रूस से उड़कर आए घायल सारस की चिड़ियाघर में मौत
शाहजहांपुर में हुआ था घायल। गंभीर हालत में चिडिय़ाघर लाया गया था। दायें पैर में लगे ट्रांसमीटर के कारण आया था चर्चा में।
लखनऊ (जेएनएन)। शाहजहांपुर से घायल अवस्था में लाए गए डोमिसाइल क्रेन (सारस) की बुधवार को मौत हो गई। रूस से उड़ा सारस शाहजहांपुर में घायल हो गया था। उसके पंख बुरी तरह से खराब हो गए थे और पंख की हड्डी भी क्रेक हो गई है। घायल सारस के दायें पैर में टैग होने और उस पर टी-7 लिखे होने से वह चर्चा में आ गया था। जांच में पता चला था कि उसकी टैगिंग रूस के ओनेक्सी में 30 जुलाई को की गयी थी।
सारस के बायें पंख की हड्डी के बाहर निकल आने से घाव बन गया था। उसके इलाज के लिए आइवीआरआई, बरेली, बीएनएचएस, मुम्बई तथा अन्य संस्थानों से भी सम्पर्क किया गया था। नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान लखनऊ के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि मृत सारस के अंग के नमूनों और पैर में लगे ट्रांसमीटर को सुरक्षित कर लिया गया है।
रूस से साथियों के साथ उड़ा था
पचास से साठ दिन की यह फीमेल सारस झुंड के साथ रूस से उड़ा था और गुजरात की तरफ जा रहा था। प्रतिवर्ष प्रवासी पक्षी अधिक ठंड से बचने और भोजन की तलाश में हजारों किलोमीटर की यात्रा कर भारत तथा अन्य गर्म स्थानों पर आते है और पूरी सर्दी यहां रहते हैं। फरवरी में अपनी वापसी यात्रा करते हैं।
क्रेन वकिंग ग्रुप ऑफ उरेसिया के निदेशक इलना लिसिनको रूस ने वन विभाग को बताया था कि सारस को एक हजार क्रेन प्रोजेक्ट के अन्तर्गत रखा गया था। 30 जुलाई को 55 दिन के सारस अपने प्रथम प्रवासीय यात्रा पर अपने सम्पूर्ण परिवार एवं पूरे ग्रुप के सदस्यों के साथ निकली थी। 26000 से अधिक ऊंची हिमालय की चोटी को पार कर अरुणाचल प्रदेश से प्रवेश किया था। वह आसोम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड से होते हुए उत्तर प्रदेश से होकर गुजरात जा रही थी तभी शाहजहांपुर के अल्लाहगंज में घायल हो गई थी। जिसे लखनऊ चिडिय़ाघर लाया गया था। पूरा ग्रुप करीब पांच हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर पश्चिम की ओर गंगा के मैदान से होकर जा रहा था तभी 15 अक्टूबर को इस पक्षी से संपर्क टूट गया था।