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प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को लागू करना होगा सेमेस्टर सिस्टम, उच्च शिक्षा विभाग से रिपोर्ट तलब

सभी विश्वविद्यालयों को सेमेस्टर प्रणाली के साथ-साथ च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने के आदेश दिए गए हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 03:58 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 03:58 PM (IST)
प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को लागू करना होगा सेमेस्टर सिस्टम, उच्च शिक्षा विभाग से रिपोर्ट तलब

लखनऊ, जेएनएन। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने कमर कस ली है। मुख्यमंत्री कार्यालय से नौ बिंदुओं पर उच्च शिक्षा विभाग से रिपोर्ट तलब की गई है। इसमें विश्वविद्यालयों में मूलभूत संसाधनों, शिक्षकों व कर्मचारियों की कमी के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देशों को लागू न करने पर जवाब-तलब किया गया है।

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जिन विश्वविद्यालयों से अधिक डिग्री कॉलेज संबद्ध हैं वह नए खोले जा रहे विश्वविद्यालयों से संबद्ध होंगे। वहीं सभी विश्वविद्यालयों को सेमेस्टर प्रणाली के साथ-साथ च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने के आदेश दिए गए हैं। अभी बहुत कम विश्वविद्यालयों में यह लागू है। सीएम कार्यालय से जिन नौ बिंदुओं पर उच्च शिक्षा विभाग से रिपोर्ट ली गई है उसमें विश्वविद्यालयों को दिए जा रहे ग्रांट के बारे में जानकारी मांगी गई है।

दरअसल अभी राज्य सरकार दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और लखनऊ विश्वविद्यालय को ही ग्रांट देती है वह भी सीमित है। ऐसे में विश्वविद्यालयों की बिल्डिंग जर्जर हैं व अन्य संसाधनों की कमी है। वहीं शिक्षकों व कर्मचारियों के पद काफी खाली हैं। लंबे समय से नए पद सृजित भी सृजित नहीं हुए हैं। यूजीसी रेग्यूलेशन के अनुसार शिक्षकों की प्रोन्नति न होने और प्राइवेट डिग्री कॉलेजों में भी नियमानुसार टीचरों की भर्ती व वेतन न दिए जाने का भी कारण पूछा गया है। डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि आगरा, डॉ राम मनोहर लोहिया विवि फैजाबाद इत्यादि जहां अधिक कॉलेज संबद्ध हैं उनके कॉलेजों को नए खुल रहे विश्वविद्यालयों से संबद्ध किया जाएगा। फिलहाल सीएम कार्यालय में जल्द इस मसले पर बैठक होगी। कार्रवाई से राजभवन को भी अवगत करवाया जाएगा।

300 प्राचार्यों के पद खाली होने पर जताई चिंता

सीएम कार्यालय द्वारा मांगी गई रिपोर्ट में अशासकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में प्राचार्यों के 338 पदों में से करीब 300 पद खाली होने पर चिंता जताई गई है।

कुलपति का कार्यकाल पांच वर्ष क्यों नहीं

यूजीसी के निर्देशों के अनुसार यूपी के विश्वविद्यालयों में कुलपति का कार्यकाल पांच वर्ष न होने पर भी सवाल उठाया गया है। तीन वर्ष का समय कुलपति के लिए कम बताया गया है। वहीं ऐसे अधिकारी जो कुलपति से सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे उन पर कार्रवाई होगी।  


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