यूपी में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए बनेगी रैपिड रिस्पांस टीम, ट्रेंड कर्मी व डॉक्टर होंगे तैनात
उत्तर प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आए दिन घटित हो रही हैं। इसी समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार रैपिड रिस्पांस टीम गठित करने जा रही है।
लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। उत्तर प्रदेश सरकार मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने और त्वरित कार्रवाई के लिए हर जोन में रैपिड रिस्पांस टीम बनाने जा रही है। इसके तहत हर डिवीजन में बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराए जाएंगे। इसमें डॉक्टर और प्रशिक्षित कर्मियों की एक ऐसी टीम होगी जो तत्काल मौके पर पहुंचकर मदद करेगी। यह टीम भटक कर आबादी में आने वाले वन्यजीवों को भी बचा कर उन्हें सुरक्षित जंगलों में छोड़ेगी।
उत्तर प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आए दिन घटित हो रही हैं। कहीं तेंदुए आबादी में पहुंच जा रहे हैं तो कहीं बाघ परेशान कर रहे हैं। सभी जिलों में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने व जंगलों से भटक कर आबादी में आ गए वन्यजीवों को पकड़ने के पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं हैं। वन्यजीव डॉक्टरों के अलावा प्रशिक्षित कर्मियों की टीम भी लखनऊ या कानपुर से ही भेजनी पड़ती है। इस कारण कई बार रेस्क्यू ऑपरेशन में विलंब हो जाता है। इसी समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार रैपिड रिस्पांस टीम गठित करने जा रही है।
यूपी में वन विभाग में कुल 14 जोन हैं। इनमें मेरठ, आगरा, बरेली, कानपुर, लखनऊ, मध्य क्षेत्र, प्रयागराज, मीरजापुर, बुंदेलखंड, पूर्वी क्षेत्र, गोरखपुर जोन के अलावा वाइल्ड लाइफ के तीन जोन दुधवा, पश्चिम व पूर्वी हैं। रिस्पांस टीम में जो कर्मी रखे जाएंगे उन्हें वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षित कराया जाएगा। इन्हें यह बताया जाएगा कि इमरजेंसी में किस प्रकार हालात से निपटा जाए। वन विभाग अपने हर डिवीजन में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे वन्यजीव पकड़ने के लिए पिजड़ा, ट्रांसपोर्ट केज, ड्रोन कैमरा के साथ ही कैमरा ट्रैप सहित अन्य साजो-सामान मुहैया कराएगा। डॉक्टरों को फिलहाल आउटसोर्स पर रखा जाएगा।
पांच रेस्क्यू सेंटर कम करेंगे चिड़ियाघर का भार
उत्तर प्रदेश सरकार वन्यजीवों के लिए पांच रेस्क्यू सेंटर बनाने जा रही है। यह इटावा, मेरठ, पीलीभीत, महराजगंज व चित्रकूट में बनेंगे। रेस्क्यू कर लाए जाने वाले वन्यजीवों को पहले इन सेंटरों पर लाया जाएगा। यहां डॉक्टर के साथ ही सभी मूलभूत सुविधाएं मौजूद रहेंगी। यहां वन्यजीवों का इलाज करने के बाद जब वे पूरी तरह दुरूस्त हो जाएंगे तो उन्हें जंगलों में छोड़ा जाएगा। अभी वन्यजीवों को चिड़ियाघर ले जाना पड़ता है। चिड़ियाघरों में पहले से जानवरों का भार अधिक है। ऐसे में रेस्क्यू सेंटर चिड़ियाघरों के भार को भी कम करेंगे।