यूपी की जेलों में आत्महत्या की घटनाओं पर अंकुश लगाएंगे मनोचिकित्सक, तैनाती के लिए भेजा गया प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश की जेलों में बंदियों की बीमारी से बढ़ती मौतों और आत्महत्या की घटनाओं पर रोकथाम के लिए सभी जेलों में पहली बार मनोचिकित्सक तैनात किए जाने की तैयारी है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की जेलों में बंदियों की बीमारी से बढ़ती मौतों और आत्महत्या की घटनाओं पर रोकथाम के लिए सभी जेलों में पहली बार मनोचिकित्सक तैनात किए जाने की तैयारी है। कारागार मुख्यालय ने जेलों में 70 मनोचिकित्सक, 70 चिकित्साधिकारी और सोशल वर्कर के 116 पदों के सृजन का प्रस्ताव भेजा है। जेलों में चिकित्सा सुविधा को बेहतर करने के साथ ही विशेषज्ञों की मदद से बंदियों की मनोदशा के अध्ययन का प्रयास भी किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की 72 जेलों में बीते पांच वर्षों में 2024 से अधिक बंदियों की मृत्यु हुई है। इनमें बीमारी से 1941 बंदियों की मौत हुई, जबकि 70 बंदियों ने आत्महत्या की। इन परिस्थितियों को देखते हुए डीजी जेल आनंद कुमार ने बंदियों की मनोबल बढ़ाने की कार्ययोजना तैयार की है। जेलों में एफएम रेडियो की पहल के बीच विशेषज्ञों की मदद से सप्ताह में दो बार स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था भी कराई गई है।
आनंद कुमार ने बताया कि चिकित्सा सुविधा बढ़ाने के लिए नए पदों के सृजन के प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके अलावा टीबी से ग्रस्त बंदियों के कार्ड बनवाकर उनके उपचार की व्यवस्था शुरू की गई है। एड्स के रोगियों को चिह्नित कराकर उनके समुचित इलाज के बंदोबस्त कराए जा रहे हैं।
वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई 16 लाख बंदियों की रिमांड
बंदियों को बार-बार कचहरी ले जाने के बजाए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उनकी पेशी व रिमांड पर अब जेल अधिकारियों का खास जोर है। 70 जेलों व 73 जिला न्यायालयों में 143 वीडियो कांफ्रेंसिंग की इकाईयां स्थापित की जा चुकी हैं। इनके जरिए अब तक 16 लाख से अधिक बंदियों की रिमांड हो चुकी है। सभी जेलों में तीस-तीन सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए गए हैं।