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समरसता कुंभ में बोले केंद्रीय मंत्री- जातिवाद और ऊंच-नीच धर्मांतरण की प्रमुख वजह

डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय स्थित वाल्मीकि नगर में आयोजित दो दिनी समरसता कुंभ जातिवाद, धर्मांतरण पर प्रहार के साथ हिंदू समाज की एकजुटता के नाम रहा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 07:47 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 07:49 PM (IST)
समरसता कुंभ में बोले केंद्रीय मंत्री- जातिवाद और ऊंच-नीच धर्मांतरण की प्रमुख वजह
समरसता कुंभ में बोले केंद्रीय मंत्री- जातिवाद और ऊंच-नीच धर्मांतरण की प्रमुख वजह

जेएनएन, अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय स्थित वाल्मीकि नगर में आयोजित दो दिनी समरसता कुंभ जातिवाद, धर्मांतरण पर प्रहार के साथ हिंदू समाज की एकजुटता के नाम रहा। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने ऊंच-नीच की भावना और जातिवाद को धर्मांतरण की प्रमुख वजह बताया। सवाल उठाया कि भारत में रहने वाले गैर हिंदुओं के 90 फीसद परिवार कभी न कभी हिंदू थे, फिर उन्होंने धर्म परिवर्तन क्यों किया। इस पर विचार करना चाहिए। अब महापुरुषों को और देवी-देवताओं को जातियों में बांटने की कोशिश हो रही है। जयंती और पुण्यतिथि के नाम पर महापुरुषों को जातियों में बांटा जा रहा है। धर्मांतरण करने वाले ही देशविरोधी गतिविधियों में भी लिप्त हुए। कहा, अंग्रेजों और मुगलों ने हमारी परंपराओं को विकृत किया। इस अवसर पर आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, प्रो. संजय पासवान आदि वक्ताओं ने भी जातिवाद पर प्रहार किया। 

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समता के साथ हो समरसता

केंद्रीय मंत्री ने कहा, कई लोग समता की बात करते हैं। यह वैसे ही है, जैसे दस लोगों के पास बंगले, गाड़ी और सुख-सुविधाएं हैं, लेकिन आपस में बातचीत नहीं। समता संपन्नता दे सकती है, लेकिन समरसता आपसी समन्वय और सामाजिकता विकसित करती है। समता और समरसता का संबंध दूध में शक्कर जैसा है। 

आंबेडकर का हो अनुपालन 

गहलोत ने डॉ. आंबेडकर के सिद्धांतों के अनुपालन का आह्वान किया। कहा, आंबेडकर ने विदेश में पढ़ाई की। वह चाहते तो वहीं ऐशो-आराम की जिंदगी बिता सकते थे लेकिन, उन्होंने देश को समृद्ध बनाने के लिए काम किया। विषमताओं को दूर करने के प्रयास किए। मंत्री ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के प्रयासों को तह तक ले जाने की आवश्यकता है। 

सिर्फ रामभक्त हनुमान 

उन्होंने कहा कि हनुमानजी भगवान राम के सच्चे भक्त के तौर पर प्रतिष्ठित हैं। उन्हें सिर्फ रामभक्त हनुमान के रूप में ही जानना अच्छा होगा और सद्मार्ग पर चलने की आवश्यकता है।


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