रामनगरी में मुफलिसी में हो रही रामलला की गुजर-बसर Ayodhya News
राम लला को भोग-राग एवं पूजन-अर्चन के लिए माह भर में मिलते हैं महज 30 हजार रुपये।
अयोध्या [रघुवरशरण]। जहां रामनगरी के ही कुछ अन्य मंदिरों में पूजन-अर्चन, भोग-राग का मासिक व्यय लाखों में है, वहीं रामलला को बमुश्किल 30 हजार रुपये ही मिल पाते हैं। इस राशि का मुख्य व्यय रामलला की रसोई में होता है। रामलला की सेवा में मुख्य अर्चक, चार सहायक अर्चक, कोठारी-भंडारी और दो सेवक सहित कुल नौ लोगों का स्टाफ है। सभी पुजारी एक साथ रामलला की सेवा में नहीं रहते। तब भी दोनों पाली में औसतन 14 लोगों का भोजन बनता है। यदि एक व्यक्ति के भोजन का व्यय कम से कम 50 रुपये तय किया जाय, तो इसी मद में रामलला का मासिक व्यय 21 हजार रुपये हो जाता है। बाकी के नौ हजार से रामलला की नियमित पूजन सामग्री, बाल-भोग आदि के व्यय की मुश्किल समझी जा सकती है।
हालांकि, अधिग्रहीत परिसर के पदेन रिसीवर मंडलायुक्त ने गत दो वर्ष से रामलला को आवंटित होने वाले मासिक व्यय में क्रमश: दो हजार एक सौ एवं तीन हजार आठ सौ की वृद्धि की है। इस वृद्धि पर रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास संतोष भी जताते हैं। कहते हैं, आने वाले कुछ महीनों तक व्यय अधिक और आय कम की विसंगति से निजात मिलेगी।
चढ़ावा लाखों में और खाते में 10 करोड़
यदि चढ़ावे पर गौर किया जाय, तो रामलला के गौरव से न्याय कठिन नहीं लगता। मुख्य अर्चक के अनुसार, रामलला का मासिक चढ़ावा छह से आठ लाख रुपये है। रामलला के खाते में भी 10 करोड़ से अधिक राशि है।
बिना धुले 52 दिन पहननी पड़ती एक पोशाक
रामलला को साल भर में कुल सात पोशाक मिलती हैं। एक पोशाक उन्हें 52 दिन पहननी पड़ती है और वह भी बिना धुले। रामलला को यूं तो सप्ताह में दिन के अनुरूप रंग की पोशाक पहनाई जाती है, मगर फिलहाल अगले सप्ताह नियत दिन रामलला को पुन: वही पोशाक पहनाई जाती है। राम जन्मोत्सव के व्यय सहित रामलला को पोशाक-पर्दा आदि के लिए वर्ष में एक बार पैसा आवंटित होता है। गत रामनवमी के मौके पर इस मद में रामलला के अर्चक को 51 हजार रुपये मिले थे।
रामलला के रिसीवर एवं मंडलायुक्त मनोज कुमार मिश्र ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट की निगरानी में यथास्थिति एवं महंगाई के बीच संतुलन बनाकर रामलला के व्यय में जो भी वृद्धि संभव है, वह की जा रही है।