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भटकी समाजवादी पार्टी को सुधारने के लिए बन रहा समाजवादी सेकुलर मोर्चा

पूर्व मंत्री शिवपाल यादव ने समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने का निर्णय कर लिया। यह सपा के समानांतर संगठन होगा। इसका लक्ष्य सपा को बदहाली से उबारना है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 31 May 2017 08:38 PM (IST)Updated: Wed, 31 May 2017 08:38 PM (IST)
भटकी समाजवादी पार्टी को सुधारने के लिए बन रहा समाजवादी सेकुलर मोर्चा

लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी कुनबे की लड़ाई में सपा से अलग-थलग कर दिये गए पूर्व मंत्री शिवपाल यादव ने आखिर समाजवादी सेकुलर मोर्चा गठित करने का निर्णय कर लिया। वह छह जुलाई को लखनऊ में सम्मेलन कर मोर्चा गठन की घोषणा करेंगे। जाहिरा उद्देश्य सपा को बदहाली से उबारना होगा लेकिन, जिस अंदाज में मुलायम सिंह को अध्यक्ष व खुद (शिवपाल) को संयोजक बनाने की योजना है, उससे साफ है कि यह मोर्चा सपा के समानांतर संगठन होगा।

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पार्टी नहीं मोर्चा बनेगा

शिवपाल ने आज यहां पत्रकारों से स्पष्ट किया कि यह पार्टी नहीं मोर्चा है, जो पुराने व उपेक्षित कार्यकर्ताओं को एकजुट कर सपा को बदहाली से उबारने का कार्य करेगा। लखनऊ में होने वाले सम्मेलन में एक लाख लोग जुटेंगे। सपा के अंदर मोर्चा के अस्तित्व के सवाल पर कहा मुलायम सिंह जहां से खड़े होते हैं, समाजवाद की धारा वहीं से निकलती है। अभी सपा को बदहाली से उबारने का लक्ष्य है। कोई नई परिस्थितियां सामने आने पर चुनाव लडऩे व दूसरे दलों को इस मोर्चा से जोडऩे का निर्णय मुलायम सिंह लेंगे। विधानसभा चुनाव के समय से ही शिवपाल कहते रहे हैं कि अखिलेश यादव को सपा अध्यक्ष का पद मुलायम सिंह को लौटा देना चाहिए। परिणाम आने के बाद उन्होंने न सिर्फ ये मांग दोहराई थी, बल्कि इटावा में समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने का एलान किया था, जिसमें खुद मुलायम ने दखल देते हुए कहा था कि वह शिवपाल को मना लेंगे, वह कोई नहीं पार्टी नहीं बनाएगा।

परिवार के अंदर से नई सियासी धारा 

कुछ दिनों की शांति के बाद अब शिवपाल ने मोर्चा गठित करने की बात कही है तो इसे परिवार के अंदर से नई सियासी धारा निकलने का संकेत माना जा रहा है। हालांकि शिवपाल ने कहा कि मुलायम सिंह के बिना समाजवादी आंदोलन व राजनीति की बात बेमानी है। उन्होंने यह भी कहा कि नैतिकता के आधार पर अखिलेश यादव को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहिए। मैैंने भी कई बार नैतिकता के नाते ही इस्तीफा दिया। समाजवादियों ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने में कभी हिचकिचाहट नहीं दिखाई। सभी को सोचना चाहिए कि समाजवादियों का इतिहास यही रहा है। मुलायम के नेतृत्व में पहले परिवार, समाजवादी पार्टी को एकजुट होना चाहिए।

मुलायम के नेतृत्व में ही महागठबंधन

राष्ट्रपति चुनाव की बहाने गैर भाजपा दलों के महागठबंधन के सवाल पर शिवपाल ने कहा कि पहले समाजवादी परिवार, पार्टी तो मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में एकजुट हो जाए, उसके बाद गठबंधन की बात होगी। हालांकि यह भी कहा कि वह गठबंधन के पक्षधर हैं, मगर नेतृत्व मुलायम सिंह का होना चाहिए। राष्ट्रपति चुनाव पर उनके नजरिये पर तंजिया अंदाज में कहा कि फैसला सपा अध्यक्ष को लेना होगा। वह और मुलायम सिंह तो सिर्फ वोटर हैं। जैसी परिस्थिति होगी उसी के अनुकूल निर्णय ले लिया जाएगा।

मेरे रहते गोमती रिवर फ्रंट में गड़बड़ी नहीं

गोमती रिवर फ्रंट की जांच के सवाल पर शिवपाल ने कहा कि जब तक वह सिंचाई विभाग के मंत्री रहे, उस समय तक गड़बड़ी नहीं होने दी। कार्य भी तेज रफ्तार से चला था। वह थोड़े समय और काम देखते तो गोमती में गंदे नालों का पानी गिरना बंद हो गया होता। प्रोजेक्ट की राशि विशेषज्ञों के अनुमोदन पर बढ़ी मगर बजट जारी नहीं किया गया। मैंने भी कई बार गड़बड़ी पकड़ीं और डांटकर सुधार करवाया।

सपाइयों ने भी डाले केसरिया गमछे

शिवपाल यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में काम करने की इच्छा शक्ति है। छह माह का समय दिया है लेकिन, दिक्कत यह है कि भाजपा के लोग 14 साल से 'भूखेÓ थे, सरकार बनते ही काम-धंधे में जुट गए हैं। ऊपर से कल तक हमारे परिवार में टूट कराने को जो लोग सपा का झंडा लेकर नारेबाजी करते थे, अखिलेश के समर्थन का एलान कर लाभ उठाते थे, वे केसरिया गमछा डालकर भाजपा के साथ हैं। यहां तक कहा है कि सपा सरकार में दलाली करने वाले कई लोग अब भाजपा के साथ खड़े दिख रहे हैं।

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