालते थे। आलमबाग युद्ध में कितनी जाने गईं। इसका जिक्र नहीं मिलता है, लेकिन क्रातिकारियों द्वारा पूरी ताकत लगाने के बाद भी अंग्रेजी फौज की एक टुकड़ी कैसरबाग पहुंच गई थी। जहा फिर से क्त्रातिकारियों ने उनपर हमला कर अंग्रेजों को आगे बढ़ने से रोका। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए। चक्कर वाली कोठी से लाल बारादरी तक मैदान लाशों से पट गया था।


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