अब सरहद पार भी महिलाओं के लिए 'आशा की ज्योति'
181 आपकी सखी रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र' ने की लाखों महिलाओं की मदद।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। घरेलू ¨हसा के खिलाफ जंग लड़ रही '181 रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र' अब तक लाखों महिलाओं की मदद कर चुकी है। इस हेल्पलाइन ने प्रदेश ही नहीं बल्कि सरहद पार मुसीबत में पड़ी महिलाओं की भी मदद की है। एक बार सूचना मिलने के बाद हेल्पलाइन की टीम मामले को सुलझाकर ही दम लेती है। आशा ज्योति केंद्र ने अब तक प्रदेश में दो लाख आठ हजार सुलझाए हैं। आशा ज्योति केंद्र के कार्यो पर एक रिपोर्ट।
केस-1
नेपाल के भूकंप में भटककर आई महिला को पहुंचाया घर:
15 मई 2017 को 181 वूमेन हेल्पलाइन को किसी ने सूचना दी कि एक महिला अपने पाच छोटे बच्चों के साथ पेड़ के नीचे बैठी है। पता चला कि वह नेपाल की है और भूकंप में बेघर हो गई थी। 8 ने पुलिस अधिकारियों को सूचना दी तो उन्होंने मदद करने से मना कर दिया। कहा कि महिला कोई आतंकवादी हो सकती है। इसके बाद उच्चाधिकारियों से बात भी बेनतीजा निकली। महिला को नेपाल बार्डर पहुंचाने की कवायद भी फेल हो गई। आश्रम में बात की गई तो उन्होंने महिला को रखने से मना कर दिया गया। इसके बाद महिला के बच्चे को चाइल्ड लाइन के शिशुगृह भेजा गया। जबकि महिला को महिला आश्रय गृह में रखा गया। इसी दौरान उससे उसका घर का पता पूछा गया और 8 ने अपने खर्च पर महिला और बच्चों का टिकट करवाकर नेपाल गंज भेजा।
केस-2
नवीन गल्ला मंडी स्थित एक मोमोज की फैक्ट्री के पास किसी ने 8 को कुछ बच्चियों के काम करने की सूचना दी। इसके बाद टीम फैक्ट्री पहुंची, जहा उन्हें बच्चियों के काम करने से इंकार किया। इसके बाद भी 8 की टीम डटी रही और किसी तरह से फैक्ट्री के अंदर घुसी जहा उन्हें आठ नाबालिग लड़किया मोमोज बनाते हुए दिखीं। पूछने पर पता चला कि बच्चिया गरीबी की वजह से वहा काम कर रही थी। सभी बच्चियों को छुड़ाकर घर भेजा गया। उनके घरवालों की भी काउंसिलिंग की गई। प्रेमी जोड़ों को दिलाई मंजिल :
11 मई 2018- समाज के खिलाफ जाकर एक वर्षीय युवती ने प्रेम विवाह किया था। इसकी खबर जब लड़की और लड़के पक्ष को चली तो लड़के को घरवालों ने चंडीगढ़ में छिपाकर लिया। वहीं लड़की को घरवालों ने लखनऊ में आस-पास के गाव में छिपाया। इसकी जानकारी किसी अज्ञात व्यक्ति ने 8 को दी। इसके बाद टीम ने लड़की का पता किया तो मालूम चला कि उसे एक गाव में उसकी मौसी के घर छिपाकर रखा गया है। इसके बाद लड़की की मेडिकल जाच करवाई गई तो वो बालिग निकली। वहीं लड़के का पता किया गया और दोनों परिवारों की काउंसिलिंग की गई। दोनों परिवारों को राजी करवाकर उन्हें भेज दिया गया।
24 घटे होता है काम : जीवीके एमआरआइ के मुख्य परिचालन अधिकारी जीतेंद्र वालिया ने बताया कि मई 08 तक 8 हेल्पलाइन में कुल ,5688 कॉल की गई। इसमें से ,836 मामलों में टेली काउंसलिंग के माध्यम से 4,760 मामलों में वैन ने मौके पर जाकर मामलों का निस्तारण किया। वहीं कुल 4369 मामले रात में रेस्क्यू किए गए। जीवीके एमआरआइ के कार्यालय में 80 काउंसलर 24 घटे 365 दिन पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए मुस्तैद रहती हैं। गत वर्ष 6 मार्च 2017 से कुल 46376 कॉलें आई जो कि बढ़कर 11,69,311 हो गई। कैसे काम करती है 181 हेल्पलाइन:
181 रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र' की शुरुआत 181 वूमेन हेल्पलाइन' के नाम से प्रदेश के 11 जिलों में की गई थी। हेल्पलाइन की सफलता के चलते 23 जून 2017 को जिलों की संख्या और रेस्क्यू वैन की संख्या बढ़ाकर 75 कर दी गई। हर रेस्क्यू वैन में तीन लोगों का स्टाफ होता है, इसमें ड्राईवर, फील्ड काउंसलर और महिला कास्टेबल होती है। प्रदेश में कुल 236 काउंसलर शिफ्ट में काम करते हैं। घरेलू ¨हसा से दिलाई निजात: 19 मई 2018- मलिहाबाद में रहने वाली 21 वर्षीय इंटर पास लड़की को अपने भाभी के भाई से प्यार हो गया। इसकी जानकारी घरवालों को लगी तो वो नाराज हो गए। लड़की के नहीं मानने पर उसका घर से निकलना बंद करवा दिया। घरवाले उसके साथ मारपीट करने लगे। लड़की थाने पर पहुंची जहा से 8 को सूचना दी गई। टीम ने लड़की के घरवालों की पाच बार काउंसिलिंग की। जिसके बाद वो शादी के लिए तैयार हुए। 181 ने दोनों की शादी आर्य समाज मंदिर में करवाई बाद में शादी को रजिस्टर्ड भी करवाया।