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'जाम' से मिलेगी वित्तीय समावेशन को रफ्तार: सेबी के कार्यकारी निदेशक

जयपुरिया इंस्टीट्यूट में आयोजित वित्तीय साक्षर संगोष्ठी। सेबी के कार्यकारी निदेशक नागेंद्र परख बोले, वर्ष 2025 तक सौ करोड़ भारतीयों के हाथ में होगा मोबाइल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 10:43 AM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 03:49 PM (IST)
'जाम' से मिलेगी वित्तीय समावेशन को रफ्तार: सेबी के कार्यकारी निदेशक

लखनऊ(जेएनएन) ।  देश में डिजिटल फाइनेंशियल का दायरा बढ़ेगा। 2025 तक सौ करोड़ भारतीयों के हाथ में मोबाइल होगा। यह संख्या अमेरिका यूजर्स को पार कर जाएगी। ऐसे में वित्तीय समावेशन बढ़ेगा। इसका आशय समाज के पिछड़े व कम आय वाले लोगों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है। इसका मुख्य हथियार जनधन, आधार व मोबाइल (जाम) बनेगा। 

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यह बातें सेबी के कार्यकारी निदेशक नागेंद्र परख ने कहीं। वह जयपुरिया इंस्टीट्यूट में एलएमए और एवोक इंडिया के तत्वावधान में आयोजित ‘वित्तीय साक्षर’ संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश की आर्थिक विकास दर 7.4 फीसद है। वहीं जुलाई में वल्र्ड बैंक के सर्वे में भारत की आर्थिक विकास दर 2.597 टिलियन यूएसए डॉलर दर्ज की गई, जो कि विश्व के छठे नंबर पर आती है। ऐसे में भारत की वैश्विक आर्थिक विकास दर ने फ्रांस को भी पछाड़ दिया। नागेंद्र परख के मुताबिक भारत एक प्रगतिशील देश है। यहां के निवेश में भारतीयों को प्रेरित किया जाए। उन्हें सुरक्षित वित्तीय समावेशन के लिए साक्षर किया जाए। उन्होंने बताया कि डिजिटल फाइनेंशियल बढ़ेगा। इस कारण 2025 तक चीन और भारत में सबसे अधिक मोबाइल यूजर्स होंगे।

वित्तीय सुरक्षा पर सरकार गंभीर: सेबी के कार्यकारी निदेशक नागेंद्र परख ने कहा कि सुरक्षित निवेश के लिए सरकार गंभीर है। इसके लिए नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन (एनएसएफ) के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी मार्केट (एनएसआइएम)को कई राज्यों ने अपना लिया है। 148 फीसद जनधन खाते निष्क्रिय : संगोष्ठी में देश में करीब 32.8 करोड़ जनधन खाता होना बताया गया। इसमें जागरूकता के अभाव में 48 फीसद खाते निष्क्रिय बताए गए। हालांकि जनधन में अब तक 86 करोड़ से ज्यादा पैसा जमा किया गया, जिसमें पांच करोड़ खाताधारक यूपी के हैं।


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