राम मंदिर के बहाने सियासी जमीन तलाश रही शिवसेना
शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे दो दिनी दौरे पर 24 नवंबर को उस वक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं जब मंदिर निर्माण का मुद्दा पूरी तरह गर्माया हुआ है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। राम मंदिर निर्माण मुद्दे को लेकर प्रदेश में राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी शिवसेना को उम्मीद है कि नब्बे के दशक जैसे माहौल बनेगा और इस से उत्तर भारतीयों के बीच उसकी पकड़ भी मजबूत होगी। अपनी कट्टर हिंदुत्ववादी छवि को मजबूती देने के लिए अयोध्या के साथ काशी और मथुरा को भी उसने अपने एजेंडे में शामिल किया है।
यह पहला अवसर है, जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में सीधे तौर पर उतर रहा हो। शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे दो दिनी दौरे पर 24 नवंबर को उस वक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं जब मंदिर निर्माण का मुद्दा पूरी तरह गर्माया हुआ है। केंद्र और प्रदेश में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा सरकारों की सिरदर्दी बढ़ी है। अध्यादेश लाकर मंदिर निर्माण कराने के लिए चौतरफा दबाव बढ़ता जा रहा है।
'हर हिंदू की यही पुकार, पहले मंदिर फिर सरकार' नारा देकर मैदान में उतरी शिवसेना एक तीर से कई निशाने साधना चाहती है। प्रदेश में बिखरे संगठन को एकजुट करने के साथ विस्तार करने का मौका भी मान रही है। 1990 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना अपना एक विधायक जिताने में सफल रही थी। हालांकि यह प्रदर्शन फिर नहीं दोहराया जा सका और भाजपा के आगे उप्र में शिवसेना गौण होती चली गई। इतना ही नहीं शिवसेना का संगठन भी गुटों में विभक्त हो गया।
उत्तर भारतीयों में पकड़ बढ़ाने की चाहत
महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के खिलाफ लंबे समय तक चले आंदोलन का नुकसान भी शिवसेना को झेलना पड़ा। उत्तर भारतीयों की नाराजगी ने शिवसेना की चमक घटा दी थी। अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बहाने सक्रियता बढ़ाकर शिवसेना नेताओं को अच्छे दिन लौटने का भरोसा है। उद्धव के दौरे की तैयारियों के सिलसिले में उप्र में डेरा डाले राज्यसभा सदस्य संजय राउत गुटों में बंटी शिवसेना को एकजुट करने में सफल होते दिख रहे हैं। अन्य हिंदूवादी संगठनों को भी जोडऩे की कोशिशें हो रही हैं।
राज्यपाल से मिले संजय राउत
संजय राउत ने सोमवार को राज भवन में राज्यपाल राम नाईक से भेंट की। इस शिष्टाचार भेंट में राउत के साथ उद्धव ठाकरे के निजी सचिव व शिव सेना के सचिव मिलिन्द नार्वेकर और अनिल तिवारी भी उपस्थित थे।