ऑन द स्पाट: रेलवे स्टेशन नहीं ये है अव्यवस्था और ठगी का जंक्शन, खानपान स लेकर शौचालय तक होती है वसूली
ए-1 श्रेणी के चारबाग स्टेशन और लखनऊ जंक्शन पर यात्री सुविधाएं बदहाल। दिव्यांगों के लिए सेवा निश्शुल्क फिर भी लिए जा रहे पैसे। शौचालय और स्नानागार के प्रयोग पर दोगुना ले रहे दाम।
लखनऊ(जेएनएन)। सुनकर हैरानी जरूर होगी लेकिन यूपी की राजधानी लखनऊ का ए-1 श्रेणी के रेलवे स्टेशन चारबाग पर नौ में से आठ प्लेटफार्मो पर शौचालय ही नहीं है। दो प्लेटफार्मो पर यूरिनल हैं लेकिन उनमें ाी एक बंद रहता है। ट्रेनें देरी से आती हैं लेकिन प्लेटफार्मो पर यात्रियों के बैठने के लिए समुचित बेंच तक नहीं है। इनकी जगह तेजी से बढ़ रहे स्टाल जरूर है। यात्री यदि चारबाग पहुंचे तो केला खाकर ही उनको अपनी भूख शांत करनी पड़ेगी। यहां लखनऊ जंक्शन की तरह आम यात्री की पूड़ी नहीं मिलेगी। वाई-फाई का नेटवर्क अब यात्रियों के मोबाइल पर कनेक्ट नहीं होता है। अव्यवस्थाओं और असुविधाओं की चारबाग के साथ इसके पास के लखनऊ जंक्शन पर लंबी फेहरिस्त है। इन सबके बीच कदम-कदम पर हो रही अवैध वसूली रेलवे के पारदर्शी सिस्टम की पोल ाोलती है। चारबाग स्टेशन से जहां प्रतिदिन 300 ट्रेनों से डेढ़ लाख यात्री रवाना होते हैं, वहंी लखनऊ जंक्शन पर 60 ट्रेनों के करीब 70 हजार यात्री सफर करते हैं। पूर्वोत्तर और उत्तर रेलवे का डीआरएम कार्यालय लखनऊ में है। डीआरएम से लेकर स भी वरिष्ठ अफसर लखनऊ में होने के बावजूद चारबाग और लखनऊ जंक्शन आज तक मॉडल स्टेशन नहीं बन सके। असुविधाओं का सबसे अधिक सामना यात्रियों का चारबाग स्टेशन पर होता है। हालांकि लखनऊ जंक्शन पर असुविधाएं कम हैं, लेकिन यात्रियों से लूटघसोट पर अब तक नियंत्रण नहीं लग सका है। चारबाग स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर सात की हालत बहुत जर्जर हो गई है। रायबरेली छोर पर करीब 100 मीटर हिस्सा टूटा हुआ है। जबकि कानपुर छोर पर भी रात के समय उबड़ खाबड़ प्लेटफार्म पर चलना खतरे से खाली नहीं है। इस प्लेटफार्म पर एक यूरिनल रायबरेली छोर पर है। जबकि कानपुर छोर की तरफ वह भी नहीं। पीने के पानी के लिए नल की संख्या पहले ही कम है। दो नलपोस्ट को लोहे के ग्रिल से बंद कर दिया गया है। कोच गाइडेंस सिस्टम तो चारबाग स्टेशन के केवल प्लेटफार्म एक पर ही है। जहां से लखनऊ मेल के वीआइपी यात्री रवाना होते हैं। बाकी सभी प्लेटफार्मो पर यात्रियों को अपनी बोगियों की पोजीशन के लिए धक्का खाना पड़ता है। स्टेशन पर एस्केलेटर और लिफ्ट लगाने का काम कच्छप गति से हो रहा है। प्लेटफार्म चार व पांच के जिस एस्केलेटर का उद्घाटन इस साल 18 मार्च को रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने किया था। वह यात्रियों के लिए चलता ही नहीं है। प्लेटफार्म दो व तीन पर लिफ्ट