प्रॉपर्टी बाजार को एक और झटका, ईडी को बतानी होगी 50 लाख से ज्यादा की रजिस्ट्री
ईडी ने यूपी के सभी निबंधन अधिकारियों को इस बाबत पत्र लिखा है कि जमीन या भूखंड जिसकी अनुमानित कीमत 50 लाख से अधिक हो उसकी डिटेल निदेशालय को दी जाए।
लखनऊ (राजीव बाजपेयी)। नोटबंदी और आयकर विभाग की सख्ती के बाद ठंडे पड़े प्रॉपर्टी बाजार को एक और झटका लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) 50 लाख से अधिक की रजिस्ट्रियों की स्क्रीनिंग करेगा। ईडी ने सभी निबंधन कार्यालयों को पत्र भेजकर रजिस्ट्रियों का ब्योरा देने को कहा है।
ईडी ने यूपी के सभी निबंधन अधिकारियों को इस बाबत पत्र लिखा है कि जमीन या भूखंड जिसकी अनुमानित कीमत 50 लाख से अधिक हो उसकी डिटेल निदेशालय को दी जाए। प्रवर्तन निदेशालय के इस फरमान से प्रॉपर्टी कारोबार पर फर्क पड़ना तय माना जा रहा है। बड़ी प्रॉपर्टी खरीदने वाले पहले से ही इनकम टैक्स के रडार पर हैं ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय की भी नजर में आना आगे मुश्किलें खड़ी कर सकता है। निबंधन विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि इस आदेश का रजिस्ट्री पर फर्क पड़ेगा।
नोटबंदी के बाद बढ़ी सख्ती: नोटबंदी के बाद जमीन की बड़ी खरीद-फरोख्त करने वालों पर इनकम टैक्स से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक की नजर है। दरअसल जांच एजेंसियां इस मार्फत उन तक पहुंचना चाहती हैं जो नोटबंदी के बाद भी बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। दरअसल नोटबंदी से पहले बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी प्रॉपर्टी बाजार में खपाई गई। कई रियल एस्टेट कंपनियों और निजी बिल्डरों का जाल राजधानी में हर तरफ फैला हुआ है। इनमें से कई पहले से ही रडार पर हैं।
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35 प्रतिशत तक आई कमी: राजधानी में निबंधन विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि जनवरी के बाद से अब तक रजिस्ट्रियों की दर में 35 प्रतिशत तक की कमी आई है। इनकम टैक्स और अब प्रवर्तन निदेशालय की सख्ती के चलते इसमें और गिरावट आ सकती है। राजधानी में प्रत्येक माह जहां 10 हजार से अधिक रजिस्ट्रियां होती थी वहीं अब यह संख्या सात हजार से भी कम पर आ गई है। डीआइजी निबंधन ओपी सिंह का कहना है कि बीते कुछ माह में रजिस्ट्रियों में कमी आई है।
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