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Gandhi Jayanti 2019 : आइंस्टीन ने महात्‍मा गांधी के बारे में जो ल‍िखा वह सच ही था, जान‍िए पूरी कहानी lucknow news

दशकों बाद भी उनके विचार युवाओं को दिखा रहे अहिंसा का मार्ग। विरोधी उन्हें चतुर राजनीतिज्ञ ही समझते थे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 07:42 AM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 11:41 AM (IST)
Gandhi Jayanti 2019 : आइंस्टीन ने महात्‍मा गांधी के बारे में जो ल‍िखा वह सच ही था, जान‍िए पूरी कहानी lucknow news
Gandhi Jayanti 2019 : आइंस्टीन ने महात्‍मा गांधी के बारे में जो ल‍िखा वह सच ही था, जान‍िए पूरी कहानी lucknow news

लखनऊ [मोहम्मद हैदर]। ''आइंस्टीन ने जुलाई 1944 में सच ही लिखा था कि भावी पीढिय़ों को विश्वास ही नहीं होगा कि इस धरती पर हाड़-मांस का कोई गांधी कभी जन्मा भी था। लाखों-लाख जनता उन्हें महात्मा के रूप में पूजती थी, जबकि, राजनैतिक विरोधी उन्हें चतुर राजनीतिज्ञ ही समझते थे। अंग्रेज भी सत्ता का हस्तांतरण होने पर 1946-47 के बाद ही महाविद्रोही मिस्टर गांधी से मानव गांधी को भिन्न करके देख और उनके सही स्वरूप को पहचान सके।

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लेखक बीआर नंदा की किताब महात्मा गांधी एक जीवनी की प्रस्तावना में महात्मा गांधी पर लिखी ये पंक्तियां शत-प्रतिशत प्रासंगिक और तार्किक है। आने वाली पीढिय़ां महात्मा गांधी के आदर्शों को अपने जीवन में उतार सके, इसके लिए किताबों में भी उनकी जीवन यात्रा व संदेश संग गांधीगिरी का जिक्र किया गया है। उन किताबों को पढ़कर आज भी इंसान के दिमाग में केमिकल लोचा होता है। यानी उनके विचार वर्तमान समय में भी लोगों को बदलकर अह‍िंंसा का मार्ग दिखाने का काम कर रहीं हैं।

राजधानी के गांधी भवन व संग्रहालय में बापू के जीवन पर केंद्रित अनेक किताबें मौजूद हैं, जिनके रोम-रोम में बापू समाए हैं। इनमें से एक हैं। किशोरलाल घ. मशरूवाला की गांधी विचार-दोहन। किताब में गांधीजी के विचारों का सार दिया गया है। विशेषकर नई पीढ़ी के लिए, जो विचार व्यक्त दिए हैं, उनमें गांधीजी का जीवन दर्शन समाया हुआ है। गांधीजी के व्यक्तित्व और कृतित्व को समझने के लिए जो आवश्यक है, वह सब इसमें मिल जाएगा।

इसके अलावा बापू द्वारा लिखित आत्मकथा आत्मकथा पर आधारित लेखक एसपी तिवारी सूरज की एक लघु नाटिका...बच्चों के प्यारे बापू भी है। इसमें नवजात शिशु (गांधी) का जन्मोत्सव, गांधी जी का मुंडन संस्कार एवं पट्टी पूजन, बालक गांधी का विद्यालय में प्रवेश, मोहन का परीक्षा में नकल करने से बहिष्कार, गांधी जी का विवाह संस्कार, गांधी जी के पिता का देहावसान, गांधी जी के बकरी के दूध का सेवन, छुआ-छूट का विरोध करते गांधी जी, गांधी जी की विदेश यात्रा, वकील के रूप में असफल गांधी (पहला मुकदमा), दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी, गांधी जी का भारत भ्रमण, खादी अभियान, बापू और दीन बंदर, नमक आंदोलन व सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन, भारत की आजादी व गांधी जी की हत्या सहित उनकी यादें समाहित की गई हैं।

लेखक बीआर नंदा की महात्मा गांधी एक जीवनी भी मौजूद हैं, जिसमें है कि आइंस्टीन ने जुलाई 1944 में सच ही लिखा था कि भावी पीढिय़ों को विश्वास ही नहीं होगा कि इस धरती पर हाड़-मांस का कोई गांधी कभी जन्मा भी था। लाखों-लाख जनता उन्हें महात्मा के रूप में पूजती थी, जबकि, राजनैतिक विरोधी उन्हें चतुर राजनीतिज्ञ ही समझते थे। अंग्रेज भी सत्ता का हस्तांतरण होने पर 1946-47 के बाद ही महाविद्रोही मिस्टर गांधी से मानव गांधी को भिन्न करके देख और उनके सही स्वरूप को पहचान सके।

इसी तरह सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन की अह‍िंंसा का अमोघ अस्त्र पुस्तक में सत्याग्रह का अमोघ अस्त्र, गांधीवाद और समाजवाद सहित अलग-अलग मुद्दों को महापुरुषों के विचार (प्रश्न-उत्तर) पाठकों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। इसी तरह लेखक धनश्याम बिड़ला की बापू भी पाठकों को आकर्षित कर रही हैं। इसमें लेखक ने गांधीजी के संपर्क में आए हुए संबंधों के विषय में समीक्षात्मक वर्णन किया है, जो बड़ा ही रोचक और संस्मरणीय है। इसके अलावा सुशीला नैयर की बापू की कारावास कहानी भी पाठकों का ध्यान खींच रहीं है।


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