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डाक टिकटों में छिपी जनता की मोहर

विदेशों तक में हैं पोस्टेज स्टैंप के कद्रदान, बीते कुछ सालों जारी पोस्टेज स्टैंप की लंबी फेहरिस्त, अभियान, व्यक्ति विशेष और धर्म के साथ विदेश को भी रखा ध्यान में

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Jul 2018 10:10 PM (IST)Updated: Sat, 07 Jul 2018 10:10 PM (IST)
डाक टिकटों में छिपी जनता की मोहर

लखनऊ [दुर्गा शर्मा]। चिट्ठी-पत्री का चलन भले ही कम हो गया हो, पर डाक टिकट सदाबहार हैं। देश के

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स्वर्णिम इतिहास को समेटने के साथ ही इनके सरोकार का दायरा बड़ा है। विदेश में भी पोस्टेज स्टैंप के कद्रदानों की कमी नहीं है। बीते चार साल डाक टिकटों के लिहाज से स्वर्ण काल रहे। फिलैटली (डाक टिकट संग्रह का काम) के शौकीन इस पर एकमत हैं। इस दौरान जारी डाक टिकटों की लंबी फेहरिस्त सुखद

अनुभूति है। अभियान, व्यक्ति विशेष, धर्म और धार्मिक स्थल पर केंद्रित डाक टिकटों में केंद्र सरकार की सोच साफ नजर आई। देश के साथ-साथ विदेश का भी बखूबी ख्याल रखा गया।

डाक विभाग द्वारा समय-समय पर जारी विशेष डाक टिकटों को लोगों ने खूब पसंद किया। 100 से ज्यादा कमेमरेटिव (स्मरणीय) और 21 से ज्यादा डिफिनिटिव (अंतिम) डाक टिकट जारी किए गए। यह पाच से 25 रुपये मूल्य के बीच रहे। लाखों की तादाद में छपे डाक टिकटों को लोगों ने हाथों-हाथ लिया। जीपीओ

स्थित फिलैटली संग्रहालय के साथ ही फिलैटली के शौकीनों के संग्रह की भी शोभा बढ़ा रहे हैं। आज के ये डाक टिकट भविष्य में देश के गौरवशाली इतिहास का गवाह बनेंगे। बीते चार साल में प्रमुख अभियान और दिवस पर केंद्रित कुछ टिकट

- दो सिंतबर 2015 : नारी सशक्तिकरण (चार टिकटों का सेट)

- 21 जून 2015 : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, पाच रुपये

- 30 जून 2015 : स्वच्छ भारत (तीन टिकटों का सेट)

- 2 अक्टूबर 2016 : स्वच्छ भारत (25 और पाच रुपये मूल्य के दो डाक टिकट)

- 22 जनवरी 2015 : बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, पाच रुपये

- 31 अक्टूबर 2016 : राष्ट्रीय एकता दिवस, दस रुपये

- 20 जून 2016 : 12 आसनों को दर्शाते हुए सूर्य नमस्कार की टिकटों का सेट, 25 और पाच रुपये

- 25 जनवरी 2016 : वाईब्रेंट इंडिया, 25 रुपये

- 10 सितंबर 2015 : विश्व ड्क्षहदी सम्मेलन, पाच रुपये महात्मा गाधी सदाबहार

डाक टिकटों की दुनिया में महात्मा गाधी सदाबहार हैं। देश के साथ-साथ विदेशों में भी गाधी जी पर केंद्रित टिकट जारी किए जाते हैं। मोदी सरकार में भी जारी टिकटों में मोहन से महात्मा तक का सफर तय किया गया है। इसमें से आठ जनवरी 2015 को महात्मा गाधी की वापसी के 100 वर्ष पूरे होने पर, डू और डॉय आदि टिकट खूब पसंद किए गए। साथ ही चरखे पर भी डाक टिकट जारी किए गए। विभूतियों को किया याद

बाबा आमटे, हसरत मोहानी, दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, महंत अवेद्यनाथ, डॉ. बीआर आबेडकर और भारत का संविधान, दशरथ माझी, कर्पूरी ठाकुर, कैलाशपति मिश्र, संत टेरेसा, डॉ. शभुनाथ सिंह, नानाजी देशमुख, हेमवती नंदन बहुगुणा, श्रीलाल शुक्ल, भीष्म साहनी, डॉ. एमजी रामचंद्रन और

