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अयोध्‍या में रामजन्मभूमि की नींव भरे जाने से पूर्व हुआ शिलापूजन, कूर्म नाम की शिला स्थापित

संघ के शीर्ष प्रचारक भय्याजी जोशी ने तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रतिनिधियों के साथ वैदिक विधि-विधान से किया पूजन। वैदिक मान्यता के अनुसार इस तरह का पूजन निर्दिष्ट स्थान विशेष के अनिष्ट का नाश और बहुआयामी शुभता प्रदान करने वाला होता है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 09:06 PM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 01:43 PM (IST)
अयोध्‍या में रामजन्मभूमि की नींव भरे जाने से पूर्व हुआ शिलापूजन, कूर्म नाम की शिला स्थापित
मंदिर के संपूर्ण परकोटा की नींव के साथ गर्भगृह पर भी नींव भरे जाने का काम शुरू हुआ।

अयोध्या, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष प्रचारक भय्याजी जोशी ने निर्माणाधीन रामजन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में विशेष पूजा की। सुबह सात बजे शुरू हुई यह पूजा वास्तु से संबंधित थी। इन दिनों मंदिर की नींव भरी जा रही है। सोमवार को वह दिन भी आ गया, जब मंदिर के संपूर्ण परकोटा की नींव के साथ गर्भगृह पर भी नींव भरे जाने का काम शुरू हुआ। इस प्रक्रिया से पूर्व भय्याजी ने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, ट्रस्ट के सदस्य एवं अयोध्या राजपरिवार के मुखिया बिमलेंद्रमोहन मिश्र, जिलाधिकारी अनुज कुमार झा, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्रदास, डा. अनिल मिश्र के साथ पूजन किया।

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इस दौरान वैदिक आचार्यों ने नवग्रह के साथ सभी दिशाओं और कोणों की प्रतिनिधि शिलाओं का पूजन कराया और उन्हें यथास्थान प्रतिष्ठित कराया। इस क्रम में वैदिक विधान के अनुरूप पूर्व दिशा में नंदा, दक्षिण में भद्रा, पश्चिम में जया तथा उत्तर में पूर्णा एवं आग्नेय कोण में अजिता, नैऋत्य कोण में अपराजिता, वायव्य कोण में शुक्ला तथा ईशानकोण में शोभागिनी एवं मध्य यानी गर्भगृह के भूगर्भ में कूर्म नाम की शिला स्थापित की गई।

सूत्रों के अनुसार गर्भगृह की भूमि पर वही शिला स्थापित की गई, जिसका पूजन गत वर्ष पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के लिए भूमि पूजन के दौरान किया था। ये सभी शिलाएं एक बड़े शिलाखंड पर दिशाओं और कोणों की पहचान तथा प्रतीक के अनुरूप आकार में उत्कीर्ण की गई थीं, पर उनका पूजन कोणों अथवा दिशाओं के देवता के रूप में विशिष्ट आह्वान के साथ किया गया। वैदिक मान्यता के अनुसार इस तरह का पूजन निर्दिष्ट स्थान विशेष के अनिष्ट का नाश और बहुआयामी शुभता प्रदान करने वाला होता है। 


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