Raksha Bandhan 2020: स्वदेशी धागे से मजबूत होगी भाई-बहन के रिश्तों की डोर
Raksha Bandhan 2020 कोरोना काल ने बदला त्योहार का स्वरूप भाइयों की कलाई पर सजेगी हाथ की बनी राखियां।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। Raksha Bandhan 2020: सीमा पर हमारे फौजी भाइयों ने चीनी सैनिकों को सबक सिखाया तो देश की बहनें कैसी रहतीं। उन्होंने भी अपने भाइयों की कलाई पर देसी राखी बांधने की प्रतिज्ञा लेकर चीन की हेकड़ी निकाल दी है। इसका उदाहरण है शहर के घरों में तैयार हो रहीं राखियां। इस बार बाजार भी देसी राखियों से गुलजार हैं। चीन की बनी राखियां स्वदेशी राखियों की चमक के आगे गायब हो चुकी हैं। अमीनाबाद के दुकान दार अमन सोनकर ने बताया कि भारतऔर चीन के रिश्तों में खटास आने पर इसबार लोग चीनी राखी का बहिष्कार कर रहे हैं। हालांकि, कोरोना के चलते लॉकडाउन रहा, जिससे बहुत ज्यादा राखियां बाजार में नहीं आई। बावजूद इसके राजधानी का हर बाजार राखी के त्योहार के रंग से सराबोर हो चुका है।
भाई की डिमांड पर बहने बना रहीं राखियां
इंदिरानगर निवासी सिद्धि जायसवाल की बेटी मीनल ने तो बाजार जाने से ही मना कर दिया है। मीनल छोटे भाई देव की पसंद की राखी बना रही है। कक्षा सात में पढ़ने वाले देव सैतानियों के बीच राखी बनाने में बड़ी बहन की मदद भी कर रहे हैं। आशियाना की पूजा मेहरोत्रा भी बेटी इसिका भी भाई राघव के लिए घर में ही राखी बना रही हैं। उनका कहना है कि मम्मी ने संक्रमण के चलते बाहर जाने से मना कर रखा है, ऐसे में घर में मौजूद सामानों ने राखी बना रही हूं। भाई के कहने से कुछ बदलाव भी कर देती हूं। भाई भी घर में ही है, ऐसे में सरप्राइज में हाथों की बनी राखी बांधने का सपना पूरा तो नहीं हो पा रहा है, लेकिन भाई मोतियों और रेशम के धागे से बनी राखी को बांधने को बेकरार है।
बाजार की नहीं घर की मिठाई से होगा मुंह मीठा
भाई-बहन के प्यार के अटूट रिश्तों को मजबूत करने के लिए भाई-बहन दोनों ही संजीदा हैं। कोरोना संक्रमण के चलते बहन घर में बनी मिठाई से ही भाई का मुंह मीठा करने की तैयारी कर रही हैं। आलमबाग की किरन पांडेय का कहना है कि कोरोना के चलते डर लग रहा है। ऐसे में भाई की सुरक्षा के लिए घर में ही राखी बना रही हूं और भाई के लिए दूध का खोआ बनाकर बर्फी बनाने की तैयारी कर रही हूं। मानसनगर की खुशूब सिंह भी भाइयो के लिए राखी बनाने के साथ ही मिठाई बनाने की तैयारी कर रही हैं। खुली मिठाई के बजाय डिब्बा बंद सोन पपड़ी व चॉकलेट से भी मुंह मीठा कराने की तैयारी बहनें कर रही हैं।
भाइयों की कलाई पर बंधेगी समृद्धि की स्वदेशी राखी
सरोजनीनगर निवासी मंजू इन दिनों भाइयों की कलाई में सजने वाली राखी को बना रही हैं। एक दिन में 100 के करीब राखी बनाकर दो से 300 रुपये की आमदनी की अपने घर का खर्च चला रही हैं। राखी बनाकर मंजू के जीवन में समृद्धि आ रही है तो दूसरी ओर यह समृद्धि की प्रतीक राखी भाइयों की कलाई में बंधने को तैयार है। उप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की पहल पर इन राखियों को स्वदेशी प्रेरणा राखी का नाम दिया गया है। राखी के साथ ही सुरक्षा मास्क भी 10 रुपये में दो दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के निदेशक सुजीत कुमार ने बताया कि राजधानी समेत कई जिलों में राखियां बनाई जा रही हैं। स्वदेशी प्रेरणा के नाम से 196 महिला समूह के माध्यम से एक हजार महिलाएं समृद्धि की राखी बनाकर अपना परिवार चला रही हैं। अब तक 17,7170 राखियां तैयार की गई हैं। इनकी बिक्री से 25 लाख रुपये आमदनी होगी, जो महिलाओं के जीवन में बदलाव लाएगा। राखियों को बनाने में स्वदेशी सामग्री का ही प्रयोग किया जा रहा है तथा कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वदेशी राखी मिल सके। मिशन के प्रवक्ता मनोज कुमार ने बताया कि राखियों को बनाने में बच्चों की पसंद का ख्याल रखा गया है। राखियों को बनाने में प्रवासी महिलाएं भी जुड़ गई है जिससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है। कार्टून वाली स्वदेशी राखियां चीन की राखियों को मात देने को बेकरार हैं। मुख्य बाजारों में राखियां बिकने लगी हैं। महिलाओं की ओर से सेना के जवानों के लिए खास राखियां भी बनाई जा रही हैं।
चीन पर भारी स्वदेशी राखी
चमक दमक वाली चीन की बनी राखियां स्वदेशी राखियों की चमक के आगे बाजार से गायब हो चुकी हैं। अमीनाबाद के दुकानदार अमर सोनकर ने बताया कि भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास आने पर इस बार पूरी तरह लोग चीनी राखी का बहिष्कार कर रहे है। इस बार लोग स्वदेशी राखियां खरीद रहे हैं। हालांकि कोरोना वायरस से फैली महामारी के चलते लॉकडाउन रहा, जिससे बहुत ज्यादा राखियां बाजार में नहीं आ सकी हैं। बावजूद इसके राजधानी का हर बाजार राखी के त्योहार के रंग से सराबोर हो चुका है। बच्चों के साथ बड़ों की पसंंद की राखियां बाजार में मौजूद हैं।
भाई के पास पहुंचेगी ऑनलाइन राखियां व गिफ्ट
कोरोना संक्रमण के चलते ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां भी तैयार हैं। भाई-बहन के पते पर राखियां समय से पहुचाने के लिए तैयार हैं। एक से दो दिन में मुफ्त डिलेवरी का वायदा भी किया जा रहा है। हालांकि इसके लिए खरीदारी की सीमा भी रखी गई है। वृंदावन कॉलोनी निवासी पिंकी दुबे का कहना है कि वह ऑनलाइन ही राखी खरीदेंगी। कई ऑनलाइन इसके बाद पटना में अपने भाई माेनू पांडेय के पते पर डिलेवरर कराऊंगी। भाई ने भी वहां से डिनर सेट बुक कर मेरे पते पर भेज दिया है। गुरुवार को वह घर आ जाएगा।