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जम्मू-कश्मीर से हटाया जा सकता है अनुच्छे-370, जान‍िए क्या है रास्ता

धारा में अस्थायी परिवर्तनीय और विशेष प्राविधान को किया गया है समाहित। लोकसभा-राज्यसभा में पास होने के साथ ही देश के आधे राज्यों की सहमति से हटेगी यह धारा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 08:58 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 08:41 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर से हटाया जा सकता है अनुच्छे-370, जान‍िए क्या है रास्ता
जम्मू-कश्मीर से हटाया जा सकता है अनुच्छे-370, जान‍िए क्या है रास्ता

लखनऊ, (जितेंद्र उपाध्याय)। जम्मू कश्मीर में धारा-370 को लेकर राजनीतिक बयानबाजियों के बीच आम जनता के मन में भी इस धारा को लेकर जिज्ञासा बढ़ी है। इसे हटाया जा सकता है या नहीं हटाया जा सकता? इसे हटाने के लिए क्या करना होगा? इसके न हटने या रहने से देश के हालात पर क्या प्रभाव पड़ेगा? जैसे सवालों के जवाब के लिए सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में जागरण विमर्श कार्यक्रम में आए सेवानिवृत्त एडीजे शैलेंद्र नाथ टंडन ने धारा को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। 

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उन्होंने धारा-370 के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि यह अस्थायी, परिवर्तनीय और विशेष प्राविधान है। उस समय हालात ऐसे थे, जिसकी वजह से इस धारा का प्रावधान किया गया। अस्थायी होने की वजह से इसे कभी भी हटाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए संविधान में विशेष प्रावधान है। संसद को देश में कानून बनाने और हटाने का प्रदत्त अधिकार है, लेकिन जम्मू कश्मीर में उसका अधिकार क्षीण हो जाता है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस धारा-370 से सहमत नहीं थे। उन्होंने इसे हटाये जाने की वकालत की थी, लेकिन इसे हटाया नहीं जा सका। राजनीतिक एजेंडा ही सही, लेकिन एक बार फिर इसे हटाने की मांग जोर पकड़ रही है। उस समय इसे लागू करने की कुछ मजबूरियां रही होंगी। जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह और लॉर्ड माउंट बेटन की ओर से विलय प्रपत्र बनाया गया था जिसकी अपनी कुछ शर्ते थीं। 20 अक्टूबर 1947 में प्रस्ताव रखा गया और 26 अक्टूबर 1947 को हस्ताक्षर किए गए। 27 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर अलग दर्जा देकर विशेष सुविधाएं देने का निर्णय लिया गया। 

धारा 370 हटाने के रास्ते

धारा-370 को हटाना है तो इसके लिए संसद में बिल लाना होगा। पहले लोकसभा और फ‍िर राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत से पास करना होगा। इसके बाद जम्मू कश्मीर राज्य सरकार की सहमति होगी। इसके बाद राष्ट्रपति इसे हटा सकते हैं। दूसरा रास्ता यह है कि राज्यसभा और लोकसभा में बिल पास हो जाए और देश के आधे राज्य इसे हटाने की सहमति दे दें तो इसे हटाया जा सकता है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के आधार पर लोकसभा में एक पार्टी का बहुमत है, लेक‍िन राज्यसभा में नहीं है। इसलिए इंतजार करना पड़ेगा। देशभर में लागू संविधान का अंग है धारा-370 और यह धारा संविधान के 21 वें भाग में समाहित है। 

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