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Ramadan 2020: कुरआन की तिलावत के साथ अल्लाह की इबादत, कल नहीं निकलेगा गिलीम के ताबूत का जुलूस

150 साल बाद लखनऊ में हजरत अली की शहादत का जुलूस नहीं निकलेगा घरों में शुरू हुआ मातम।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 04:47 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 04:47 PM (IST)
Ramadan 2020: कुरआन की तिलावत के साथ अल्लाह की इबादत, कल नहीं निकलेगा गिलीम के ताबूत का जुलूस
Ramadan 2020: कुरआन की तिलावत के साथ अल्लाह की इबादत, कल नहीं निकलेगा गिलीम के ताबूत का जुलूस

लखनऊ, जेएनएन। अल्लाह की इबादत और दुआओं के इस रमजान पाक महीने में रोजेदार घरों में कोरोना से समाज को मुक्त करने की दुआएंं कर रहे हें। मंगलवार को इबादत और कुरआल तिलावत के खास पाठ के साथ रोजेदाराें आने वाली 19वीं ओर 21वीं रमजान के जुलूस के एवज में विशेष इबादत की। बुधवार को गिलीम के ताबूत का जुलूस नहीं निकलेगा। 

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पांच पारे की नमाज कर रोजेदारों ने अमनचैन की दुआएं मांगी। ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस महीने इबातद करने से अल्लाह सारे अरमान पूरे करते हैं। आपके गुनाह माफ हो जाते हैं। फेसबुक पर कुरआन पाक की तिलावत का प्रसारण भी किया गया। शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि रमजान पाक के इस महीने में गरीबों और यतीमों की मदद से आप उनके जीवन में खुशहाली ला सकते हैं। उन्होंने कोरोना संक्रमण के इस मौके पर धर्म जाति से ऊपर उठकर इंसानियत की मदद करने की सभी को नसीहत दी। काजी-ए-शहर मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने कहा कि 49 रुपये सदका-ए-फितर लिया जाएगा। रमजान के रोजे की कमी को पूरा करने के लिए या जान के सदके के तौर पर 25 मई काे होने वाले ईद-उल-फितर के दिन या उससे पहले या बाद मेें दिया जा सकता है। परिवार के छोटे व बड़े सदस्य इसे दे सकते हैं। एक सा खजूर, गेहूं,दिया जा सकता है। इसलाम के इतिहास में जकात से पहले सदका-ए-फितर वाजिब हुआ। यह गरीबों, मदारिस के गरीब बच्चों को दिया जा सकता है। ईद के पहले ही इसे गरीबों को पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। एक आदमी एक गरीब को सदका-ए-फितर जरूर अदा करे।
 
घरों में शुरू हुआ मातम
हज़रत मोहम्मद साहब के चचेरे भाई और पहले इमाम हजरत अली पर नमाज पढ़ाते वक्त हमले की याद में मंगलवार शाम से पुराने लखनऊ के मोहल्लों में मजलिस-मातम का सिलसिला घरों मेें शुरू हो गया। कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष बुधवार को 19वीं और शुक्रवार को 21वीं रमजान को निकलने वाले जुलूस स्थगित होने के चलते रोजेदार अपने घरों में ही मजलिस-मातम कर हजरत अली की शहादत का गम मनाया। बुधवार को 19वीं रमजान को हजरत अली पर सुबह की नमाज के वक्त हुए हमले की याद और 21वीं रमजान को हजरत अली की शहादत के गम में ताबूतों के जुलूस निकाले जाते हैं। 18 रमजान की शाम से लेकर 21वीं रमजान की शाम तक को शबें भी कहा जाता है और इन दिनों में शिया समुदाय की महिलाएं अपने जेवर आदि उतार देती हैं और स्याह लिबास पहन लेती हैं। पुराने लखनऊ के सआदतगंज इलाके में मजलिसों का आयोजन किया जाता है लॉकडाउन की वजह से 19वीं और 21वीं रमजान को निकलने वाले दोनों जुलूस स्थगित कर दिये गये हैं। इसी के साथ रौजए काजमैन और शबीहे नजफ, बैतुल हुज्न में होने वाली मजलिसें भी स्थगित हैं। रोजेदार अपने घरों में ही हजरत अली के गम में मजलिस-मातम करेंगे और नौहे पढ़ सीनाजनी करेंगे।
 
150 साल से हजरत अली की शहादत पर निलकता था 21वीं रमजान पर जुलूस

कोरोना वायरस की महामारी को रोकने और सरकार के फरमान को मानने के चलते इस बार पैगम्बर इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के दामाद व शियों के पहले इमाम अमीर उल मोमेनीन हजरत अली अलैहिस्सलाम की शहादत की याद में  21वीं रमजान का जुलूस नहीं निकलेगा। रूस्तम नगर स्थित रौजा-ए- 'शबीह नजफ" से वारिसाने ताबूते हजरत अली अलैहिस्सलाम कमेटी द्वारा  निकालने वाले इस जुलूस में सजाए जाने वाला ताबूत भी नहीं सजेगा।यह ताबूत का जुलूस 21वीं रमजान को सुबह की नमाज के बाद बड़ी अकीदत के साथ निकाला जाता था आैर कर्बला तालकटोरा जाकर दफन किया जाता था। इस ताबूत की जियारत करने व जुलूस में शामिल होने के लाखों लोग यहां आते थे। वारिसाने ताबूते हजरत अली अलैहिस्सलाम कमेटी के महासचिव सैयद मुख्तार हुसैन ने बताया कि यह जुलूस 150 वर्ष पूर्व यानि 21वीं रमजान 1870 में हसन मिर्जा ने मौलवीगंज स्थित रस्सी बटान से निकालना शुरू किया था। सन 1873 से उन्होंने उक्त ताबूत को रूस्तम नगर से उठाना शुरू किया। जब से हसन मिर्जा के घराने के लोग लाखों अकीदतमंदो के साथ ताबूत उठाने का कार्य अंजाम दे रहे हैं। सैयद जफर हुसैन ने सभी से सरकारी फरमान को जेहन में रखकर लाॅकडाउन की पाबंदियों को अपनाने की अपील की। उन्हाेंने बताया कि 150 साल में पहला मौका होगा जब यह जुलूस नहीं निकलेगा।

 
इफ्तारी-बुधवार की शाम
सुन्नी-6:48 बजे
 
शिया-6:58
 
सहरी शुक्रवार को
सुन्नी-3:45 बजे
शिया-3:38 बजे
 

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