पंडों के दाह संस्कार का शुल्क और किन्नरों का नेग करवाया था तय
भैसाकुंड पर पंडों और घरों में किन्नरों की मनमानी वसूली के मुद़दे को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाकर इस समस्या का निदान करवाया था।
लखनऊ, (अजय श्रीवास्तव)। अगस्त 2010 की बात है, जब एक शोकाकुल पीडि़त दैनिक जागरण के दफ्तर आया था। उसकी पीढ़ा था कि भैसाकुंड के पंडे ने उसके बेटे का दाह संस्कार तब तक नहीं किया, जब तक उनसे ढ़ाई हजार रुपये नहीं दिया। चिता पर गऊदान की प्रक्रिया रोक दी गई। पीडि़त ने कहा कि तीन हजार की मांग की जा रही थी। इस पीढ़ा को दैनिक जागरण ने गंभीरता से लिया और भैसाकुंड जाकर रिपोर्टर ने पड़ताल की। हकीकत सामने आई। पंडे (महापात्र) मनमानी वसूली कर रहे थे। गिरोह बनाकर काम हो रहा था और गरीबों को दाह संस्कार कराने में हाथ जोडऩा पड़ रहा था।
'मृत्यु, मजबूरी, महापात्र और मनमानी, मौत में तलाशते हैं मुनाफा, 'महापात्रों ने दिए तीन रेट, मेयर ने कहा, 500 रुपये जैसे शीर्षक से कई खबरें अभियान चलाकर छापी गईं। पार्षद रंजीत सिंह की अगुआई में भैसाकुंड के सामने धरना तक हो गया। पार्षद ने पंडों की मनमानी रोकने की मांग की। इससे पंडे परेशान होने लगे और दबाव बनाने लगे कि वह दाह संस्कार नहीं कराएंगे। दैनिक जागरण का अभियान जारी था और शहरवासियों का समर्थन मिल रहा था। तत्कालीन मेयर डा. दिनेश शर्मा ने भी पंडों की मनमानी को गंभीरता से लिया था। पंडों के तमाम दबावों को नकारते हुए मेयर ने पांच सौ रुपये का शुल्क तय कर दिया। यह निर्णय भी नगर निगम सदन में सभी पार्षदों की सहमति से पास किया गया था। इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के साथ ही भैसाकुंड श्मशान घाट परिसर में बोर्ड में भी लग गया था, जिसमे पांच सौ से अधिक दाह संस्कार शुल्क लेने पर काररवाई का जिक्र था। दैनिक जागरण के अभियान और नगर निगम के निर्णय पर शहरवासियों ने स्वागत किया था और आज भी दाह संस्कार शुल्क पांच सौ रुपये ही है।
किन्नरों का नेग भी तय करा दिया था
दैनिक जागरण ने वर्ष 2010 में किन्नरों की मनमानी के खिलाफ अभियान चलाया था। किन्नर नेग के नाम पर दस से बीस हजार तक वसूल रहे थे और न देने पर हंगामा करते थे। शहरवासी भी इस मनमानी से पीडि़त और दशहत में थे। दैनिक जागरण ने किन्नरों की मनमानी के खिलाफ अभियान चलाया। खबरें छपने लगी तो उन लोगों ने अपनी पीढ़ा बताई, जिनके यहां से किन्नर मनमाने तरह से वसूली कर लाए थे। जागरण के फोरम पर ऐसी शिकायतों की भरमार हो गई थी। अभियान का असर दिखा और नगर निगम ने किन्नरों की मनमानी पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया। असली और नकली किन्नरों की जांच के लिए सीएमओ को पत्र भेजा गया और शहर में एक टीम गठित कर दी गई, जो किन्नरों की मनमानी की शिकायत पर तत्काल मौके पर पहुंच जाती थी। उन्हें पांच सौ का ही नेग दिलाया जाता था। दैनिक जागरण का यह अभियान बहुत सराहा गया। नगर निगम सदन ने भी किन्नरों का नेग पांच सौ तय कर दिया था।