कर्म की प्रधानता से ही समाज की तरक्कीः स्वामी चिदानंद
आस्था और विश्वास की पगडंडी पर चलकर धर्म को एक नई परिभाषा देने वाले आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती की गंगा-गोमती को निर्मल करने की पहल रंग लाने लगी है। धर्म को पर्यावरण और निर्मलता से जोडऩे के साथ ही गंदगी को दूर करने का उनका प्रयास सराहनीय रहा है।
लखनऊ (जितेंद्र उपाध्याय )। आस्था और विश्वास की पगडंडी पर चलकर धर्म को एक नई परिभाषा देने वाले आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती की गंगा-गोमती को निर्मल करने की पहल रंग लाने लगी है। धर्म को पर्यावरण और निर्मलता से जोडऩे के साथ ही गंदगी को दूर करने का उनका प्रयास सराहनीय रहा है। 'जागरण पहल' व 'रेकिट एंड बेंकाइजर' की ओर से आयोजित डेटॉल 'स्वच्छ बनेगा इंडिया' कार्यक्रम में भाग लेने वे राजधानी आए स्वामी चिदानंद ने 'दैनिक जागरण' से खास बातचीत की।
धर्म को आडंबर से दूर रखने की वकालत करने वाले स्वामी चिदानंद सरस्वती कहते हैं कि आडंबर की चादर में लिपटे धर्म को छुड़ाने के लिए हम सब को मिलकर आगे आना होगा। आजादी के 68 वर्ष के बीतने के बावजूद शौचालय को लेकर लोगों की सोच में बदलाव न होने से चिंतित स्वामी जी ने 'जागरण पहल' की इस मुहिम की न केवल तारीफ की बल्कि इससे हर घर में शौचालय बनाने की सोच जागृत होने की आशा भी व्यक्त की।
विचार बदलेगा तो दूर होगी गरीबी
देश में गरीबी के कारणों के बारे में स्वामी चिदानंद का कहना कि इसका कारण हम स्वयं है। जब तक सोच नहीं बदलेगी तब तक गरीबी दूर नहीं होगी। हर गरीब को खुद को आगे बढ़ाने की सोच रखनी होगी। अमीरों को देखकर जब तक कर्म के बल पर आगे बढऩे की मुहिम देश में शुरू नहीं होगी तब तक गरीबी रेखा नहीं मिटेगी। कर्म की प्रधानता ही समाज को तरक्की दिलाएगी, जिसमें गरीब भी अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
सफाई भी हमारा धर्म है
हमारा धर्म सिर्फ भगवान की आराधना करना ही नहीं बल्कि मंदिर के साथ ही उस गली उस सड़क की भी सफाई करना है जिससे होकर हम जाते हैं। सफाई को जब तक अपना धर्म नहीं मानेंगे तब तक सरकारी प्रयास निरर्थक होंगे। हम संकल्प लें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो झाडू़ उठाने की मुहिम चलाई है, उसे हम आगे बढ़ाएं और दोबारा प्रधानमंत्री को झाडू़ न उठाना पड़े।
सभी धर्मों के लोग जुड़ें
गंगा एक्शन प्लान की तर्ज पर गोमती एक्शन प्लान की मुहिम में उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग की स्वामी चिदानंद ने तारीफ की। उन्होंने कहा कि नदियां किसी एक धर्म और समाज की नहीं होती हैं। पेड़ किसी धर्म को बताने के बजाय पर्यावरण को शुद्ध करते हैं और हर धर्म के लोगों को इसका फायदा होता है। हमारा प्रयास रहता है कि हर धर्म के गुरुओं को जोड़कर इस मुहिम को आगे ले जाएं। वरिष्ठ शिया धर्मगुरु डॉ.कल्बे सादिक की तारीफ करते हुए उन्होंने सभी धर्म गुरुओं से इस मुहिम से जुडऩे का आह्वान किया।
पत्थरों के साथ जैविकता बनाए रखें
गोमती को संवारने और निर्मल करने की उनकी मुहिम में सरकार की ओर से गोमती के किनारे पत्थर लगाने के सवाल पर स्वामी चिदानंद कहते हैं कि मैने स्वयं इसका दौरा किया और देखा तो बारिश का पानी रिसकर नदी में आने का स्थान पत्थरों के बीच बनाया जा रहा है जो पर्यावरण के अनुकूल होगा। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर पेड़ों पर आरी चलने के साथ ही हमें खुद के स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देना होगा। नए धार्मिक स्थल भले ही न बनाओ, लेकिन हर रोज पौधरोपण जरूर करो। श्रावण महीने के कुछ दिन शेष हैं, अपनी सोच बदलो और पौधों का जखीरा खड़ा करने की पहल अभी से शुरू करो।
बोल बम, कचरा हो जाए खत्म
स्वामी चिदानंद कहते हैं कि श्रावण के महीने में कांवडिय़ों की टोली नीलकंठ भगवान के दर्शन करने आती है। आस्था के इस श्रावण मास में दर्शन कर कचरा वहीं छोड़ देती है। मैंने इसे आस्था से जोड़ते हुए स्लोगन बना दिया कि 'बोल बम, कचरा हो जाए खत्म'। इसके माध्यम से लोगों को सफाई के धर्म के बारे में बताने की मुहिम शुरू हो रही है। एक मंदिर नहीं, हर मंदिर व धार्मिक स्थल पर स्लोगन का अर्थ सफाई करने की जिम्मेदारी से लोगों को बोध कराना है।