बदहाल ट्रैक पर दो सौ की स्पीड से दौड़ेगी सेमी हाईस्पीड ट्रेन
देश को जल्दी ही मिलने वाली सेमी हाईस्पीड टैल्गो ट्रेन बदहाल ट्रैक पर भी दो सौ की स्पीड से दौड़ेगी। स्पेन की इस सुपर लग्जरी ट्रेन में ïयात्रियों को हादसे का खतरा नहीं सताएगा। टैल्गो कंपनी के आधुनिक कोच में एयर कंट्रोल हाइड्रोलिक ब्रेक सिस्टम लगा है।
लखनऊ। देश को जल्दी ही मिलने वाली सेमी हाईस्पीड टैल्गो ट्रेन बदहाल ट्रैक पर भी दो सौ की स्पीड से दौड़ेगी। स्पेन की इस सुपर लग्जरी ट्रेन में ïयात्रियों को हादसे का खतरा नहीं सताएगा। टैल्गो कंपनी के आधुनिक कोच में एयर कंट्रोल हाइड्रोलिक ब्रेक सिस्टम लगा है।
एयर कंट्रोल हाइड्रोलिक सिस्टम से ट्रेन तेज गति में भी तुंरत रोकी जा सकती है। रेलवे वर्कशॉप में अंसेबलिंग के दौरान विदेशी इंजीनियरिंग टीम ने इस ट्रेन की कुछ खासियत के बारे में चर्चा की। इस टीम के एक इंजीनियर ने बताया कि तेज गति से चलने वाली यह ट्रेन तुरंत रुक जाएगी। भारतीय ट्रेन तेज रफ्तार में एक साथ नहीं रुक पाती। इमरजेंसी ब्रेक लगाने से ट्रेन पलटने एवं कोच पर कोच चढ़ जाते हैं। इसी कारण इमरजेंसी ब्रेक का प्रयोग कम से कम करने के निर्देश दिए जाते हैं।
टैल्गो कंपनी की ट्रेन सबसे अच्छे और सबसे बदहाल ट्रैक पर भी दौड़ सकेगी। ट्रेन को ट्रैक के लिहाज से तैयार किया जा सकता है। सुपर लग्जरी ट्रेन का स्पीड ट्रायल तीन तरह के ट्रैक पर करने का फैसला लिया गया है। इसमें पहला स्पीड ट्रायल बरेली वाया मुरादाबाद-सहारनपुर के बीच किया जाएगा, जो काफी बदहाल ट्रैक है।
जगह-जगह कॉशन
कमजोर ट्रैक पर 29 मई में सुपर लग्जरी ट्रेन का स्पीड ट्रायल 100-120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से किया जाएगा। यहां पर कई जगह पर कॉशन के कारण इसकी गति को धीमा भी किया जाएगा। इसके बाद मथुरा-दिल्ली-पलवल और दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर स्पीड ट्रायल होंगे। सुपर लग्जरी ट्रेन के कोच डीजल एवं इलेक्टिक रेल इंजन से चलाए जा सकते हैं। इनको दोनों रेल इंजन से चलाने के लिए तैयार किया गया है।
मात्र 20 सेकेंड में पकड़ेगी रफ्तार
भारतीय रेलवे की ट्रेन चलने के बाद तीन-चार मिनट में रफ्तार पकड़ती है लेकिन सुपर लग्जरी ट्रेन मात्र 20 से 25 सेकेंड में 150 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेगी।
अंतिम कोच से जगमगाएगी ट्रेन
ट्रेन के अंतिम कोच में जनरेटर लगा हुआ है। अंतिम कोच से पूरी ट्रेन में बिजली सप्लाई मिलेगी। मगर ट्रेन अधिकतम15 कोच की सीमा है। इससे अधिक कोच की ट्रेन संचालन में दिक्कत आएगी।