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आजादी के पहले से यूपी पुलिस की खास साथी रही .303 राइफल की गणतंत्र दिवस पर होगी 'विदाई परेड'

डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि .303 बोर राइफल का प्रयोग बंद किए जाने के बाद इस गणतंत्र दिवस परेड पर इस राइफल की शानदार विदाई का निर्णय किया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 12:06 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 11:16 AM (IST)
आजादी के पहले से यूपी पुलिस की खास साथी रही .303 राइफल की गणतंत्र दिवस पर होगी 'विदाई परेड'
आजादी के पहले से यूपी पुलिस की खास साथी रही .303 राइफल की गणतंत्र दिवस पर होगी 'विदाई परेड'

लखनऊ, जेएनएन। आजादी के पहले से यूपी पुलिस की खास साथी रही .303 (थ्री नॉट थ्री) बोर राइफल अब गणतंत्र दिवस की परेड पर आखिरी बार पुलिसकर्मियों के हाथों में नजर आएगी। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड पुलिस की हमसफर रही इस राइफल की 'विदाई परेड' भी होगी। हालांकि यह राइफल चलन से बाहर हो चुकी है और अब पुलिस के हाथों में अत्याधुनिक राइफलें आ चुकी हैं। इस राइफल का प्रयोग पुलिस वर्ष 1945 से कर रही थी।

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डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि .303 बोर राइफल का प्रयोग बंद किए जाने के बाद इस गणतंत्र दिवस परेड पर इस राइफल की शानदार विदाई का निर्णय किया गया है। गणतंत्र दिवस परेड में पुलिसकर्मी .303 बोर राइफल का प्रयोग करेंगे और इसके साथ ही इस हथियार का प्रयोग बंद किए जाने घोषणा की जाएगी। डीजीपी ने सभी एसएसपी/एसपी को परेड में उपस्थित महानुभावों को बरसों से पुलिस की साथी रही इस राइफल की खूबियां बताने का निर्देश भी दिया है।

 

सिनेमा में भी छाया रहा जादू

भले ही बदले वक्त और अधिक वजन होने की वजह से .303 बोर राइफल अब पुलिस से दूर हो गई है, लेकिन सच तो यह भी है कि दस्यु गिरोहों से खूंखार अपराधियों से मुकाबले में लंबे समय तक इसी राइफल ने खाकी का खूब साथ निभाया। करीब दो किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली इस राइफल की गूंज ने ही दस्यु गिरोहों के पैर उखाड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। सिनेमा में भी इस राइफल की चमक बरसों तक नजर आई। शोले से लेकर कई सुपरहिट फिल्मों में डाकुओं से लेकर पुलिस के हाथों में यह राइफल अलग-अलग अंदाजों में देखी गई।

वर्ष 1955 में किया गया था विदाई का निर्णय

यूपी पुलिस के पास 58 हजार से अधिक .303 बोर की राइफलें थीं, जिन्हें वर्ष 1995 में अप्रचलित घोषित किया गया था। इसके बाद भी पुलिसकर्मी इन राइफलों का इस्तेमाल कर रहे थे। प्रथम विश्वयुद्ध में पहली बार प्रयोग में लाई गई इस राइफल को अंग्रेजों ने भी अपनाया था। बताया जाता है कि इस राइफल की बुलेट नौ इंच मोटी लोहे की चादर को भेदने तक की क्षमता रखती थी। पुलिस अब इंसास व एके-47 जैसी अत्याधुनिक राइफल इस्तेमाल कर रही है।


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