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UPSSSC की ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती में धांधली के 11 आरोपित गिरफ्तार, 44 लाख रुपये भी बरामद

यूपीएसएसएससी की ग्राम पंचायत अधिकारी ग्राम विकास अधिकारी व समाज कल्याण पर्यवेक्षक (सामान्य चयन) प्रतियोगितात्मक परीक्षा-2018 में धांधली के मामले में एसआइटी ने अपनी जांच तेज करते हुए बड़ी कार्रवाई की है। एसआइटी ने 11 आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 44 लाख रुपये बरामद किए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 08:38 AM (IST)
UPSSSC की ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती में धांधली के 11 आरोपित गिरफ्तार, 44 लाख रुपये भी बरामद
यूपीएसएसएससी ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती में धांधली करने के 11 आरोपित गिरफ्तार किए गए हैं।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग (यूपीएसएसएससी) की ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी व समाज कल्याण पर्यवेक्षक (सामान्य चयन) प्रतियोगितात्मक परीक्षा-2018 में धांधली के मामले में एसआइटी (विशेष जांच दल) ने अपनी जांच तेज करते हुए बड़ी कार्रवाई की है। एसआइटी ने इस धांधली में शामिल 11 आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 44 लाख रुपये बरामद किए हैं। डीजी एसआइटी डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि कुछ अन्य संदिग्ध व्यक्तियों व फर्मोंं के विरुद्ध जांच चल रही है। जल्द अन्य दोषियों पर भी शिकंजा कसेगा।

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ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक के 1,953 पदों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग ने टीसीएस संस्था के जरिए 22 व 23 दिसंबर, 2018 को लिखित परीक्षा कराई थी। ओएमआर शीट में गड़बड़ी सामने आने पर आयोग ने 24 मार्च को इस परीक्षा को निरस्त कर दिया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस मामले में लखनऊ के विभूतिखंड थाने में दर्ज कराई गई एफआइआर की जांच एसआइटी को सौंपी गई थी।

एसआइटी ने दो मार्च को केस दर्ज कर अपनी पड़ताल शुरू की थी। डीजी का कहना है कि अभ्यर्थियों से लाखों रुपये वसूलने वाले गिरोह के 11 सदस्यों को मंगलवार को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। जांच में सामने आया कि टीसीएस ने नई दिल्ली स्थित एसआरएन कंपनी को स्कैनिंग का काम दिया था। एसआरएन कंपनी ने स्कैनिंग कार्य केडी इंटरप्राइजेज से कराया।

विवेचना में सामने आया कि परीक्षा में सुनियोजित तरीके से व्यापक पैमाने पर धांधली कर अभ्यर्थियों से लाखों रुपये वसूले गए थे। परीक्षा कराने वाली कंपनी के सदस्यों व दलालों ने साठगांठ कर अभ्यर्थियों से संपर्क साधा था और चिह्नित अभ्यर्थियों ने ओएमआर शीट को खाली छोड़ दिया था। स्कैनिंग के दौरान चिह्नित ओएमआर शीटों को आयोग के स्कैनिंग रूम से निकालकर मड़ियांव निवासी कोमल उर्फ कमलेश सिंह को उपलब्ध कराया गया। कमलेश खाली ओएमआर शीटें मऊ निवासी अतुल कुमार राय, अयोध्या निवासी दीपक वर्मा, आलमबाग निवासी राजीव जोसेफ व जालौन निवासी महेंद्र सिंह को देता था। वे ओएमआर शीट भरकर कमलेश को वापस कर देते थे और बाद में स्कैनिग टीम के सदस्य उन ओएमआर शीट को वापस स्कैनिंग रूम में रखवा देते थे।

इस मामले में गोमतीनगर विस्तार स्थित सरयू अपार्टमेंट निवासी आरपी यादव, राप्ती अपार्टमेंट निवासी रामवीर सिंह, आरती अपार्टमेंट निवासी सत्यपाल सिंह के कई अभ्यर्थियों से लाखों रुपये लेने के पुख्ता प्रमाण भी मिले। साथ ही अलीगंज निवासी विमलेश कुमार कनौजिया, त्रिवेणीनगर निवासी नीरज कुमार व गाजियाबाद निवासी रोहित कुमार की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। एसआइटी ने इन सभी 11 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित आरपी यादव के कब्जे से 19 लाख रुपये, रामवीर के कब्जे से 17 लाख रुपये व सत्यपाल सिंह के कब्जे से आठ लाख रुपये बरामद किए हैं। आरोपितों को कोर्ट में पेश किया था, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।

सहकारिता भर्ती घोटाले में भी है आरोपी : एसआइटी के अधिकारियों के अनुसार आरोपित आरपी यादव का नाम इससे पूर्व सहकारिता भर्ती घोटाले में भी आया था। इस मामले में आरपी यादव से पहले से एफआइआर दर्ज है और एसआइटी उस पर अपना शिकंजा कस चुकी थी। आरपी यादव ने पूर्व में भी ओएमआर शीट में गड़बड़ी कराई थी।

136 ओएमआर शीट में मिली थी गड़बड़ी : आयोग को ओएमआर शीट की जांच के दौरान गड़बड़ी मिली थी। 136 अभ्यर्थियों की मूल ओएमआर शीट व कोषागार में सुरक्षित रखी गई ओएमआर शीट की प्रति में अंकों की भिन्नता पाई गई थी। इस पर आयोग ने 136 अभ्यर्थियों को परीक्षा से बाहर का रास्ता दिखा दिया था और उनके तीन वर्षों के लिए आयोग की किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगा दी गई थी। आयोग के तत्कालीन अनुसचिव की ओर से इस मामले में वर्ष 2019 में लखनऊ के विभूतिखंड थाने में 136 अभ्यर्थियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई थी। जिसे बाद में एसआइटी को सौंप दिया गया।


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