किडनी के कैंसर में रोबोटिक सर्जरी ज्यादा कारगर
बढ़ता हुआ प्रदूषण और प्रीजर्वेटिव फूड बढ़ा रहा है कैंसर। केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित हुआ यूरो अंकोकॉन।
लखनऊ, जेएनएन। किडनी कैंसर के इलाज में शुरुआती स्टेज में सर्जरी कारगर होती है। ओपेन, लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के साथ आजकल रोबोटिक्स भी प्रचलित हो रही है। रोबोटिक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में हाथों के मूवमेंट के अलावा 360 डिग्री का मूवमेंट हो सकता है। इससे आसानी से ट्यूमर को निकाला जा सकता है। यह जानकारी डॉ. अमलेश सेठ ने केजीएमयू के कंवेंशन सेंटर में आयोजित यूरो अंकोकॉन में दीं।
डॉ. अमलेश ने बताया कि आजकल जागरूकता की वजह से किडनी कैंसर शुरुआती स्टेज में पता चल जाता है। रोबोटिक्स सर्जरी के जरिये आजकल पूरी किडनी न निकालकर केवल ट्यूमर के पास किडनी का कुछ हिस्सा निकाल लिया जाता है।
पेनलेस होता है रोबोटिक्स
मुंबई के निजी अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. युवराजा ने बताया कि वे अब तक 15,00 से ज्यादा रोबोटिक सर्जरी कर चुके हैं। रोबोटिक ओपेन के मुकाबले 90 फीसद पेनलेस होता है। मरीज दूसरे दिन ही काम पर जा सकता है। ब्लड चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
परिवार में किसी को किडनी कैंसर हो तो हो जाएं सतर्क
केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि परिवार में किसी को किडनी कैंसर हो तो ऐसे में सतर्क हो जाना चाहिए।
40 वर्ष के बाद करवाएं हर साल नियमित जांच
पीजीआइ के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अनीश श्रीवास्तव ने बताया कि पेशाब में जलन, भूख न लगना, पेशाब से खून आना, पेट और पीठ में दर्द होना आदि किडनी कैंसर के लक्षण हैं। ऐसे में तुरंत अल्ट्रासांउड करवाना चाहिए।
इंडिया में कैंसर कम उम्र में
टेक्सास यूएस के एमडी एंड्रीयू कैंसर सेंटर के यूरोलॉजी विभाग के डॉ. क्रिस्टोफर वुड ने बताया कि विदेश में किडनी कैंसर 70 वर्ष से होता है। वहीं भारत में यह 50 वर्ष की आयु में आने लगता है।
पांच से छह सेमी तक का ट्यूमर बिना किडनी निकाले संभव
मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. अनंत कुमार ने बताया कि बिना किडनी निकाले लगभग पांच से छह सेमी के ट्यूमर को आसानी से निकाला जा सकता है।