जौनपुर में गर्मी और प्यास से तड़पकर मर गया भारतीय रेलयात्री
भारतीय रेल चाहे कितना भी सीना चौड़ा कर ले लेकिन संसाधनों व सुविधाओं के मामले में अभी बहुत अकाल है। ऐसा न होता तो झारखंड के रहने वाले एक युवा यात्री को सिर्फ पानी न मिलने के चलते प्यास से जान न गंवानी पड़ती। पानी बिन तड़पकर मौत के मुंह
लखनऊ। भारतीय रेल चाहे कितना भी सीना चौड़ा कर ले लेकिन संसाधनों व सुविधाओं के मामले में अभी बहुत अकाल है। ऐसा न होता तो झारखंड के रहने वाले एक युवा यात्री को सिर्फ पानी न मिलने के चलते प्यास से जान न गंवानी पड़ती। पानी बिन तड़पकर मौत के मुंह में पहुंचा यात्री फरक्का एक्सप्रेस की साधारण बोगी में सफर कर रहा था।
घटना गुरुवार की है। फिरोजपुर से मालदा टाउन जाने वाली फरक्का एक्सप्रेस के साधारण बोगी में झारखंड, पाकुड़ का साकुर पहडिय़ा 38 वर्ष सफर कर रहा था। बोगी के यात्रियों ने वाराणसी कैंट स्टेशन की जीआरपी को बताया कि बोगी में भी पानी नहीं था। साकुर प्यास से बड़ी देर से तड़प रहा था। जौनपुर में स्टेशन पर जैसे ही गाड़ी रुकी, साकुर पानी के लिए प्लेटफार्म की ओर भागा। उसे कहीं पानी नहीं मिला और इस बीच ट्रेन चल दी। वह भाग कर बोगी की तरफ दौड़ पड़ा। यात्रियों का कहना है कि बोगी में चढऩे से पहले वह प्लेटफार्म पर गिरकर बेसुध हो गया। यात्री उसे उठाकर बोगी में ले आए। यात्रियों के बीच से ही किसी से पानी लेकर उसके मुंह पर छिड़का गया लेकिन उसे होश नहीं आया। बनारस पहुंचने से पहले ही साकुर के प्राण पखेरू उड़ गए थे। स्टेशन पर पहुंचने पर यात्रियों ने जानकारी जीआरपी को दी गई। जीआरपी ने शव कब्जे में ले लिया और यात्रियों से घटना की जानकारी ली।
अब पोस्टमार्टम से होगा खुलासा
गुरुवार की शाम करीब चार बजे फरक्का एक्सप्रेस पहुंची तो उसके साधारण बोगी से साकुर का शव उतारा गया। बोगी के यात्रियों ने प्यास या लू लगने के चलते मौत होने की बात बताई है। साकुर के शरीर पर चोट के निशान भी नहीं थे जिसे देखकर माना जाए कि चोट लगने से मौत हुई है। रही बात मौत की सटीक वजह की तो वह पोस्टमार्टम से ही खुलासा होगा। शुक्रवार को बीएचयू पोस्टमार्टम हाऊस शव भेजा गया लेकिन पीएम नहीं कराया गया है। हमारी कोशिश है कि शनिवार को परिजन आ जाएं तो उनकी उपस्थिति में पोस्टमार्टम कराया जाए। साकुर की जेब से मिले पहचान पत्र से शिनाख्त की गई और परिजनों को सूचना भेजी गई है।
-केपी सिंह, दारोगा, जीआरपी
प्यास से मौत बेमानी बात
लखनऊ में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अश्विनी कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि फरक्का ट्रेन के कई स्टापेज हैं। सभी प्लेटफार्म पर पेयजल की व्यवस्था है। इस वजह से प्यास से मौत होने की बात बेमानी है। रही बात बोगी में पानी न होने की तो वैसे भी वह टॉयलेट में यूज के लिए होता है। पीने का पानी तो प्लेटफार्मों पर ही होता है। उसे बोतल में भरकर यात्री इस्तेमाल करते हैं।