चिंताजनक : बुदेलखंड तरबतर, बाकी सूबे में बारिश का कोटा अधूरा lucknow news
सूबे में सबसे अधिक बरसात इस बार बुंदेलखंड में। प्रदेश में अगस्त तक लगभग 25 फीसद कम हुई बारिश। बीते वर्ष के मुकाबले करीब 17 फीसद कम बरसे मेघ।
लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। बंगाल की खाड़ी से उठे बादल उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब में जो नेमत बरसाते थे, इस दफा मध्य भारत में ही ठहर गए। इस कारण झारखंड, मध्यप्रदेश, पूर्वी राजस्थान और गुजरात तो जमकर तरबतर हुए, लेकिन उप्र, बिहार, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब अपने कोटे की बारिश के लिए तरसते रहे। यहां तक कि सूखे जैसे हालात में आमतौर पर सूखा रहने वाला बुंदेलखंड इस बार जमकर भीगा और सूबे के बाकी हिस्सों में बारिश की भरपूर उम्मीदें परवान नहीं चढ़ पाईं।
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, उप्र में अब तक करीब 25 फीसद बारिश हुई है। यह बीते वर्ष के मुकाबले लगभग 17 फीसद कम है। प्रदेश में इस बार बारिश लगभग मानक से 80 फीसद ही रहने के ही आसार हैं। मध्य उप्र में इस बार करीब 30 फीसद कम बारिश हुई है। वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे कम मात्र 69 फीसद बारिश ही रिकॉर्ड हुई है।
स्काईमेट वेदर एजेंसी के मेट्रियोलॉजी डिवीजन के वाइस प्रेसीडेंट महेश पालावत के मुताबिक, चार सितंबर से बारिश एक बार फिर शुरू होकर सात-आठ सितंबर तक होने की उम्मीद है। हालांकि, भारी नहीं बल्कि मध्यम बारिश रहने का ही अनुमान है। वहीं, आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता कहते हैं कि 31 अगस्त तक प्रदेश में 82 फीसद बारिश हुई है। जबकि कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक राजेश गुप्ता के अनुसार यह आंकड़ा 75.8 फीसद है।
बुंदेलखंड को बड़ी राहत
बीते वर्ष बुंदेलखंड में बारिश का टोटा था। सूखे से जूझते बुंदेलखंड को राहत देने के लिए शासन ने कृत्रिम बारिश तक की तैयारी कर ली थी, लेकिन जल संकट से लड़ते बुंदेलखंड पर इस बार इंद्रदेव खास मेहरबान रहे। जून से 31 अगस्त के बीच बुंदेलखंड में 85 फीसद से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है।