UP Zila Panchayat Election: सपा की कार्रवाई जारी, मेरठ के सम्राट मलिक की समाजवादी युवजन सभा से छुट्टी
UP Zila Panchayat Election समाजवादी पार्टी ने मेरठ के जिला पंचायत सदस्य सम्राट मलिक को समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है। मेरठ में भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के पर्चा न भरने के कारण भाजपा प्रत्याशी की निर्विरोध जीत तय हो गई है।
लखनऊ, जेएनएन। UP Zila Panchayat Election: उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 17 पदों पर भारतीय जनता पार्टी के निर्विरोध निर्वाचन तय होने के बाद समाजवादी पार्टी अपने नेताओं पर लगातार कार्रवाई कर रही है। सोमवार को भी समाजवादी पार्टी ने मेरठ के जिला पंचायत सदस्य सम्राट मलिक को समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है। मेरठ में भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के पर्चा न भरने के कारण भाजपा प्रत्याशी की निर्विरोध जीत तय हो गई है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष के नामांकन में भाजपा सरकार पर गड़बड़ी कराने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कहा कि चुनाव में भाजपा ने धोखाधड़ी कराके अलोकतांत्रिक आचरण का परिचय दिया है। भाजपा सरकार लोकतंत्र में जनादेश की उपेक्षा का गंभीर अपराध कर रही है। उसने लोकलाज भी त्याग दिया है। वहीं, अखिलेश यादव के पंचायत चुनाव में धांधली का आरोप लगाए जाने को भाजपा ने निराधार बताया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डा. समीर सिंह ने कहा कि लगातार हार से सपा प्रमुख बौखलाहट में हैं। उन्हें लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में इसी अविश्वास व भ्रष्टाचार की राजनीति के चलते वह जनता के द्वारा नकारे जा चुके हैं। अनर्गल आरोप लगाए जाने की बजाए उन्हें जमीनी हकीकत स्वीकार कर लेनी चाहिए।
बता दें कि 26 जून को नामांकन के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने भारी बढ़त ले ली है। 75 जिलों में से वाराणसी, गोरखपुर सहित जिन 18 जिलों के पंचायत अध्यक्ष का निर्विरोध चुना जाना तय है, उनमें से 17 भाजपा के और एक मात्र सपा का है। 29 जून को नाम वापसी के बाद निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा की जाएगी। नामांकन में कुल 160 प्रत्याशियों ने पर्चे दाखिल किए। इनमें से छह प्रत्याशियों के नामांकन पत्र की जांच में खामियां पाए जाने पर उन्हें खारिज कर दिया गया। 29 जून को नाम वापसी के बाद जिन जिलों में एक से अधिक प्रत्याशी रह जाएंगे वहां तीन जुलाई को मतदान और मतगणना होगी।
दरअसल, पंचायत चुनाव यूं तो पार्टी सिंबल पर नहीं होते हैं लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर खासतौर से पार्टियां गंभीर रहती हैं। विधानसभा चुनाव से पहले हो रहे पंचायत चुनाव के नतीजों के जरिए गांव तक अपनी स्थिति मजबूत दिखाने के लिए सत्ताधारी भाजपा ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। स्थिति यह है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए शनिवार को हुए नामांकन के बाद ही भाजपा के 17 जिलों में अध्यक्ष बनना तय हो गया है। इनमें वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अमरोहा, मुरादाबाद, आगरा, ललितपुर, झांसी, बांदा, चित्रकूट, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बुलंदशहर व मऊ जिले हैं। एक मात्र इटावा में ही सपा को सफलता मिली है।
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार जिन 18 जिलों के अध्यक्ष का निर्विरोध निर्वाचन तय है उनकी घोषणा 29 जून को नाम वापसी (तीन बजे के बाद) का समय निकलने के बाद की जाएगी। शेष 57 जिलों में से 41 ऐसे हैं जहां के अध्यक्ष पद के लिए दो-दो प्रत्याशी हैं। 11 जिलों में त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है। सर्वाधिक पांच उम्मीदवार भदोही में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चार सीटों में चार-चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि 29 जून को कई जिलों में प्रत्याशियों के नाम वापस लेने से वहां भी निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया जाएगा।
जांच में जिन छह प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त हुए हैं उनमें मुजफ्फरनगर, अमरोहा, वाराणसी व गोरखपुर से एक-एक व बांदा से दो हैं। 29 जून को नाम वापसी का समय गुजरने के बाद साफ हो जाएगा कि कितने जिलों में अध्यक्ष पद के लिए तीन जुलाई को मतदान कराने की जरूरत पड़ेगी। मतगणना भी तीन जुलाई को ही होगी।