दुधवा पार्क में मिली अत्यंत दुर्लभ प्रजाति की वनस्पति ‘ग्राउंड आर्किड’, 100 वर्षों बाद दिखी ये प्रजाति
दुधवा नेशनल पार्क में आर्किड की अत्यंत दुर्लभ प्रजाति मिली बांग्लादेश के वनस्पति शास्त्री ने कहा-100 साल में देखने को नहीं मिला कोई रिकॉर्ड।
लखीमपुर [श्वेतांक शंकर उपाध्याय]। दुधवा टाइगर रिजर्व के अलग-अलग घास के मैदानों में अनुश्रवण कार्य में लगी टीम ने अत्यंत दुर्लभ प्रजाति की वनस्पति ‘ग्राउंड आर्किड’ को खोज निकाला है। इसका वानस्पतिक नाम ‘यूलोफिया ऑब्ट्यूस’ है। जो आर्किड की एक प्रजाति है और आर्किडेसी परिवार की सदस्य है। दुधवा अधिकारियों की इस सफलता पर पर्यावरणीय विज्ञान एवं प्रबंधन विभाग उत्तर-दक्षिण विश्वविद्यालय ढाका (बांग्लादेश) के वनस्पति शास्त्री मो. शरीफ हुसैन सौरभ ने जर्मनी से फोन कर बधाई दी है।
उनके मुताबिक, इस दुर्लभ प्रजाति का रिकॉर्ड पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से देखने को नहीं मिला है। मो. शरीफ, वैकाल टील प्रोडक्शन रायल बोटोनिक्ल गार्डन ढाका के रोनाल्ड हालदार, इंग्लैंड के आन्द्रे शूटमैन ने अपने संयुक्त शोध पत्र में उल्लेख किया है कि यह वनस्पति बांग्लादेश में वर्ष 2008 व 2014 में देखी गई लेकिन, वहां इसके फूलों का रंग अलग था। पुराने रिकॉर्ड में उत्तरी भारत व नेपाल में इसके पाए जाने का उल्लेख मिलता है। मौसमी मौर पर जल प्लावित घास के मैदानों में पाई जाने वाली यह वनस्पति के वर्तमान में भारत व नेपाल में पाए जाने के संबंध में कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि क्यू हर्बेरियम, इंग्लैंड में नवीनतम संग्रह भी वर्ष 1902 का है, जो यह साबित करता है कि यह अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का वनस्पति है।
साइंटिस की अनुसूची दो में है आर्किड
इस दुर्लभ वनस्पति को दुनिया के विभिन्न देशों के मध्य संकटग्रस्त वनस्पतियों व जीव जंतुओं के अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए सृजित सभा साइटिस की अनुसूची-2 में रखा गया है।
इन अधिकारियों ने खोजी वनस्पति
इस दल में मुख्य वन संरक्षक संजय कुमार, दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक, कर्तनिया घाट फाउंडेशन के सदस्य फजलुर रहमान, विश्व प्रकृति निधि के समन्यवक मुदित गुप्ता और यश पाठक शामिल हैं।
फील्ड डायरेक्टर की सुनिए
दुधवा पार्क के एफडी संजय पाठक कहते हैं कि दुधवा में आर्किड प्रजाति का पाया जाना यह साबित करता है कि यहां के घास के मैदानों के स्वास्थ्य की दशा बेहतर है। टाइगर रिजर्व में वनस्पतियों का अच्छी तरह संरक्षण किया जाता है।