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ट्रैफिक नियम पढ़ाने पर फूंके 40 करोड़, फ‍िर भी प्रदेश में नहीं थम रहे सड़क हादसे

प्रदेश में पिछले साल हुए 42 हजार से ज्यादा रोड एक्सीडेंट 22 हजार से ज्यादा चलीं गईं जानें। जागरूकता कार्यक्रमों में बह रहा पैसा नहीं दिख रहा असर। खुलेआम घूम रहे डग्गामार।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 07:03 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 02:53 PM (IST)
ट्रैफिक नियम पढ़ाने पर फूंके 40 करोड़, फ‍िर भी प्रदेश में नहीं थम रहे सड़क हादसे
ट्रैफिक नियम पढ़ाने पर फूंके 40 करोड़, फ‍िर भी प्रदेश में नहीं थम रहे सड़क हादसे

लखनऊ, (नीरज मिश्र)। सड़क हादसे रोकने के सारे जतन फेल साबित हो रहे हैैं। रोड सेफ्टी अभियान ही नहीं, करोड़ों रुपये फूंककर ट्रैफिक नियम पढ़ाने समेत सुरक्षा को लेकर चलाए जाने वाले तमाम जागरूकता कार्यक्रम भी मौतों पर 'ब्रेक' नहीं लगा पा रहे हैैं। पिछले साल ही 40 करोड़ रुपये लोगों को संभलकर चलने की सीख देने में खर्च किए गए मगर, हालात बदले न ही हादसे थम पाए। वर्ष 2015 में जहां करीब 32 हजार हादसे प्रदेश भर में हुए और 17 हजार से ज्यादा जानें गईं। वहीं, 2019 में हादसों का आंकड़ा बढ़कर 42 हजार हो गया। करीब 22 हजार लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। हां, लखनऊ ने अपना ट्रैक रिकॉर्ड जरूर कुछ सुधारा है। 

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हाल ही में परिवहन विभाग ने पिछले पांच वर्ष के आंकड़े जारी किए हैैं, जो बताते हैैं कि यहां जिंदगी कितनी सस्ती है। हां, राजधानी लखनऊ में 2015 के दौरान 594 मौतें हुई थीं, जो दिसंबर 2019 में 13 लोगों की कमी के साथ घटकर 581 रह गईं। बस यही, एक मात्र आंकड़ा कुछ संतोष देने वाला है। हादसों की बात करें तो 2015 में 1410 रोड एक्सीडेंट हुए और 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 1685 हो गया। वैसे समूचे लखनऊ संभाग में मौत का आंकड़ा घटने के बजाए बढ़ा है। फरवरी 2015 में 2215 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था तो दिसंबर 2019 तक यह तादात 2767 हो गई है।

नहीं पढ़ा पाए नियमों का पाठ

उप्र में हादसों की यह स्थिति तब है, जब उन्हें रोकने के लिए पूरी मशीनरी लगी है। विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम होते हैैं। बजट पानी की तरह बहाया जाता है। पिछले साल करीब 40 करोड़ रुपये पब्लिसिटी वैन, निबंध प्रतियोगिताएं, गोष्ठियां, विजेताओं को पुरस्कार, मंडलवार निबंध प्रतियोगिताएं, जागरूकता अभियान, कार्यालय खर्च के अलावा ड्राइविंग टेस्ट इंस्टीट्यूट, आइएनसी सेंटर, पैैंफ्लेट, स्टीकर वितरण आदि पर फूंक डाले गए। अपर परिवहन आयुक्त गंगाफल ने बताया क‍ि हादसों और मृतकों की संख्या चिंताजनक है। जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। प्रयासों से ही लखनऊ जिले में मौतों का आंकड़ा घटा है। आगे प्रवर्तन कार्यों में तेजी लाई जाएगी। 

लखनऊ में हादसों का आंकड़ा

  • वर्ष 2015-16-17-18-2019
  • हादसे-1410-1529-1515-1638-1685
  • मृतक-594-652-655-580-581
  • घायल-879-973-917-1005-931

लखनऊ संभाग में हादसे

  • वर्ष 2015-16-17-18-2019
  • हादसे-4016-4498-4859-5446-5684
  • मृतक-2215-2440-2630-2750-2767
  • घायल-2373-2730-2912-3271-3400

पूरे प्रदेश के हालात

  • वर्ष 2015-16-17-18-2019
  • हादसे-32096-35612-38783-42568-42572
  • मृतक-17512-19320-20124-22256-22655
  • घायल-23204-25096-27494-29664-28932

(नोट: सभी आंकड़े दिसंबर 2019 तक के) 


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