पृथ्वीराज चौहान (चार टिकट) समेत तमाम विभूतियों को समर्पित डाक टिकट खास रहे। संगीत जगत के दिग्गजों के सम्मान में भी डाक टिकट जारी किए गए। संयुक्त डाक टिकट भी

भारत-स्लोवेनिया, तृतीय भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन, भारत-फ्रास अंतरिक्ष सहयोग के 50 वर्ष, भारत-कनाड़ा दीवाली संयुक्त डाक टिकट, भारत और ईरान इस्लामिक गणराज्य संयुक्त डाक टिकट : दीनदयाल बंदरगाह, कंडला और शाहिद बहिश्ती बंदरगाह-चाबहार और आसियान भारत मैत्री रजत जयंती शिखर सम्मेलन (दस डाक टिकट) विदेशों में भी चर्चा का विषय रहे। हर धर्म का सम्मान

बौद्ध धर्म का द्रुकपा वंश, आचार्य विमल सागर, प्रमुख स्वामी महाराज, अक्षरधाम मंदिर, जगतगुरु शिवरात्रि राजेंद्र स्वामी, स्वामी चिदानंद, साईं बाबा, द्राक्षाराम भीमेश्वर मंदिर, दीक्षाभूमि, प्रकाश उत्सव: गुरु गोविंद

सिंह और साची स्तूप समेत तमाम डाक टिकटों के जरिए हर धर्म का सम्मान किया गया। डाक टिकट में चमका बनारस

24 अक्टूबर 2016 को वाराणसी की भव्यता को दर्शाता पाच रुपये मूल्य का पोस्टेज स्टैंप जारी किया गया था। इसमें गंगा नदी के किनारे घाटों और मंदिरों को दर्शाया गया है। रामायण और महाभारत भी शामिल

22 सितंबर 2017 को 11 डाक टिकटों के संग्रह के जरिए रामायण की कथा समेटने की कोशिश की गई। खास बात रही कि इसमें कहीं भी रावण नहीं था। भारत सरकार ने पहली बार डाक टिकट पर सचित्र रामायण वर्णन की पहल की है। इसे प्रधानमंत्री मोदी ने खुद जारी किया था। इसके साथ ही 27 नवंबर 2017 को महाभारत पर अलग-अलग मूल्य के 18 पोस्टेज स्टैंप का सेट भी जारी किया गया था। सीमित संख्या में किए जाते हैं मुद्रित

किसी घटना, संस्थान, विषय-वस्तु, वनस्पति और जीव-जंतु तथा विभूतिया के स्मरण में जारी डाक टिकटों, आवरणों या डाक स्टेशनरी को स्मारक/विशेष डाक टिकट कहा जाता है। सामान्यतया ये सीमित संख्या में मुद्रित किए जाते हैं। फिलैटलिक ब्यूरो/काउंटर/प्राधिकृत डाकघरों से सीमित अवधि के लिए ही बेचे

जाते हैं। नियत डाक टिकटों के विपरीत ये केवल एक बार मुद्रित किए जाते हैं ताकि पूरे विश्व में चल रही प्रथा के अनुसार संग्रहणीय वस्तु के तौर पर इनका मूल्य सुनिश्चित हो सके। धर्म पर केंद्रित टिकट अनूठे

लखनऊ फिलैटलिक सोसाइटी के अध्यक्ष बीएस भार्गव ने बताया कि बचपन में बड़े भाई इंग्लैंड गए थे। वहा से वह पत्र लिखते थे, जिसके साथ लगने वाले डाक टिकट खासा आकर्षित लगते थे। बचपन से उनको एकत्र करने का शौक आज भी बरकरार है। बीते चार साल में विभिन्न धमरें और व्यक्ति विशेष से जुड़े डाक टिकट खूब पंसद किए गए। हर वर्ग का प्रतिनिधित्व

लखनऊ फिलैटलिक सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी नवीन सिंह ने बताया कि यूं तो बचपन से ही डाक टिकट संग्रह का शौक रहा है, पर 1989 से इसे व्यवस्थित रूप से करना शुरू किया। बीते चार साल में सर्वाधिक डाक टिकट जारी हुए। इसमें हर वर्ग का प्रतिनिधित्व रहा। रामायण और महाभारत कथा को डाक

टिकटों के जरिए कहना रोचक रहा।


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