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झलकी आतंकी गतिविधियों में लिप्त शिक्षित युवाओं को लेकर फिक्र

उच्च कोटि की शिक्षा हासिल कर आतंकी संगठनों और उनकी गतिविधियों में लिप्त युवाओं को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की फिक्र आज यहां बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में भी झलकी। यही वजह थी कि विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उन्होंने भटकाव

By Nawal MishraEdited By: Updated: Tue, 13 Jan 2015 07:24 PM (IST)
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लखनऊ। उच्च कोटि की शिक्षा हासिल कर आतंकी संगठनों और उनकी गतिविधियों में लिप्त युवाओं को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की फिक्र आज यहां बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में भी झलकी। यही वजह थी कि विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उन्होंने भटकाव से बचने के लिए संस्कार संजोये रखने की दीक्षा दी।

दीक्षांत भाषण में उन्होंने कहा कि तथाकथित प्रगतिशील कहते हैं कि दीक्षा और संस्कारों का जीवन में महत्व नहीं होता। विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी के आधुनिकतम ज्ञान से लैस युवा दो धाराओं में बंटे हैं। एक तरफ बेहद ऊंची तालीम हासिल करने वाले ऐसे युवा हैं जो आतंक और विध्वंस की गतिविधियों में लिप्त हैं। वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी युवा हैं जो अपने अर्जित ज्ञान का उपयोग लोकमंगल के लिए कर रहे हैं। दोनों में अंतर है तो सिर्फ संस्कारों और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का। इसलिए श्रेष्ठ बनने के लिए दीक्षा व संस्कारों की जरूरत है। उनका इशारा हाल ही में बेंगलूर और मुंबई में पकड़े गए ऐसे शिक्षित युवकों की ओर था जो आतंकी संगठन आइएस की गतिविधियों में लिप्त पाये गए थे।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारी शिक्षा का पाश्चात्यीकरण हो गया है। अंग्रेजों ने भारतीयों को उनकी जड़ों से उखाडऩे के लिए हम पर अंग्रेजी थोपी। सभी भाषाओं के सम्मान की हिमायत करने के साथ उन्होंने यह भी कहा कि सभी ज्ञान-विज्ञान सिर्फ अंग्रेजी भाषा के जरिये ही अर्जित किया जा सकता है, यह हीन भावना खत्म होनी चाहिए। वीवॉक्स स्किल टेस्ट सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने इस बात पर चिंता जतायी कि भारत के महज ३४ फीसद स्नातक ही रोजगार पाने के लायक हैं। यह भी कहा कि पहली बार देश में किसी सरकार ने बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने और कौशल विकास के लिए अलग मंत्रालय बनाया है। उन्होंने विद्यार्थियों को भीमराव अंबेडकर के सपने को साकार करने का आह्वान किया जो समाज की अंतिम सीढ़ी पर बैठे व्यक्ति के उत्थान के हिमायती थे। उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को नसीहत भी दी कि व्यक्ति का कद उपाधियों से बड़ा नहीं होता। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन और अपने स्थान पर हर काम की महत्ता का भी उल्लेख किया। उन्होंने विद्यार्थियों से ऐसी व्यवस्था सृजित करने का आह्वान किया जिसमें तन के सुख के लिए धन-धान्य हो, मन के सुख के लिए मान-सम्मान हो, बुद्धि के सुख के लिए ज्ञान और आत्मा के सुख के लिए भगवान हो। आर्थिक व भौतिक विकास के साथ उन्होंने आध्यात्मिक विकास पर भी जोर दिया।

राज्यपाल ने बताये तरक्की के चार मंत्र

अपने संक्षिप्त संबोधन में राज्यपाल राम नाईक ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों के साथ तरक्की के वे चार मूल मंत्र साझा किये जो १९५४ में बीकॉम उत्तीर्ण करते समय उनके प्रोफेसर ने उन्हें दिये थे। प्रभावी व्यक्तित्व के लिए पहला मंत्र है, मुस्कुराते रहिए। दूसरा मंत्र है अच्छे काम का गुणगान करिये। तीसरा मंत्र है किसी को छोटा मत दिखाओ, उसकी अवमानना न करो। चौथा मंत्र यह है कि हमेशा किसी भी काम को बेहतर तरीके से करने का रास्ता ढूंढ़ते रहो।

राजनाथ को डीलिट की उपाधि

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को सामाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए विधि में डी.लिट की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया। वहीं प्रख्यात वैज्ञानिक और केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की पूर्व सचिव डॉ.मंजू शर्मा को विज्ञान के क्षेत्र में डी.लिट की मान उपाधि प्रदान की गई। राजनाथ ने कहा भी कि इस उपाधि को प्राप्त करते हुए वह अपराध बोध से ग्रस्त हैं क्योंकि वह खुद को इसके योग्य नहीं समझते लेकिन विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति की अवमानना भी नहीं कर सकते।

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