व एस्केलेटर लगाने का काम चार महीने में भी पूरा न हो सका है। कैब-वे से उठ रही दुर्गध यात्रियों को नाक में रूमाल लगाने पर मजबूर करती है। पूछताछ काउंटरों पर यात्रियों को ट्रेन की स्थिति हासिल करने में पसीने छूट जाते हैं। काउंटरों पर बैठे रेलकर्मी उनसे अभद्रता करते हैं। लखनऊ जंक्शन पर फूड ट्रैक के बगल वाले शौचालय में यूरिनल के इस्तेमाल पर भी पांच रुपये वसूले जाते हैं। पुष्पक एक्सप्रेस से आए यात्रियों पर टीसी ऐसे टूटते हैं जैसे कोई अपराधी यात्रा करके आया हो। जनरल टिकट में कई नुक्स निकालकर यात्रियों से वसूली होती है। सवारी दिखी नहीं कि टूट पडे़:
स्थान चारबाग स्टेशन। लखनऊ मेल आ चुकी है। सवारियां बाहर निकल रही हैं। सवारी दे ाते ही एक साथ कई-कई चालक उन पर टूट पड़ते हैं। कोई इधर खींच रहा तो कोई जबरन धकेलता हुआ लगेज हाथ से छीने लिए जा रहा है। मनमाना किराया वसूली सौदा पट गया तो चल पडे़ नहीं बना तो दूसरा मोल भाव करने में जुट गया है। अगर फिर भी बात नहीं बनीं तो अभद्रता पर उतारू। सामान फेंक चलते बने। किराया तय है। फिर भी खुलेआम मनमानी। पुलिस, जीआरपी और आरपीएफ के सिपाहियों की मौजूदगी में ही मनबड़ ऑटो, विक्रम और ओला उबर की मनमानी देखने को मिली। कोई सवारी खींच रहा था तो किसी को उम्र का भी याल नहीं था। दृश्य एक: दिल्ली से आए दिव्यांशु अपनी पत्नी के साथ चारबाग स्टेशन परिसर से बाहर निकल ही रहे थे कि ऑटो चालकों के हुजूम ने उन्हें प्लेटफार्म पर ही घेर लिया। कहां चलना है साहब..तकरोही..पैसा बोलो 300 रुपया लगेंगे। बात अभी जारी ही थी कि दूसरे ने बैग हाथ से लेने की कोशिश करते हुए चलिए ढाई सौ दे दीजिएगा..पर बात नहीं बनी। दिव्यांशु अड़ गए बोले जब 168 रुपये तकरोही का किराया है तो ढाई सौ क्यों कहते हुए वह चालक को झिड़कते आगे बढ़ जाते हैं। दृश्य दो: ऑटो सं या यूपी 32जीएन-5319 का चालक। ऑटो बीच सड़क छोड़ ाीड़ को चीरता हुआ सवारियों तक जा पहुंचा। जानकीपुरम का वैसे तो 100 रुपया लगता है। लेकिन अगर एडजेस्ट कर सकें तो पचास में ही काम चल जाएगा। सवारी की पीठ पर हाथ रखते हुए उसे लगभग खींचने के अंदाज में रास्ता बता रहा है। तीन सवारी पीछे बैठा लेंगे और आगे दो सवारी अगर तैयार है तो पचास रुपये प्रति सवारी लिया जाएगा। जब सवारी तैयार नहीं हुई तो बैग छोड़ दूसरे ग्राहक की ओर चल पड़ता है।
फुटकर सवारियां ढोती दिखीं ओला-उबर :
दृश्य तीन: आमतौर पर बुकिंग से आने वाली ओला और उबर गाड़ियां फुटकर सवारियां ढोती नजर आई। दिल्ली मेल से उतरते ही यात्रियों के हुजूम को अपने हिसाब से किराया तय कर बैठाती नजर आई। ऑटो की तरह आगे और पीछे बैठने वाली सवारी का किराया तय कर स्टेशन परिसर से वे अपने वाहन लेकर भागते नजर आए। कुछ ऑटो चालकों ने इस पर आपत्ति जताई। रिक्शा चालकों की 'गुंडई':
