Coronavirus Advice: पांच साल से कम के बच्चों मे संक्रमण की आशंका कम...पर सावधानी जरूरी
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की बात अभिभावकों को डरा रही है। हालांकि एसजीपीजीआइ के प्रो. एसपी अंबेश का मानना है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका न के बराबर है।
लखनऊ, [कुमार संजय]। कोरोना के तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की बात अभिभावकों को काफी डरा रही है। संजय गांधी पीजीआइ के एनेस्थीसिया और आइसीयू एक्सपर्ट प्रो. एसपी अंबेश ने कहा कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका बहुत ही कम है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि कोरोना के नियमों के पालन में लापरवाही बरतें।
प्रो. अंबेश ने कहा कि पूरे विश्व में दो साल से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण के मामले 23 से भी कम हैं। पांच साल से कम उम्र के बच्चों में वायरस के घुसने के लिए फेफड़े में पाए जाने वाला एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम (एसीई) रिसेप्टर विकसित नहीं होता है। इसके विकसित न होने के कारण वायरस श्वसन तंत्र के जरिए फेफड़े में नहीं पहुंच पाएंगा, क्योंकि घुसने के लिए रिसेप्टर बच्चों में विकसित नहीं होता है। वायरस के फेफड़े में घुसने के लिए एक और रास्ता है, जिसे ट्रांस मेम्बरेन सिरीन प्रोटीएस 2 (टीएमपीआरएसएस 2) कहते हैं, यह भी विकसित नहीं होता है। इसलिए हम साफ तौर पर कह सकते हैं कि पांच साल के बच्चे में कोरोना की आशंका बहुत कम है। पांच से 12 साल में कोरोना वायरस का संक्रमण का खतरा है, क्योंकि इस उम्र में एसीई और ट्रांस मेंब्रेन सेरीन प्रोटीएस विकसित हो रहा होता है। इसके अलावा इस उम्र के बच्चों में आइएल-10 होता है जो एंटी इंफ्लामेटरी होता है। यह साइटोकाइनिन स्ट्राम को रोकता है, इससे अंगों को नुकसान नहीं होता है।
स्वाइन फ्लू की तरह टेट्रा वैरिएंट वैक्सीन की जरूरत
प्रो. अंबेश ने कहा कि स्वाइन फ्लू की तरह कोरोना के लिए भी टेट्रा वैरिएंट वैक्सीन पर काम करने की जरूरत है। देखा जाए तो कोरोना के चार वैरिएंट आ चुके है। संभव है कि आगे भी वायरस में बदलाव आए। ऐसा स्वाइन फ्लू में देखा गया है।
बच्चों में नहीं म्यूकर माइकोसिस की आशंका
बहुत ही कम बच्चे ऐसे होंगे, जिनमें इम्यूनो सप्रेसिव चल रही हो। बच्चे डायबिटीज से ग्रस्त भी बहुत ही रेयर हैं। रक्त में शुगर भी बढ़ा नहीं होता है। देखा गया है कि यह परेशानी उनमें अधिक हुई, जिनमें सीरम फेरिटिन का स्तर काफी बढ़ा हुआ था। इसकी आशंका बच्चों में कम है।