बसपा में बड़ा फेरबदल, रामअचल की जगह आरएस कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष
मायावती की मौजूदगी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बड़ा फेरबदल किया गया। रामअचल राजभर के स्थान पर पूर्व विधान परिषद सदस्य आरएस कुशवाहा को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया।
लखनऊ (जेएनएन)। बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 की विधिवत तैयारी शुरू कर दी है। आज लखनऊ में पार्टी की सुप्रीमो मायावती की मौजूदगी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बड़ा फेरबदल किया गया।
पार्टी के वरिष्ठ नेता रामअचल राजभर के स्थान पर पूर्व विधान परिषद सदस्य आरएस कुशवाहा को पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है।
रामअचल राजभर को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। मायावती ने यह फैसला पार्टी के एक दिनी अधिवेशन के दौरान लिया। आज पार्टी के प्रदेश कार्यालय में इस अधिवेशन में चुनावी रणनीति पर चर्चा की गई। इसके साथ कई अहम फैसले पर मुहर भी लगी है। इस अधिवेशन के लिए देश भर से पार्टी के अहम पदाधिकारी, को ऑर्डिनेटर और नेता बुलाए गए।
मायावती ने रामअचल राजभर को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर, प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर आरएस कुशवाहा को बैठा कर दलितों के साथ-साथ पिछड़ों के गठजोड़ को साधने का संकेत दे दिया है। रामअचल राजभर अकबरपुर से विधायक हैं। राजभर विधानसभा चुनाव 2012 से पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए थे। बसपा सुप्रीमो ने राजभर की जगह वरिष्ठ नेता आरएस कुशवाहा को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। आरएस कुशवाहा 2016 तक पार्टी से विधान परिषद के सदस्य थे। लखीमपुर खीरी निवासी कुशवाहा अभी तक पार्टी में प्रदेश महामंत्री थे।
पिछड़ों को साधने में जुटी बसपा मुखिया
लोकसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर बसपा मुखिया पिछड़ों को साधने में जुट गई हैं। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के बदलाव के पीछे ऐसा माना जा रहा है कि बसपा मुखिया दलितों और पिछड़ों के गठजोड़ को मजबूत करना चाहती हैं।
बसपा से छिटक गया राजभर वोट
माना यह भी जा रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में राजभर समाज का वोट बसपा से कट कर सुहेलदेव भारती समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ चला गया था। इसके बाद ओमप्रकाश राजभर राजभरों के नेता के रूप में उभरे और रामअचल राजभर उनके तिलिस्म को तोडऩे में नाकाम रहे। ऐसे में बसपा मुखिया अब आरएस कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा कर उनकी बिरादरी पर डोरे डालने का प्रयास कर रही है, जिससे राजभरों से हुए नुकसान की भरपाई की जा सके।
बसपा मुखिया ने राजभर को पार्टी राष्ट्रीय महासचिव बनाकर संतुलन बनाये रखने का प्रयास किया है। रामअचल राजभर ने राजनैतिक करियर की शुरुआत अकबरपुर ब्लाक प्रमुखी चुनाव से की थी। जिसमें वह बुरी तरह से हार गए थे। 135 सदस्यों में से केवल 11 वोट ही उन्हें मिल पाये थे। इसके बाद उन्होंने 1991 में वह बसपा से विधायकी का चुनाव लड़े लेकिन इस बार भी हार का सामना करना पड़ा था।