दृश्य चार : चारबाग स्टेशन के बाहर रिक्शा चालक भी यात्रियों से मनमानी करने में पीछे नहीं थे। यात्रियों से नाका ¨हडोला तक जाने का पचास से सौ रुपया तक मांग रहे थे। यही हाल बासमंडी चौराहे की ओर जाने वाले लोगों का था। इधर ताला, उधर अवैध वसूली :
एक ओर नागरिक सुविधाओं में ताला लगा है, दूसरी तरफ अवैध वसूली की जा रही है। यह हाल है रेलवे जंक्शन लखनऊ का। नागरिकों से उगाही के मामले पर रेलवे प्रशासन भी आंखें मूंदे है। सोमवार सुबह पुष्पक एक्सप्रेस के आने के बाद जंक्शन पर मुसाफिरों की भीड़ बढ़ गई। थोड़ी ही देर में प्लेटफार्म नंबर एक के बगल महिला और पुरुष प्रसाधन के सामने यात्रियों की कतार लग गई। यहां 'मूत्रालय का उपयोग निश्शुल्क है' का बोर्ड लगा है, जबकि इसके लिए पांच-पांच रुपये की उगाही की जा रही है। शौचालय के प्रयोग पर दो रुपये व स्नान घर के उपयोग पर पांच रुपये और यदि दोनों का प्रयोग करना है तो भी पांच रुपये निर्धारित है। रेट बोर्ड प्रसाधन के बाहर लगा भी है, लेकिन संचालक मनमानी करने से बाज नहीं आ रहा। हर सुविधा पर दो गुना शुल्क लिया जा रहा है। गोंडा के विवेक से अवैध वसूली पर बहस ाी हुई। इस पर संचालक ने उन्हें अतिरिक्त धनराशि देने के लिए राजी होने के बाद ाी शौचालय का उपयोग नहीं करने दिया। दिव्यांगों के लिए प्रसाधन सेवा मुक्त है, पर उनसे भी अवैध वसूली की जा रही है। हरदोई के शिवाकांत के साथ आए दिव्यांग राम उजागिर ने बताया कि उनसे शौचालय का प्रयोग करने पर जबरदस्ती पांच रुपये लिया गया। वहीं कैब-वे के किनारे रेलवे की ओर से सिंगल शौचालय बना है, लेकिन उसमें ताला लगा है। जंक्शन पर गंदगी से हो रहा स्वागत:
रेलवे जंक्शन परिसर में प्रवेश के मुख्य मार्ग पर जलभराव है। यहां गंदा पानी कई दिनों से भरा है। स्वागत बोर्ड के ठीक सामने कचरा भी जमा है। हालांकि स्टेशन परिसर में सफाई व्यवस्था चाकचौबंद दिखी। सुबह सात बजे से ही कर्मी प्लेटफार्म पर झाड़ू-पोछा करने में मुस्तैद दिखे।
कैब-वे बदहाल, फिर भी पार्किंग शुल्क :
जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर छह के बगल कैब-वे है। यह मार्ग जर्जर हो चुका है। चारबाग स्टेशन से कैब-वे की ओर 50 मीटर बाद सड़क पर जलभराव है। वाहनों के आवागमन से दिनोंदिन गड्ढा गहरा होता जा रहा है। आवागमन में चूके तो गंदे पानी में सराबोर होना तय है। अक्सर लोग गिर कर चोटिल भी हो जा रहे हैं। सोमवार को वासु कृष्ण बाइक से फिसल कर गिर गए। उन्हें घुटने में चोट लगी। इसके बाद भी कैब-वे पर वाहन पार्किंग के नाम पर वसूली की जा रही है। यहां चार पहिया वाहन की पार्किंग पर 50 रुपये प्रति दो घंटे, तीन पहिया पर 30 रुपये प्रति 30 मिनट, बाइक पर 20 रुपये प्रति दो घंटे व ट्रक एवं भारी वाहनों पर 100 रुपये प्रति पांच घंटे की दर से वसूली की जाती है।