सपा टिकट में शिवपाल की छाया, बाहुबलियों की दाल भी गली
समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची में प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की छाया साफ दिख रही है।
लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची में प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की छाया साफ दिख रही है। कई बार के हेरफेर के बाद भी सूची में ज्यादातर शिवपाल के पसंदीदा उम्मीदवार हैं। सियासी हलकों में इसकी अलग-अलग तरह से व्याख्या की जा रही है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि 2017 के चुनाव में परीक्षा उनकी होनी है इसलिए वही उम्मीदवारों का चयन करेंगे। पर इनमें कई ऐसे उम्मीदवार घोषित किए गए जिन्हें वह पार्टी में देखना भी नहीं चाहते थे। अवैध कब्जा और पार्टी विरोधी गतिविधियों के इल्जाम में बाहर किए गए सीतापुर जिले के बिसवां विधायक रामपाल यादव की एक दिन पहले पार्टी में वापसी कराई गई और उनका टिकट भी पक्का कर दिया गया। जाहिर है कि अखिलेश सरकार ने जिस विधायक के कब्जे पर बुलडोजर चलवाकर एक मिसाल कायम करने की पहल की, उसी विधायक की पार्टी में वापसी ने यह मैसेज दे दिया कि सिक्का किसका चल रहा है।
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तीनों मंत्री थे शिवपाल की आंख की किरकिरी
प्रदेश सरकार के मंत्री राम गोविंद चौधरी, अरविन्द सिंह गोप और तेज नारायण उर्फ पवन पाण्डेय का टिकट यूं ही नहीं कटा। तीनों शिवपाल की आंख की किरकिरी बन गए थे। पवन पाण्डेय एमएलसी आशु मलिक के साथ अभद्र व्यवहार कर नेताजी की भी निगाहों में चढ़ गए थे। उन्हें पार्टी से बाहर किया गया तो यह उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल से भी हटाए जाएंगे लेकिन अखिलेश ने उन्हें बनाये रखा। इस वजह से भी पहली सूची में उनका टिकट काटकर हैसियत नापने की कोशिश की गई है। खास बात यह कि टिकट भी उनके ही ममेरे भाई को दिया गया है जिनके साथ सियासी प्रतिद्वंद्विता की चर्चा चल पड़ी थी। चाचा-भतीजे की लड़ाई में राम गोविंद चौधरी और गोप मुख्यमंत्री के साथ खुलकर थे। गोप के लिए सबसे बड़ी मुसीबत सांसद और पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा बन गए हैं। उनके बेटे को ही गोप की सीट से टिकट मिला है।
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शिवपाल की यारी का बर्खास्त मंत्रियों को इनाम
समाजवादी कुनबे की रार का यह एक नया रूप है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिन मंत्रियों को बर्खास्त किया था उनमें से ज्यादातर मुलायम सिंह यादव की घोषित पहली सूची में टिकट पाने में कामयाब हुए। इसे शिवपाल की यारी निभाने का इनाम माना जा रहा है। बर्खास्त मंत्री नारद राय, अंबिका चौधरी, शादाब फातिमा, ओमप्रकाश सिंह, राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह, शिव कुमार बेरिया, योगेश प्रताप सिंह और राजकिशोर सिंह के टिकट घोषित कर दिए गए हैं। शिवपाल सिंह यादव का नाम भी इस सूची में घोषित है। खास बात यह कि राजकिशोर अपने भाई डिंपल को भी टिकट दिलाने में सफल रहे जबकि अरिदमन की पत्नी पक्षालिका सिंह को भी टिकट मिला है।
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बाहुबलियों की गली दाल
अखिलेश यादव ने अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे बाहुबलियों से दूरी बनाने की भले कोशिश की लेकिन दूसरे खेमे ने इसमें बाजी मार ली। ज्यादातर बाहुबलियों और दागियों की दाल गली है। अतीक अहमद का कानपुर कैंट से टिकट बहाल रखा गया है जबकि इलाहाबाद विवाद के बाद उनके टिकट कटने की बात पक्की मानी जा रही थी। बाहुबली मुख्तार अंसारी का टिकट तो नहीं दिया गया लेकिन उनके भाई का सिबगतुल्लाह से टिकट घोषित कर दिया गया है। एनआरएचएम घोटाले के आरोपी कांग्रेस छोड़कर आए विधायक मुकेश श्रीवास्तव भी टिकट पाने में कामयाब रहे।
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