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Smart City Project: लखनऊ में ठेकेदारों के भरोसे हो रहा स्‍मार्ट सिटी का काम, 15 दिन पहले बनी सड़क जलनिगम ने फिर से खोदा

स्मार्ट सिटी परियोजना से सीवर लाइन डालने के लिए एक साल पहले सड़क खोदी गई थी। न जाने कितने लोग सड़क पर गिरे थे। पंद्रह दिन पहले सड़क बनी तो हर किसी ने राहत महसूस किया था लेकिन फिर से जलनिगम के ठेकेदार पहुंचे और बनाई सड़क को खोद डाला।

By Rafiya NazEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 08:54 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 02:21 PM (IST)
Smart City Project:  लखनऊ में ठेकेदारों के भरोसे हो रहा स्‍मार्ट सिटी का काम, 15 दिन पहले बनी सड़क जलनिगम ने फिर से खोदा
लखनऊ में स्‍मार्ट सिटी के नाम पर साल भर से ज्‍यादा खुदी है सड़कें।

लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। बना के क्यों बिगाड़ा रे जंजीर फिल्म का यह गीत जलनिगम पर सटीक बैठ रहा है। सड़क बनाई और पंद्रह दिन में ही उसे फिर खोद दिया। सरकारी धन तो बर्बाद किया गया, साथ ही उन लोगों के आने-जाने में संकट पैदा कर दिया गया, जिन्हें बचकर निकलना पड़ रहा है। ऐसा तब जब साल भर से खुदी सड़क को बनाने का नंबर भी पंद्रह दिन पहले ही आया था। यह मामला है अशोक मार्ग से नवल किशोर रोड (लीला सिनेमा) की तरफ जाने वाली सड़क का। पेटी ठेकेदारों के सहारे काम कर रहे जलनिगम के अनियोजन से यह संभव हुआ है। स्मार्ट सिटी परियोजना से सीवर लाइन डालने के लिए एक साल पहले सड़क खोदी गई थी। न जाने कितने लोग सड़क पर गिरे थे। पंद्रह दिन पहले सड़क बनी तो हर किसी ने राहत महसूस किया था लेकिन फिर से जलनिगम के ठेकेदार पहुंचे और बनाई गई सड़क को खोद डाला।

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ठेकेदार पर कोई अंकुश नहीं: नवल किशोर रोड पर लखनऊ क्लब के सामने से वाइन शॉप की तरफ जाने वाली सड़क पर साल भर पहले सीवर लाइन डाली गई थी। जलनिगम को उसे मुख्य सीवर लाइन से जोडऩे की याद तब आई, जब वहां की सड़क को बना दिया गया था। यह सारा कार्य स्मार्ट सिटी से हो रहा है और कार्यदायी संस्था जलनिगम है।जलनिगम ने 208 करोड़ की लागत से 74 किलोमीटर में सीवर लाइन डालने और सड़क बनाने का ठेका केके स्पैन इंडिया कंपनी को दिया था लेकिन कंपनी ने छोटे-छोटे ठेकेदार (पेटी ठेकेदार) को काम सौंप कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली। जलनिगम के परियोजना प्रबंधक पीयूष मौर्य से लेकर अवर अभियंता तक सीवर लाइन डालने और खोदी गई सड़क को बनाने और फिर से उसे खोदने के मामले से ही अनजान बने रहे, लिहाजा सड़क को दोबारा खोदे जाने को लेकर ये भी जिम्मेदार भी हैं। यही कारण है कि नवल किशोर रोड पर जिस ठेकेदार ने सीवर लाइन डाली और सड़क को बनाया और अब फिर जिस ठेेकेदार ने उसे खोदा, दोनों ही अलग-अलग हैं। दोनों ही वहां की कार्ययोजना से अनजान थे। ऐसे में मुख्य लाइन से सीवर लाइन को जोडऩे से पहले ही सड़क बना दी गई, जिसे फिर से खोदना पड़ा। पेटी ठेकेदारों का ही कहना था कि कार्य को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश न होने से ही बनाई गई सड़कों को फिर से खोदना पड़ रहा है।

खास यह है कि घटिया तरह से काम कर रहे जलनिगम और कार्यदायी संस्था के खिलाफ कोई भी अधिकारी कार्रवाई करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहा है, जबकि नगर निगम सदन से लेकर जनप्रतिनिधि तक नाराजगी जता चुके हैं।

बारिश से उधड़ी भ्रष्टाचार की परत: स्मार्ट सिटी से डाली जा रही सीवर लाइन का लाभ आगे लोगों को कितना मिलेगा? यह सवाल अभी से उठने लगे हैं। सीवर लाइन डाली गई थी और कुछ समय पहले ही सड़कों को बनाया गया था लेकिन शायद ही कोई सड़क बारिश के बाद बची हो। हजरतगंज से लेकर लालबाग और कैसरबाग, गोलागंज, अमीनाबाद, राणा प्रताप मार्ग समेत हर सड़क पर गड्ढों के रूप में मौत सामने खड़ी रहती है। धंस चुकी सड़कों से होते हुए हर किसी को आना-जाना पड़ता है। नगर निगम मुख्यालय के सामने तो तीन बार मरम्मत के बाद भी सड़क जगह-जगह से धंस गई।


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