पुलिस को लेकर सवालों से घिरी योगी सरकार, दुस्साहसिक घटनाओं ने खड़ी की मुश्किल
बदमाशों ने मुख्यमंत्री आवास, एनेक्सी व सरकार के प्रमुख कार्यालयों की महज एक किलोमीटर की परिधि के बीच राजभवन मार्ग पर गार्ड की हत्या कर लाखों रुपये लूट लिए।
लखनऊ [आलोक मिश्र]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लखनऊ में कहा था कि उत्तर प्रदेश में अपराधी खौफ में हैं और यहां निवेश का माहौल बना है। इसके ठीक 24 घंटे बाद ही बदमाशों ने लखनऊ के वीवीआइपी इलाके में राजभवन के सामने गार्ड की हत्या कर लूट की वारदात कर राज्य सरकार को ही खुली चुनौती दे डाली। बदमाशों ने मुख्यमंत्री आवास, एनेक्सी व सरकार के प्रमुख कार्यालयों की महज एक किलोमीटर की परिधि के बीच राजभवन मार्ग पर गार्ड की हत्या कर लाखों रुपये लूट लिए। इससे जहां विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का मौका मिल गया, वहीं पुलिस तंत्र की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो गए।
ऐसा नहीं कि सिर्फ राजधानी में ही यह सनसनीखेज वारदात हुई, बल्कि प्रदेश के कई जिलों में दुस्साहसिक घटनाओं ने सरकार के लिए चुनौती खड़ी की है। सुलतानपुर में होटल मालिक की हत्या का प्रयास, प्रतापगढ़ में 25 जुलाई की रात पांच लाख रंगदारी न देने पर दो व्यवसायी भाइयों की गोली मारकर हत्या, सुलतानपुर के व्यवसायी वीरेंद्र जायसवाल को अगवा कर हत्या, बाराबंकी में मिट्टी ठेकेदार वाहिद खान को अगवा कर हत्या,
अलीगढ़ में आसाराम बापू आश्रम में चौकीदार दंपती को बंधक बनाकर डकैती डालने जैसी घटनाओं ने सरकार की कानून-व्यवस्था के दावे की पोल खोल दी। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि 'इतनी छूट मिलने के बाद भी अगर पुलिस मोर्चे पर फेल हो रही है, तो यह समीक्षा का विषय है। पुलिस की जिंदगी अंडरवल्र्ड की सूचनाओं पर टिकी होती है, लेकिन इसके लिए पुलिस को बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ठोस योजना का क्रियान्वयन जरूरी है।
विक्रम सिंह ही नहीं और भी कई अनुभवी पूर्व डीजीपी व्यवस्था को लेकर संतुष्ट नजर नहीं आते। पूर्व डीजीपी एके जैन का कहना है 'लखनऊ, प्रतापगढ़ व सुलतानपुर की घटनाएं बेहद चुनौतीपूर्ण है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज के बाद भी यदि अपराधियों को नहीं पकड़ पाती तो यह बहुत दुखद हैÓ। हालांकि घटना के तत्काल बाद ही राजधानी में डीजीपी ओपी सिंह व एडीजी कानून-व्यवस्था आनन्द कुमार मौके पर पहुंचे और अधीनस्थों पर सख्ती दिखाई। आनन्द कुमार का कहना है कि पुलिस ने हर मामले को गंभीरता से लिया। कई अपराधी पकड़े गए और घटनाओं का राजफाश हुआ है।
निशाने पर छात्राएं भी
प्रदेश में छात्राओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं ने भी कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा किया है। करीब 12 दिन पूर्व एटा में छात्रा की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। उसका शव सूखे कुएं में फेंका गया था। अलीगढ़ में इसी माह किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म, मुरादाबाद में किशोरी के साथ घर में घुसकर दुष्कर्म व कौशाम्बी में छात्रा से दुष्कर्म का प्रयास व उसे हाईवे पर चलती कार से फेंकने की घटनाएं प्रमुख हैं। यह घटनाएं नजीर हैं कि अपराधियों के हौसले किस कदर बढ़ रहे हैं।
रोजगार के बजाये युवाओं पर बरस रही लाठियां : अखिलेश
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इलाहाबाद में सरकार के प्रति विरोध जताने पर छात्राओं को जेल भेजने की निंदा की है। उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार तो दे नहीं सकी, छात्रों पर लाठियां जरूर बरसाई जा रही हैं।
इलाहाबाद समेत कई विश्वविद्यालयों के छात्र नेताओं ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की। छात्र नेताओं ने बताया कि इलाहाबाद और लखनऊ विश्वविद्यालय में बर्बरता की इंतिहा हो गई है। अभी पिछले सप्ताह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इलाहाबाद क्या गए, छात्राओं की जान पर बन आई। सिर्फ काला झंडा दिखाने भर से नेहा यादव व रमा को पुलिस ने बेरहमी से पीटा, यातना दी और फिर जेल भेज दिया। ऋचा सिंह को गिरफ्तार कर नैनी जेल में रखा गया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष अविनाश यादव एवं अन्य कई छात्र नेताओं को जेल की यातना दी गई। इसी तरह लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं अपनी बात रखने वीसी के पास गए तो उन्हें पीटा गया। छात्रा पूजा शुक्ला को अकारण गिरफ्तार कर गंभीर धाराएं लगाई गईं, जबकि वह शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रही थी। अखिलेश ने कहा कि युवा अधिकार और न्याय की आवाज उठाते हैं तो उन पर दमनचक्र चालू हो जाना भाजपा की अपनी खुद की तय की हुई रीति-नीति है। यह संविधान और लोकतंत्र की दिशा नहीं हो सकती है।