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सजकर तैयार है रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की बिसात, 70 एकड़ के परिसर का हुआ सर्वे

प्रस्तावित राम मंदिर और कॉरीडोर की भूमि का समतलीकरण एवं संपूर्ण 70 एकड़ के परिसर का सर्वे गत माह ही हो चुका है पूर्ण।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 01:01 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 01:01 PM (IST)
सजकर तैयार है रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की बिसात, 70 एकड़ के परिसर का हुआ सर्वे

अयोध्या [रघुवरशरण]। कोरोना संकट के चलते भूमिपूजन की तारीख मुकर्रर करने के लिए जहां लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी, वहीं इस अवधि में मंदिर निर्माण की शुरुआत की तैयारियां पुख्ता करने का बखूबी मौका भी मिला। इस दिशा में पहल मार्च माह के प्रथम सप्ताह से ही शुरू हो गई थी। पखवारे भर के भीतर ही रामलला को साज-सुविधा युक्त एवं पहले से कहीं बेहतर वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापित कर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण से जुड़ी प्रतिबद्धता का इजहार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि 25 मार्च को वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला की प्रतिष्ठा के साथ कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन ने तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के इरादे पर पानी फेर दिया।

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लॉकडाउन के निर्देश को देखते हुए 10 मई तक काम पूरी तरह से ठप रहा, पर लॉकडाउन में किंचित ढील के साथ ही तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट नए सिरे से सक्रिय हुआ और 70 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर के केंद्रीय क्षेत्र के रूप में स्थित उस तीन एकड़ क्षेत्र का समतलीकरण शुरू कराया, जहां रामलला के स्थायी गर्भगृह सहित मुख्य मंदिर और कॉरीडोर की स्थापना की जानी है। समतलीकरण की प्रक्रिया पूरी होने, 70 एकड़ के संपूर्ण परिसर का सर्वे और नींव भरे जाने से पूर्व मिट्टी की जांच होने के साथ मंदिर निर्माण की बिसात पूरी तरह से सज चुकी है। इसी के साथ ही 120 गुणे 80 वर्ग फीट के उस भूमि का चिह्नांकन भी किया जा चुका है, जो रामजन्मभूमि के रूप में सदियों से विवाद के केंद्र में रही है। इस बीच जहां मंदिर निर्माण के लिए चयनित निर्माण के क्षेत्र की प्रख्यात कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) के प्रतिनिधि निर्माण शुरू होने से पूर्व तकनीकी ²ष्टि से राई-रत्ती का मिलान कर चुके हैं, वहीं तराशे गए पत्थरों की सफाई भी दिल्ली की एक कंपनी की देख-रेख में निरंतर आगे बढ़ रही है।  

शेष शिलाओं की तराशी मंदिर परिसर में ही कराने की योजना

-मंदिर निर्माण के लिए शेष शिलाओं की तराशी रामजन्मभूमि परिसर में कराये जाने की योजना है। गत तीन दशक से शिलाओं की तराशी रामजन्मभूमि से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर रामघाट स्थित न्यास कार्यशाला में चल रही थी। अब जबकि 70 एकड़ का अधिग्रहीत परिसर मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को अधिगत हो चुका है, तब शिलाओं की तराशी अधिग्रहीत परिसर में ही किये जाने की योजना बनायी जा रही है। कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोमपुरा कहते हैं '1990 में जब शिलाओं की तराशी शुरू हुई थी, तब रामजन्मभूमि परिसर में जगह मिलने की दूर-दूर तक संभावना नहीं थी। ऐसे में विवशता वश कार्यशाला की स्थापना रामघाट परिक्रमा मार्ग चौराहा पर करनी पड़ी और आज जब संपूर्ण अधिग्रहीत परिसर में मंदिर निर्माण का हक हासिल हो चुका है, तब यह स्वाभाविक है कि बाकी बची शिलाओं की तराशी इसी परिसर में करायी जायÓ। 

हो चुकी है एक लाख घन फीट शिलाओं की तराशी

-268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा एवं 128 फीट ऊंचा प्रस्तावित मंदिर के लिए 1990 से ही पत्थरों की तराशी चल रही है। प्रस्तावित मंदिर में एक लाख 75 हजार घन फीट शिलाओं का प्रयोग होना है। अब तक एक लाख घन फीट से कुछ अधिक शिलाओं की तराशी हो चुकी है। इसमें प्रमुख रूप से प्रथमतल के 106 स्तंभ, प्रथम तल की फर्श, ङ्क्षसह द्वार आदि प्रमुख है। मंदिर मुख्यत: पांच प्रखंडों में विभाजित है, इनमें ङ्क्षसहद्वार, रंग मंडप, नृत्य मंडप, पूजन मंडप एवं गर्भगृह है।


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